1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पृथ्वी को बचाने अंतरिक्ष के सफर पर रवाना हुआ हेरा मिशन

स्वाति मिश्रा
८ अक्टूबर २०२४

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपना हेरा मिशन अंतरिक्ष भेजा है. इसका मकसद है, पृथ्वी की रक्षा करना. ताकि करोड़ों साल पहले डायनासोरों के साथ जो हुआ, वैसा हश्र हमारा ना हो.

https://p.dw.com/p/4lXvV
पृथ्वी जैसे ग्रह के साथ टकराने की राह पर बढ़ते एक ऐस्टेरॉइड का डिजिटल इलस्ट्रेशन.
हेरा का अभियान पूरा होने तक डिमॉरफोस और डिडिमोस, ये बायनरी सबसे ज्यादा शोध किए गए ऐस्टेरॉइड बन जाएंगेतस्वीर: Andrea Danti/Zoonar/picture alliance

एक मिशन, जिसका मकसद है अपने ग्रह की हिफाजत करना. हमारी पृथ्वी को अंतरिक्ष से आए किसी बड़े खतरे से महफूज करना. सुनने में यह 'प्लेनेटरी डिफेंस शील्ड' जैसा किसी अवेंजर्स फिल्म का प्लॉट मालूम होता है, लेकिन ना तो यह खतरा काल्पनिक है और ना ही मिशन कोरी फैंटेसी है.

कहां से आया था डायनासोर का खात्मा करने वाला विशाल एस्टेरॉइड

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) का पहला प्लेनेटरी डिफेंस (ग्रहीय सुरक्षा) एयरक्राफ्ट 'हेरा' पृथ्वी से सुदूर अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गया. हेरा को स्पेसएक्स के फैलकन 9 रॉकेट पर रवाना किया गया. करीब एक साल लंबी उड़ान के बाद हेरा स्पेसक्राफ्ट अपनी मंजिल डिमॉरफोस ऐस्टेरॉइड पर पहुंचेगा.

फ्लोरिडा के स्पेस फोर्स स्टेशन से रवाना हुए स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट की तस्वीर.
स्पेसएक्स का रॉकेट यूरोपियन स्पेस एजेंसी के हेरा अंतरिक्षयान को लेकर रवाना हुआ तस्वीर: Steve Nesius/REUTERS

डिमॉरफोस ऐस्टेरॉइड इकलौता पिंड है, जिसकी कक्षा में हम इंसान अपनी गतिविधि से बदलाव कर पाए हैं. हेरा यहां 2022 में नासा द्वारा किए गए 'कायनेटिक इम्पैक्ट' पर हमारी वैज्ञानिक समझ और पैनी करना चाहता है, ताकि भविष्य में किसी विशाल दुर्घटना से हमारी और इस ग्रह की रक्षा की जा सके. 

क्या है डिमॉरफोस और 'कायनेटिक इम्पैक्ट'

दो साल पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने डार्ट नाम का एक मिशन लॉन्च किया था. डार्ट यानी, डबल ऐस्टेरॉइड रीडायरेक्शन टेस्ट. यह मिशन नासा के 'प्लेनेटरी डिफेंस कॉर्डिनेशन ऑफिस' (पीडीसीओ) का हिस्सा था. ग्रह की रक्षा से जुड़ी तकनीक पर आधारित यह अपनी तरह का पहला अभियान था.

डार्ट वन-वे टिकट पर रवाना हुआ था, उसके सकुशल पृथ्वी पर लौटने की कोई योजना नहीं था. करीब 10 महीने की उड़ान भरकर डार्ट डिमॉरफोस नाम के ऐस्टेरॉइड पर पहुंचा और 26 सितंबर 2022 को वह जानबूझकर डिमॉरफोस से टकरा गया.

अंतरिक्ष यान की टक्कर ने क्षुद्र ग्रह की कक्षा बदली

डिमॉरफोस एक छोटा सा खगोलीय पिंड है. लगभग 530 फीट के व्यास वाला यह ऐस्टेरॉइड, डिडिमोस नाम के एक बड़े ऐस्टेरॉइड का चक्कर लगाता है. ये बायनरी ऐस्टेरॉइड हैं. बायनरी यानी, दो पिंडों वाला ऐस्टेरॉइड सिस्टम. इसमें एक छोटा और एक बड़ा ऐस्टेरॉइड होता है. छोटा पिंड सैटेलाइट की तरह बड़े पिंड का चक्कर लगाता है. अभी हम जितने ऐस्टेरॉइडों के बारे में जानते हैं, उनमें 15 फीसदी ही बायनरी हैं.

