झारखंड के मुख्यमंत्री को चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस
३ मई २०२२मामला 2021 का है जब झारखंड सरकार ने राजधानी रांची के पास ही सरकारी जमीन में से पत्थरों के उत्खनन के सैद्धांतिक रूप से मुख्यमंत्री को ही पट्टा दे देने की अनुमति दे दी थी. अनुमति खनन और पर्यावरण मंत्रालयों से मिली थी और दोनों को मुख्यमंत्री ही संभाल रहे थे.
मामले को बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी में ही उठाया था और राज्यपाल रमेश बैस से इस संबंध में शिकायत की थी. राज्यपाल ने शिकायत को चुनाव आयोग भेज दिया और बाद में दिल्ली जा कर इसी संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत भी की.
अयोग्य घोषित करने की मांग
चुनाव आयोग ने शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पहले राज्य के मुख्य सचिव को मामले की पूरी जानकारी देने के लिए नोटिस भेजा. मुख्य सचिव से जानकारी मिलने के बाद आयोग ने अब खुद मुख्यमंत्री को नोटिस भेजा है और पूछा है कि आखिर क्यों उन के खिलाफ जन प्रतिनिधि द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में कदम न उठाया जाए.
विपक्ष का आरोप है कि खुद को खनन पट्टा दे कर मुख्यमंत्री ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन किया है. विपक्ष का मानना है कि अधिनियम के सेक्शन 9(ए) और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(ई) के तहत सोरेन को अयोग्य घोषित कर देना चाहिए.
पार्टी ने किया बचाव
सोरेन की तरफ से उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा है कि मुख्यमंत्री के नाम पर पट्टे का आवंटन एक प्रशासनिक भूल थी जिसे बाद में रद्द कर दिया था. इसके अलावा रद्द करने के समय तक पट्टे पर कोई भी काम शुरू नहीं किया गया था, इसलिए इस कानून के प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होते हैं.
अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री चुनाव आयोग के नोटिस का क्या जवाब देते हैं और फिर चुनाव आयोग क्या कदम उठाता है. इस बीच विपक्ष ने इसी तरह के भ्रष्टाचार का एक और आरोप सोरेन पर लगाया है.
विपक्ष ने दावा किया है कि सोरेन सरकार के उद्योग मंत्रालय ने रांची के एक औद्योगिक इलाके में 11 एकड़ जमीन मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन को आवंटित कर दी थी. यह विभाग भी मुख्यमंत्री की ही देखरेख में है. इसके अलावा मुख्यमंत्री पर अपने कुछ करीबी सलाहकारों को भी सरकारी ठेके देने के आरोप लगे हैं.