कोविड-19: लाखों लोगों के लिए बिजली हुई महंगी
७ जून २०२१स्थायी ऊर्जा पर नजर निगरानी रखने वाली संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि प्रभावित लोगों में से दो-तिहाई उप-सहारा अफ्रीका में हैं, जिससे क्षेत्र में बिजली तक की पहुंच में असमानता बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में कोविड-19 संकट ने नौकरियों और आय को प्रभावित किया है जिससे पंखे चलाने, बत्ती जलाने, टीवी और मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए आवश्यक बिजली सेवाओं के भुगतान के लिए लाखों लोगों ने संघर्ष किया. इससे पिछले दशक में हुई प्रगति को संकट पैदा हुआ है, जिस दौरान 2010 से करीब एक अरब लोगों ने बिजली तक पहुंच हासिल की थी. इसी प्रगति में 2019 में दुनिया की 90 फीसदी आबादी को जोड़ा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र समर्थित लक्ष्य को महामारी ने प्रभावित किया है, उस लक्ष्य के तहत सभी के पास 2030 तक बिजली पहुंचनी थी. रिपोर्ट कहती है कि अफ्रीका में जहां पिछले छह सालों में बिना बिजली वाले घरों की संख्या कम हो रही थी वहीं 2020 में इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई. विश्व बैंक में ऊर्जा के लिए वैश्विक निदेशक दिमित्रियोस पापथानासियौ के मुताबिक, "बिजली तक पहुंच विकास के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर कोविड-19 के प्रभावों को कम करने और आर्थिक बढ़त हासिल करने के संदर्भ में." उन्होंने ध्यान दिलाया कि दुनिया में करीब 75.9 करोड़ लोग अब भी बिना बिजली के रहते हैं, उनमें से आधे कमजोर और संघर्षग्रस्त देशों में हैं.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र संघ आर्थिक और सामाजिक विभाग, विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान और नियोजित नीतियों के तहत अनुमानित 66 करोड़ लोगों के पास 2030 तक बिजली की पहुंच नहीं होगी.
दुनिया की आबादी का लगभग एक तिहाई या 2.6 अरब लोगों के पास 2019 में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच नहीं थी. रिपोर्ट में कहा गया कि एशिया के बड़े हिस्से में बढ़त के बावजूद ऐसे ही देखा गया. उप-सहारा अफ्रीका में समस्या सबसे गंभीर है, जहां अब भी लोग खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल, कोयला और लकड़ी जैसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं जो प्रदूषण फैलाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी खतरनाक हैं.
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)