कोविड के खिलाफ कुछ कामयाबियां
कोविड के खिलाफ वैज्ञानिकों का संघर्ष जारी है. दुनिया भर के वैज्ञानिक अलग-अलग दिशाओं में शोध कर रहे हैं ताकि वायरस को बेहतर समझा जा सके और उससे लड़ा जा सके. जानिए, हाल की कुछ सफलताओं के बारे में.
स्मेल से कोविड टेस्ट
कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर अक्सर मरीज की सूंघने की शक्ति चली जाती है. अब वैज्ञानिक इसे कोविड का पता लगाने की युक्ति बनाने पर काम कर रहे हैं. एक स्क्रैच-ऐंड-स्निफ कार्ड के जरिए कोविड का टेस्ट किया गया और शोध में सकारात्मक नतीजे मिले. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नाक से स्वॉब लेकर टेस्ट करने से बेहतर तरीका हो सकता है.
मां के दूध में वैक्सीन नहीं
कोविड वैक्सीन के अंश मां के दूध में नहीं पाए गए हैं. टीका लगवा चुकीं सात महिलाओं से लिए गए दूध के 13 नमूनों की जांच के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह वैक्सीन किसी भी रूप में दूध के जरिए बच्चे तक नहीं पहुंचती.
नाक से दी जाने वाली वैक्सीन
कोविड-19 की एक ऐसी वैक्सीन का परीक्षण हो रहा है, जिसे नाक से दिया जा सकता है. इसे बूंदों या स्प्रे के जरिए दिया जा सकता है. बंदरों पर इस वैक्सीन के सकारात्मक नतीजे मिले हैं.
लक्षणों से पहले कोविड का पता चलेगा
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीन का पता लगाया है जो कोविड के साथ ही मनुष्य के शरीर में सक्रिय हो जाता है. कोविड के लक्षण सामने आने से पहले ही यह जीन सक्रिय हो जाता है. यानी इसके जरिए गंभीर लक्षणों के उबरने से पहले भी कोविड का पता लगाया जा सकता है. छह महीने चले अध्ययन के बाद IF127 नामक इस जीन का पता चला है.
कैंसर मरीजों पर वैक्सीन का असर
एक शोध में पता चला है कि कैंसर का इलाज करवा रहे मरीजों पर वैक्सीन का अच्छा असर हो रहा है. हालांकि एंटिबॉडी के बनने में वक्त ज्यादा लग रहा था लेकिन दूसरी खुराक मिलने के बाद ज्यादातर कैंसर मरीजों में एंटिबॉडी वैसे ही बनने लगीं, जैसे सामान्य लोगों में.
कोविड के बाद की मुश्किलें
वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि जिन लोगों को कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें से लगभग आधे ऐसे थे जिन्हें ठीक होने के बाद भी किसी न किसी तरह की सेहत संबंधी दिक्कत का सामना करना पड़ा. इनमें स्वस्थ और युवा लोग भी शामिल थे. 24 प्रतिशत को किडनी संबंधी समस्याएं हुईं जबकि 12 प्रतिशत को हृदय संबंधी.