डिमॉरफोस से टकराना ही डार्ट का लक्ष्य था, ताकि इस संभावना की पुष्टि हो सके कि अगर जानबूझकर किसी अंतरिक्षयान को ऐस्टेरॉइड से भिड़ाया जाए, तो उसकी कक्षा का रास्ता बदला जा सकता है या नहीं.

करीब 570 किलोग्राम वजनी बॉक्स के आकार का यह अंतरिक्षयान 22,530 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डिमॉरफोस से टकराया. इसके कारण डिमॉरफोस के ऑर्बिट पीरियड में करीब 33 मिनट का बदलाव आया. यह मानव इतिहास में पहली बार था जब हमने यूं किसी ऐस्टेरॉइड की राह में फेरबदल किया.

नासा के डार्ट मिशन की एक तस्वीर.
डार्ट मिशन नासा के 'प्लेनेटरी डिफेंस कॉर्डिनेशन ऑफिस' (पीडीसीओ) का हिस्सा थातस्वीर: NASA/dpa/picture alliance

क्या है हेरा की उड़ान का मकसद

ऐस्टेरॉइड-डिफ्लैक्शन, यानी ऐस्टेरॉइड से टकराकर उसकी दिशा में बदलाव की इस तकनीक को 'कायनेटिक इम्पैक्टर' कहा जाता है. इसका मतलब है, तेज रफ्तार अंतरिक्षयान का किसी चीज (इस संदर्भ में ऐस्टेरॉइड) से टकराना. इससे हासिल हुए डेटा के विश्लेषण से जॉन हॉपकिन्स अप्लाईड फिजिक्स लेबोरेट्री (एपीएल) के नेतृत्व वाली इन्वैस्टिगेटिंग टीम इस नतीजे पर पहुंची कि किसी ऐस्टेरॉइड की दिशा को बदलने में डार्ट जैसे इम्पैक्टर मिशन से मदद मिल सकती है.

डिमॉरफोस के साथ अपने अनुभव से हमें कई पहलू पता चले, लेकिन इस घटना के बारे में कई चीजें पता करनी बाकी हैं. ये जानकारियां अहम हैं, ताकि 'कायनेटिक इम्पैक्ट' की मदद से हम अपने ग्रह की सुरक्षा के लिए एक भरोसेमंद तरीका विकसित कर सकें. इसीलिए हेरा डिडिमोस और डिमॉरफोस का विस्तृत सर्वे करने गया है. इसका खास ध्यान डिमॉरफोस पर होगा. मिशन की लॉन्चिंग के बाद मिशन के मैनेजर इयन कारनेली ने कहा, "आखिरकार हेरा डिडिमोस की अपनी यात्रा पर रवाना हो गया. आज हम अंतरिक्ष के इतिहास में एक नया पन्ना लिख रहे हैं."

पृथ्वी की ओर बढ़ते एक मीटियोर की डिजिटल तस्वीर.
ऐस्टेरॉइड, सौर मंडल के अपेक्षाकृत छोटे सदस्य हैंतस्वीर: NASA/Zoonar/picture alliance

हेरा और डार्ट की कामयाबी हमारे किस काम की?

करीब 660 लाख साल पहले 10 से 15 किलोमीटर चौड़ा एक ऐस्टेरॉइड पृथ्वी से टकराया. इसके कारण मलबे का एक विशालकाय बवंडर हवा में फैल गया. समुद्र में प्रचंड लहरें उठीं. ईकोसिस्टम भरभरा गया, खाद्य शृंखला सिकुड़ गई. एक चेन रिएक्शन जैसी प्रक्रिया के कारण पृथ्वी के करीब 75 फीसदी जानवरों का खात्मा हो गया. इनमें डायनासोर भी शामिल थे.

ऐसा नहीं कि यह घटना बस एक बार हुई और आगे कभी नहीं होगी. खगोलीय पिंड समूची पृथ्वी और यहां के जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं. ब्रह्मांड के कई अन्य खगोलीय पिंडों की तरह हमारी पृथ्वी भी पड़ोसियों के मामले में बड़ी आबाद है. इनमें बड़ी संख्या ऐस्टेरॉइडों की भी है. हमारे अपने सौर मंडल में 13 लाख से ज्यादा ज्ञात ऐस्टेरॉइड हैं.

धरती की ओर आने वाले एस्टेरॉयड को स्पेसक्राफ्ट से मारी टक्कर

ऐस्टेरॉइड, सौर मंडल के अपेक्षाकृत छोटे सदस्य हैं. अक्सर ये आकार में अनियमित होते हैं. इनकी अधिकांश संख्या मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच मुख्य ऐस्टेरॉइड बेल्ट में पाई जाती है. गुरुत्वाकर्षण और गैर-गुरुत्वीय प्रभावों के कारण कई बार इनके सामान्य या स्वाभाविक रास्ते में थोड़ा बदलाव हो जाता है.

