बिहार में शराबबंदी, फिर भी इससे जा रही लोगों की जान
५ नवम्बर २०२१राज्य में इस साल जनवरी से 31 अक्टूबर के बीच जहरीली शराब की वजह से करीब 70 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहरीली शराब पीने से प्रदेश में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 187 लाख लीटर से अधिक अवैध शराब जब्त की जा चुकी है. वहीं शराबबंदी का उल्लंघन करने के आरोप में तीन लाख लोग जेल जा चुके हैं. घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वे बार बार कहते रहे हैं कि गलत चीज पीने से इस तरह की स्थिति पैदा होगी. मुख्य मंत्री ने कहा, अधिकारियों से हमारी बातचीत होती रहती है. पर्व के बाद स्थिति की विस्तृत समीक्षा करेंगे." मुख्यमंत्री ने शराबबंदी पर फिर से अभियान शुरू किए जाने पर जोर दिया और कहा कि लोगों को फिर से बताना होगा कि यह बहुत गंदी चीज है.
प्रदेश के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने इसे स्थानीय स्तर पर हुई चूक बताया और गोपालगंज में 11 जबकि पश्चिमी चंपारण में 10 लोगों की मौत होने की बात कही. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा विसरा जांच की रपट आने के बाद ही कहा जा सकता है कि मौत का कारण जहरीली शराब है या नहीं. यह घटना लोगों के लिए सबक है.
जहरीली शराब से मौत की दूसरी बड़ी घटना
प्रदेश में दूसरी बार जहरीली शराब से इतने लोगों की जान गई है. इससे पहले 2016 में गोपालगंज जिले के खजूरबन्नी में ही 21 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में स्थानीय अदालत ने इसी साल नौ लोगों को फांसी तथा पांच लोगों को उम्र कैद की सजा दी है. इनमें चार महिलाएं हैं. अब फिर दीपावली के ठीक पहले बुधवार से मौत का सिलसिला शुरू हुआ है. शुक्रवार तक जहरीली शराब पीने से गोपालगंज जिले में 18 तथा पश्चिमी चंपारण जिले में 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य की स्थिति गंभीर है जो विभिन्न प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. हालांकि, हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं कर रहा है और न ही इसे जहरीली शराब पीने से हुई मौत का मामला मान रहा है. प्रशासन की नजर में ये मौतें संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हैं और कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा. वही परिजनों तथा ग्रामीणों के अनुसार लोगों की जान शराब पीने से गई है. वे बताते हैं, शराब पीने से ही लोगों की तबीयत बिगड़ी और बाद में मौत हो गई.
गोपालगंज जिले के महम्मदपुर थाना अंतर्गत कुशहर तुरहा टोले तथा दलित बस्ती में मंगलवार की देर शाम कई लोगों ने शराब पी थी. देर रात इन लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी और शुक्रवार तक करीब 18 लोगों की मौत हो गई. प्रशासन ने 12 लोगों का पोस्टमार्टम कराया है, जबकि सूत्रों के अनुसार अन्य छह लोगों का अंतिम संस्कार परिजनों ने प्रशासन को बिना सूचित किए कर दिया. बताया जा रहा है कि करीब पचास से अधिक लोगों ने शराब पी थी. लोग शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई होने के डर से अस्पताल नहीं जा रहे हैं. स्थिति जब काफी गंभीर हो जा रही है तब वे अस्पताल का रुख कर रहे हैं, इसलिए भी जानें जा रही हैं.
जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे डरें नहीं, अस्पताल जाकर जांच कराएं. जिलाधिकारी के अनुसार, "शुक्रवार को जिले में मद्य निषेध कानून को सख्ती से लागू करने के लिए सभी चौकीदार, थानाध्यक्ष, एसडीपीओ, एसडीएम, एडीएम, डीडीसी तथा एसपी के साथ बैठक की, जिसमें दोबारा जिले में ऐसी कोई घटना न हो, इसको लेकर रणनीति तय की गई." वहीं गोपालगंज के एसपी आनंद कुमार ने इस मामले में महम्मदपुर थानाध्यक्ष शशि रंजन कुमार तथा एक चौकीदार को सस्पेंड कर दिया है. उत्पाद विभाग की टीम लगातार छापेमारी कर रही है और तीन घरों को सील कर चार धंधेबाजों को गिरफ्तार कर चुकी है. उन्होंने कहा, "संदिग्ध परिस्थितियों में 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि चार अन्य बीमार हैं. जिले में 24 घंटे में 60 जगहों पर छापेमारी कर 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दस एफआईआर दर्ज की गई हैं."
