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जर्मनी में क्यों मरे 2022 में इतने ज्यादा लोग

११ जनवरी २०२३

साल 2022 के आंकड़े आ गए हैं. जर्मनी में इस बरस जितने लोगों की मौत हुई, वह पिछले सालों की तुलना में बहुत ज्यादा है. खासकर दिसंबर के महीने में अप्रत्याशित रूप से बहुत ज्यादा लोगों की मौत हुई. आखिर वजह क्या है?

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पिछले साल मौतों में हुई 3.4 फीसदी की बढ़त बीते सालों की औसत वृद्धि से काफी ज्यादा है. दिसंबर 2022 में मौतों में आई तेजी को हर साल होने वाले फ्लू से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
पिछले साल मौतों में हुई 3.4 फीसदी की बढ़त बीते सालों की औसत वृद्धि से काफी ज्यादा है. दिसंबर 2022 में मौतों में आई तेजी को हर साल होने वाले फ्लू से भी जोड़कर देखा जा रहा है. तस्वीर: Ina Fassbender/AFP/Getty Images

पिछले साल जर्मनी  में औसत से कहीं ज्यादा लोगों की मौत हुई. जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय ने 2022 के जन्म और मौत के आंकड़े जारी कर दिए हैं, जिसके अनुसार पिछले साल 10.6 लाख लोगों की मौत हुई. एक साल पहले की तुलना में यह संख्या करीब 35,000 अधिक है. 2021 के मुकाबले 2022 में 3.4 प्रतिशत ज्यादा लोग मरे हैं. अब डॉक्टरों के अलावा राजनीतिज्ञ भी इस आंकड़े पर परेशान हैं कि आखिर ये हुआ क्यों? वे मौत की वजह खंगालने में लगे हैं.

सालाना मौत में इस उछाल को यह कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आबादी में बूढ़ों की तादाद बढ़ रही है, इसलिए सालाना मौतों की संख्या भी बढ़ रही है. सांख्यिकी विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ 20 प्रतिशत वृद्धि के लिए ही आबादी में बुजुर्गों के हिस्से को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इसके अलावा कोरोना के जारी प्रकोप, लू वाली गर्मी और जाड़ों में फ्लू की लहर को मौत की संख्या में वृद्धि की वजह माना जा सकता है.

औसत वृद्धि से काफी ज्यादा है ये आंकड़ा

जर्मनी में कम बच्चों के पैदा होने और जीवन दर बढ़ने के कारण आबादी में वृद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है. करीब 20 साल से जनसंख्या नीति इस अनुमान के आधार पर बनाई जा रही है कि हर साल होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ेगी. लेकिन कोरोना महामारी की शुरुआत से ही जीवन दर बढ़ी है और उसकी वजह से आबादी के बूढ़े होने का असर कम हुआ है. लेकिन पिछले साल मौतों में हुई 3.4 फीसदी की बढ़त बीते सालों की औसत वृद्धि से काफी ज्यादा है.

सांख्यिकी विशेषज्ञों का कहना है कि 2021 में साल के अंत में हुई भारी संख्या में मौतों के बाद 2022 की शुरुआत में मौत की घटनाएं सामान्य हो गई थीं. मार्च से मई के दौरान अपेक्षाकृत अधिक मौतों के लिए कोरोना महामारी को और जून से अगस्त की मौतों के लिए गर्मियों को जिम्मेदार माना जा रहा है. सितंबर और अक्टूबर में मौतों की संख्या एक साल पहले जैसी रहीं, लेकिन दिसंबर में मौतों में आई तेजी को हर साल होने वाले मौसमी फ्लू के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.

मरने वालों में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं

दिसंबर में जर्मनी में हुई मौतें पिछले सालों की तुलना में 19 फीसदी ज्यादा थी, लेकिन 51वें हफ्ते में ये संख्या पिछले चार सालों की तुलना में 32 फीसदी ज्यादा रही. कोरोना महामारी के पहले दो सालों की तुलना में मर्दों के मौतों की संख्या 2.5 फीसदी ज्यादा रही जबकि महिलाओं में ये संख्या 4.3 फीसदी थी. इसके बारे में विस्तृत जानकारी मौत के कारणों वाले आंकड़ों से मिलेगी जिसके साल के मध्य तक आने की संभावना है.

इस बीच महामारी के अप्रत्यक्ष असर को भी मौतों में अप्रत्याशित वृद्धि का कारण माना जा रहा है. इसमें अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी और देश के सामान्य चिकित्सा प्रणाली पर अतिरिक्त बोझ शामिल है. संभव है कि लॉकडाउन के दौरान बहुत से लोगों ने कोरोना के डर से रूटीन जांच से दूरी बनाए रखी और संभव है कि कैंसर के मामलों का समय रहते पता नहीं चला. 

लोगों का इलाज करते चलते फिरते क्लीनिक

  

DW Mitarbeiterportrait | Mahesh Jha
महेश झा सीनियर एडिटर