सूर्य के करीब जाने के क्रम में वे मंगल, पृथ्वी, शुक्र और बुध ग्रहों की कक्षाओं को भी पार करते हैं. कई ऐस्टेरॉइड ऐसे हैं, जिनकी कक्षा उन्हें पृथ्वी के करीब भी ले आती है. फिलहाल हम 35,000 से ज्यादा ऐसे ऐस्टेरॉइडों को जानते हैं. इन्हें 'नीयर-अर्थ ऑब्जैक्ट्स' कहा जाता है.

ईएसए कई अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर इनकी निगरानी करता है. इस काम के लिए ईएसए के पास 'नीयर-अर्थ ऑब्जैक्ट्स कॉर्डिनेशन सेंटर' (एनईओसीसी) है, जो कि एजेंसी के प्लेनेटरी डिफेंस ऑफिस की मुख्य गतिविधि का केंद्र है. इसका मकसद है, सौर मंडल के छोटे पिंडों की निगरानी करना ताकि पृथ्वी के पास आ रहे जिन पिंडों से हमें खतरा हो सकता है उनकी समीक्षा की जा सके. एनईए के ऐस्टेरॉइड डेटाबेस में अभी 36,051 पिंड हैं. ये आकार में 100 मीटर से ज्यादा है.

ऐस्टेरॉइड साइकी की एक डिजिटल तस्वीर.
ऐस्टेरॉइड की अधिकांश संख्या मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच मुख्य ऐस्टेरॉइड बेल्ट में पाई जाती हैतस्वीर: Southwest Research Institute

... ताकि हमारा हश्र डायनासोरों जैसा ना हो

अपने माइक्रो सैटेलाइटों की मदद से हेरा ऐस्टेरॉइड के करीब जाएगा. वह उस जगह की जांच करेगा जहां डार्ट, डिमॉरफोस से टकराया था. इससे पता चलेगा कि डार्ट के विस्फोटक टकराव का डिमॉरफोस पर क्या असर पड़ा. साथ ही, हेरा पर लगे सेंसर ऐस्टेरॉइड के ढांचे में हुए संभावित बदलावों या दरारों को भी देख सकेंगे.

हेरा का अभियान पूरा होने तक डिमॉरफोस और डिडिमोस, ये बायनरी मानव इतिहास में सबसे ज्यादा चिर-परिचित, सबसे ज्यादा शोध किए गए ऐस्टेरॉइड बन जाएंगे. उम्मीद है कि इनकी मदद से 2030 तक हम अपने ग्रह की रक्षा के लिए एक बेहतर रणनीति विकसित कर सकेंगे और अर्ली-वॉर्निंग सिस्टम बनाया जा सकेगा. इन सभी गतिविधियों का मकसद है, अंतरिक्ष से आई किसी आपदा से मानवता की रक्षा करना, ताकि करोड़ों साल पहले डायनासोरों का जो हश्र हुआ वो हमारे साथ ना हो.

फरवरी 2013 में रूस में क्या हुआ था?

ऐसी घटनाएं कितनी घातक हो सकती हैं, इसका एक उदाहरण फरवरी 2013 में रूस के चेलयाबिंस्क शहर में दिखा. सुबह के वक्त वहां आकाश में एक तेज चमक और गूंज सुनाई दी. एक बड़ा मीटिरॉइट शहर के ऊपर फटा और उसका मलबा नीचे गिरा. इस घटना में करीब 1,000 लोग घायल हुए.

जर्मन मैगजीन 'श्पीगल' ने रूसी न्यूज वेबसाइट लाइफन्यूज की एक खबर के हवाले से बताया कि इस घटना के कारण जो तरंग पैदा हुई, उससे पूरे शहर और नजदीकी गांवों में कांच की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं. करीब 3,000 इमारतें क्षतिग्रस्त भी हुईं. शहर में इमरजेंसी लगा दी गई. यह मीटिरॉइट करीब 10 टन वजनी और आकार में लगभग 15 मीटर था. यह लगभग 54,000 किलोमीटर प्रति घंटे की अनुमानित रफ्तार से पृथ्वी के वातावरण में दाखिल होकर फट पड़ा.

ऐस्टेरॉइडों के मुकाबले इसका आकार काफी छोटा था. अगर यह बड़ा होता, तो असर और नुकसान काफी बड़ा हो सकता था. किसी परमाणु विस्फोट जैसा असर, या संभव है कई परमाणु विस्फोटों जैसा असर! डायनासोरों को खत्म करने की वजह बने ऐस्टेरॉइड के टकराव से लगभग 10 करोड़ परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकली थी.