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
पश्चिम चंपारण जिले के नौतन थाना अंतर्गत दक्षिणी तेल्हुआ गांव में कुछ लोगों ने बुधवार की शाम को देसी शराब का सेवन किया था. देर रात हालत बिगड़ने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और शुक्रवार तक 15 लोगों ने दम तोड़ दिया. हालांकि पुलिस संदिग्ध परिस्थितियों में आठ लोगों की मौत की बात कह रही है. गुरुवार को भी यहां नौ लोगों की मौत हुई थी. इस जिले में चार माह के अंदर दूसरी बार शराब पीने से लोगों की मौत हुई है. मरने वाले सभी लोग दक्षिणी तेल्हुआ पंचायत के वार्ड नंबर-2, 3, 4 के रहने वाले हैं. ग्रामीणों के साथ परिजन जहरीली शराब पीने से इनलोगों की मौत होने की बात कह रहे हैं. गांव की निर्मला देवी कहतीं हैं, "नौतन के थाना प्रभारी को स्वयं फोन कर बताया था कि गांव में शराब बेची जाती है. शराब पीने से मना करने पर मर्द नहीं मानते हैं. पीकर औरतों के साथ मारपीट करते हैं. मर्द जो कमाते हैं, सब पी जाते हैं. हमारी कोई मदद नहीं करता. हम कुछ नहीं कर पा रहे. दीपावली के दिन यह देखने को मिल रहा है."
शराब पीने से चल बसे इसी गांव के महाराज यादव के बेटे परमेश्वर यादव कहते हैं, "इनलोगों ने गांव के बगल में चमटोली में शराब पी थी. रात में बेचैनी-उल्टी हुई. बेतिया ले जाने के दौरान रास्ते में ही मौत हो गई." पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह पता चल सकेगी. जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने मामले को संदिग्ध बताते हुए कहा है कि मामले की जांच की जा रही है. मेडिकल टीम इलाके में मौजूद है. बताया जाता है कि जिले में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और शराब की खरीद-बिक्री जोरों पर है. जिले का नौतन प्रखंड राज्य के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद का गृह प्रखंड है जबकि पश्चिमी चंपारण जिला, राज्य की उपमुख्यमंत्री रेणु कुमारी तथा प्रदेश भाजपाध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का गृह जिला है.
मौतों पर राजनेताओं के बेतुके बोल
शराब से हुई मौतों पर राजनीति भी हो रही है. राज्य के खनन व भूतत्व मंत्री जनक राम ने कहा है कि यह विपक्ष की साजिश है. राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए लोगों को साजिश के तहत शराब पिलाई गई है. वहीं पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा है कि सरकार आखिर कहां-कहां और किस-किस गांव में पुलिस रखेगी. जो लोग शराब पीते हैं, उनके घरवालों को सूचना देनी चाहिए कि उनके घरवाले अमुक जगह पर शराब पीते हैं. इस पर जब कार्रवाई नहीं होती तब सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता था. वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद ने शराब से लोगों की मौत पर कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संवेदना में दो शब्द भी नहीं कहेंगे क्योंकि इससे उनके द्वारा संरक्षित शराब माफिया नाराज हो जाएगा. जबकि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि बिहार में कागजों में शराबबंदी है, अन्यथा खुली छूट है.
आंकड़े बताते हैं कि राज्य में कई चरणों में चल रहे पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के दौरान देसी शराब बनाने और बेचने का सिलसिला तेज हो गया है. बीते एक सितंबर से तीन नवंबर तक प्रदेशभर में तीन करोड़ 38 लाख लीटर शराब जब्त की गई है और एक लाख से अधिक शराब की भट्ठियां तोड़ी गईं हैं. इस हिसाब से प्रत्येक जिले का आंकड़ा शराब की औसतन 25 से अधिक भट्ठियों का पड़ता है. जानकार इतनी बड़ी मात्रा में अवैध शराब निर्माण की वजह पंचायत चुनाव को मान रहे हैं. वोटरों को पक्ष में करने के लिए शराब बांटने की बात कही जा रही है. शराब की बोतलों तथा दूसरे राज्य के पकड़े गए लोगों के साथ फोटो खिंचवा कर अपनी पीठ थपथपाने वाले अधिकारियों को यह सोचने की जरूरत है कि यह उनकी उपलब्धि नहीं, बल्कि असफलता है. अगर सिलसिला यूं ही चलता रहा तो न जाने कितनों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ेगी.