ईलॉन मस्क: जिन्होंने धरती पर इंसान को बचाने की कसम खाई है
१२ जनवरी २०२१1971 में दक्षिण अफ्रीका में जन्मे ईलॉन रीव मस्क तीन देशों के नागरिक हैं: दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका. उनकी मां माये मस्क मॉडल और डाइटीशियन थीं और पिता ईरॉल मस्क इलेक्ट्रोमेकेनिकल इंजीनियर. ईलॉन मस्क अपने पिता को एक "बेहद बुरा इंसान" बताते हैं. अपने माता पिता की तीन संतानों में वे सबसे बड़े हैं. ईलॉन का बचपन किताबों और कंप्यूटर के बीच बीता. पढ़ाकू ईलॉन के बहुत दोस्त नहीं थे. हर वक्त चुप रहने की वजह से स्कूल के बच्चे काफी परेशान भी करते थे. टीनेज में ईलॉन के व्यक्तित्व में बदलाव आया.
जब चला पेपॉल का जादू
1995 में वे पीएचडी करने अमेरिका की सिलिकॉन वैली पहुंचे. उन्होंने यहां की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अप्लाइड फिजिक्स विभाग में दाखिला लिया था लेकिन दो ही दिन बाद उसे छोड़ कर आ गए. उस वक्त छोटे भाई किम्बल मस्क ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से स्नातक पूरी की ही थी. किम्बल ईलॉन से 15 महीने छोटे हैं. वे भाई के पास कैलिफोर्निया आ गए. उस दौरान इंटरनेट का जमाना शुरू ही हुआ था. दोनों भाइयों ने मिल कर एक स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लिया जिसका नाम रखा गया जिप2. यह एक ऑनलाइन बिजनेस डायरेक्ट्री थी जो नक्शों से लैस थी. उन्हें निवेशक मिलते गए और कंपनी फलती फूलती गई. 1999 में उन्होंने 30 लाख अमेरिकी डॉलर में उस कंपनी को कंप्यूटर निर्माता कॉम्पैक को बेच दिया.
इसके बाद उन्होंने अकेले X.com नाम की ऑनलाइन फाइनैंस कंपनी खोली. दिलचस्प बात यह थी कि जिस इमारत में इस कंपनी का दफ्तर था, उसी में कुछ महीने बाद ऐसी ही एक और कंपनी खुली. कॉनफिनिटी नाम की यह कंपनी X.com की प्रतिद्वंद्वी बन गई थी. मार्च 2000 में ये दोनों कंपनियां मर्ज हो गईं और आज दुनिया इसे पेपॉल के नाम से जानती है. अक्टूबर 2002 में ईबे ने डेढ़ अरब अमेरिकी डॉलर के शेयर के बदले पेपॉल को खरीद लिया.
इंसानी अस्तित्व को बचाने की मुहिम
पेपॉल छोड़ने के बाद से ईलॉन मस्क ने कई कंपनियां बनाईं. इनमें से दो - स्पेस एक्स और टेस्ला मोटर्स - पर तो उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी. मस्क की मौजूदा सभी कंपनियों का मकसद है इंसानी अस्तित्व पर मंडरा रहे तीन खतरों का उपाय खोजना: जलवायु परिवर्तन, एक ही ग्रह पर इंसानी निर्भरता और इंसानों की नस्ल का किसी काम का ना रह जाने का खतरा. मशीनें जितनी सक्षम हो रही हैं, ये खतरा उतना ही बढ़ता जा रहा है. टेस्ला मोटर्स, सोलर सिटी और द बोरिंग कंपनी ऊर्जा के साफ विकल्पों के इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन का सामना करने की कोशिश में लगी हैं.
मस्क का मानना है कि इंसान अगर एक ही ग्रह पर सीमित रहेंगे तो अपना अस्तित्व बचा नहीं सकेंगे. कभी ना कभी कोई आपदा आएगी अब वो चाहे प्राकृतिक हो या इंसान की पैदा की हुई. किसी विशाल क्षुद्रग्रह का धरती पर गिरने, विशाल ज्वालामुखी के फटने या फिर परमाणु युद्ध से वजह चाहे जो कभी ना कभी इंसान का अस्तित्व मिट सकता है. इसलिए मई 2002 में उन्होंने धरती से बाहर जीवन खोजने के मकसद से स्पेस एक्स की शुरुआत की. उन्होंने रॉकेट डिजाइन करना सीखा और आज वे ना केवल स्पेस एक्स के सीईओ हैं, बल्कि वहां के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर भी हैं.
रूखे स्वभाव के हैं मस्क
मस्क और उनके जैसी सोच रखने वाले मानते हैं कि आर्टिफिशियल जनरल सुपरिंटेलीजेंस (एजीएसआई), आसान भाषा में कहें तो मशीनों की कृत्रिम बुद्धि इंसानों के लिए खतरा बन जाएगी. इसी सोच के साथ दिसंबर 2015 में उन्होंने गैर लाभकारी कंपनी ओपन एआई की शुरुआत की. इसके पीछे विचार है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इंसानों के लिए फायदेमंद बनाने का और उससे उठने वाले जोखिम को खत्म करने का.
ईलॉन मस्क जीनियस हैं, उनके पास गजब के आइडिया हैं लेकिन उनके साथ काम कर चुके लोग बताते हैं कि उनके साथ काम करना कितना मुश्किल है. कहा जाता है कि वे हफ्ते में 80 घंटे काम करते हैं और दूसरों से भी यही उम्मीद करते हैं. जब वे काम को ले कर तनाव में होते हैं तो अपनी टीम पर खूब चीखते चिल्लाते भी हैं. बताया जाता है कि छोटी सी गलती पर भी खूब खरी खोटी सुननी पड़ जाती है. ट्विटर पर भी उनका यह मिजाज देखने को मिलता है. कई बार वे ऐसे ट्वीट कर चुके हैं, जिनके लिए बाद में उन्हें माफी मांगनी पड़ी है.
कोरोना संकट के बीच जब अमेरिका में उनकी टेस्ला की फैक्ट्री बंद हुई तो दो महीने बाद उन्होंने खुद ही उसे खोलने का फैसला कर लिया. ऐसा तब जब प्रशासन की ओर से कहा गया था कि टेस्ला का कारखाना जरूरी उद्योगों की सूची में नहीं आता. इस संकट के बीच स्पेस एक्स की ओर से अंतरिक्ष में अपना मिशन भेज कर मस्क यह साबित करना चाह रहे हैं कि दुनिया में कुछ भी हो जाए, उनका काम नहीं रुकता है. वैसे भी, इंसानों की दुनिया कहीं रुक ना जाए, इसी मकसद के लिए तो वे काम कर रहे हैं.
रिपोर्ट: नील्स सिमरमन/आईबी
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