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डेल्टा के खिलाफ कोरोना वैक्सीनें कितनी असरदार

१६ जुलाई २०२१

ब्रिटेन में दो वैक्सीन लेने के बावजूद 100 से ज्यादा लोग कोविड-19 से मारे गए हैं. कुछ ऐसे ही मामले अन्य देशों में भी सामने आ रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इसके लिए डेल्टा वैरिएंट और लापरवाही जिम्मेदार है.

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बार्सिलोना में म्यूजिक फेस्टिवल में भारी भीड़
बार्सिलोना में म्यूजिक फेस्टिवल में भारी भीड़तस्वीर: Marta Perez/Agencia EFE/imago images

ब्रिटेन में कोविड के डेल्टा वैरिएंट के कारण 259 लोग मारे जा चुके हैं. मृतकों में 116 लोग ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन की दो डोजें लगी थीं. ये जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आने वाले विभाग पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) ने दी है.

भारत में भी ऐसे मामले सामने आए हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोरोना से संक्रमित हुए ऐसे 677 लोगों नमूनों की जांच की, जिन्हें कोविशील्ड की एक या दोनों वैक्सीनें लग चुकी थी. वैक्सीन के बावजूद संक्रमित होने वालों में 86 फीसदी मामले डेल्टा वैरिएंट के थे. इनमें से 10 फीसदी से भी कम लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. मृतकों की संख्या 0.4 फीसदी बताई जा रही है.

अमेरिका में वैक्सीनेशन के बावजूद मृतकों की संख्या काफी ज्यादा है. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक वैक्सीन लेने के बाद भी कोविड की वजह से दम तोड़ने वालों की संख्या 750 से ज्यादा है. 

भीड़ भाड़ वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और मास्क पहनने में लापरवाही को भी इसका एक अहम कारक बताया जा रहा है.

यूरो 2020 के फाइनल के दौरा स्टेडियम में बेमास्क भीड़
गुम होती सोशल डिस्टेंसिंगतस्वीर: Laurence Griffiths/REUTERS

वैक्सीन लगाना बहुत जरूरी

इन आंकड़ों के बावजूद वैक्सीन के असर को खारिज नहीं किया जा सकता. क्लीनिकल ट्रायलों के बाद भी यह बात साफ कही गई थी कि कोई भी वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ 100 फीसदी असरदार नहीं है. भारत, ब्रिटेन और अमेरिका के आंकड़े भी दिखाते हैं कि वैक्सीनों ने कोरोना से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया है. साथ ही अस्पताल  में भर्ती होने का रिस्क भी घटाया है.

जर्मनी के एक मशहूर वायरोलॉजिस्ट क्रिस्टियान ड्रॉस्टेन के मुताबिक, डबल वैक्सीनेशन के बाद भी कोविड से मरने वालों की गहन जांच होनी चाहिए. मृत्यु का असली कारण और प्रक्रिया समझनी जरूरी है.

जर्मनी के हैनोवर मेडिकल कॉलेज में इम्यूनोलॉजी के एक्सपर्ट गियोर्ग बेरेंस कहते हैं, "वैक्सीन बहुत अच्छे ढंग से बचाव करती है. 100 फीसदी सुरक्षा तो कोई भी वैक्सीन नहीं देती है." 

आफत बना डेल्टा वैरिएंट

विज्ञान पत्रिका नेचर में छपे एक हालिया शोध के मुताबिक बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ काफी असरदार है. लेकिन इस्राएल का डाटा बता रहा है कि ये वैक्सीन जितनी असरदार दूसरे वैरिएंटों के खिलाफ थी, उतना असर डेल्टा पर नहीं कर पा रही है. इस्राएल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक डेल्टा इंफेक्शन को पूरी तरह रोकने में बायोनेटेक-फाइजर वैक्सीन 64 फीसदी कारगर है.

इस सबके बावजूद टीके के कारण 93 फीसदी लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ने और अस्पताल में भर्ती होने से बचे हैं. इस्राएल के स्वास्थ्य विभाग ने डीडब्ल्यू के पूछे जाने पर इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी.

15 जुलाई 2021 तक दुनिया भर में वैक्सीनेशन की दर
15 जुलाई 2021 तक दुनिया भर में वैक्सीनेशन की दर

फाइजर और मॉर्डेना को लेकर चेतावनी

इस्राएल और कनाडा के बाद अमेरिका में भी बायोनटेक-फाइजर और मॉडेर्ना की वैक्सीन का एक साइड इफेक्ट सामने आ रहा है. एमआरएनए तकनीक से बनाई गई इन वैक्सीनों को लेने वाले कुछ किशोरों और युवा वयस्कों में दिल की सूजन के मामले सामने आए हैं. अमेरिकी सेना के मुताबिक जिन 23 सैनिकों में हार्ट इंफ्लेमेशन के मामले सामने आए उनकी औसत उम्र 25 साल है.

इन रिपोर्टों के बाद अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बायोनटेक-फाइजर और मॉर्डेना की वैक्सीन पर दुर्लभ मामलों में हार्ट इंफ्लेमेशन की चेतावनी लगाने एलान किया है. 

ओएसजे/एमजे  (रॉयटर्स, एपी)