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दिल्ली ने फिर लगाया पटाखों पर प्रतिबंध

१७ सितम्बर २०२१

दिल्ली सरकार ने पटाखों के भंडारण, इस्तेमाल और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. दीवाली के त्योहार के दौरान प्रदूषण को बढ़ने से रोकने के मद्देनजर यह फैसला किया गया है. मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर यह जानकारी दी.

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तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है. दिल्ली में वायु प्रदूषण की डराती हुई तस्वीरें अक्सर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोरती हैं. सितंबर महीने के आखिर से हर साल दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता खराब हने लगी है क्योंकि उस दौरान हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान फसलों की कटाई के बाद खेतों को साफ करने के लिए आग लगा देते हैं.

पिछले साल अक्टूबर और इस साल जनवरी के बीच के तीन महीनों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर दुनिया में सबसे खराब दर्ज किया गया था.

‘ताकि जानें बचाई जा सकें'

इस प्रदूषण को बढ़ाने में दीवाली के आसपास फोड़े और जलाए जाने वाले पटाखे भी भूमिका निभाते हैं. इसलिए दिल्ली सरकार ने पटाखों को प्रतिबंधित रखने का फैसला किया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा, "पिछले तीन साल से दीवाली के दौरान दिल्ली में प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए, पिछले साल की तरह पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है... ताकि लोगों की जानें बचाई जा सकें.”

दिल्ली में पिछले साल भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन अधिकारियों को उसे लागू कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. कई हिंदू संगठनों ने उस प्रतिबंध का विरोध किया था. बड़ी संख्या में लोगों ने बैन का उल्लंघन करते हुए पटाखे फोड़े थे जिसका असर 1.8 करोड़ लोगों के शहर दिल्ली की हवा पर काफी बुरा हुआ था.

ध्वनि प्रदूषण से परेशान दिल्ली

केजरीवाल ने कहा कि दीवाली आने से काफी समय पहले ही प्रतिबंध लागू कर दिया गया है ताकि व्यापारी इनके भंडार जमान कर पाएं.

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जबकि कोरोनावायरस से पहले से जूझ रहे देश में प्रदूषण के स्तर को अतिरिक्त स्वास्थ्य संबंधी खतरा माना जा रहा है.

प्रदूषण और किसान

सितंबर महीन के पहले दो हफ्तों में दिल्ली की हवा में खतरनाक पीएम2.5 पार्टिकल्स का औसत स्तर 30.74 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह स्तर 25 तक ही सुरक्षित माना जाता है. भारत में पर्यावरण प्रदूषण की निगरानी करने वाली संस्था सफर (SAFAR) के मुताबिक 60 का स्तर सुरक्षित है.

कुछ भारतीय राज्यों ने किसानों के खेतों में आग ना लगाने के लिए भी कड़े प्रबंध किए हैं. पिछले दो साल से हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा कटाई के बाद खेतों में आग लगाना बड़ा मुद्दा बन रहा है. इस कारण दिल्ली ने भी अपने यहां के प्रदूषण के लिए राज्यों को जिम्मेदार बताया था.

प्लास्टिक के खिलाफ जंग

इसके चलते आग लगाने वाले किसानों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया था. हालांकि उत्तर प्रदेश ने कहा है कि आग लगाने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी. अगस्त में यूपी के अधिकारियों ने कहा था कि किसानों पर खेतों में आग लगाने के मुकदमों को वापस लिया जाएगा. उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं और सरकार के इस ऐलान को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है.

वीके/सीके (रॉयटर्स)