अमेरिका के टेक्सस राज्य में गर्भपात पर रोक से चिंताएं
१७ सितम्बर २०२१अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े राज्य, टेक्सस के एक नये कानून के तहत प्रेग्नेंसी के छह सप्ताह बाद गर्भपात कराना मना है. जानकार कहते है कि औरतों के लिए विकल्पों को सीमित करने से उनकी मानसिक सेहत पर भी गलत असर पड़ेगा.
टेक्सस के इस नये गर्भपात कानून को "हार्टबीट बिल” नाम दिया गया है. डीडब्लू से अपने निक नेम के साथ बात करने पर सहमत, पेशे से वित्तीय सलाहकार सैम जब गर्भवती हुई थीं तो उन्हें पता था कि उन्हें क्या करना है. वह बताती हैं, "एक रात के कैजुअल सेक्स के कुछ हफ्तों बाद एक रोज मैं सुबह अलसाई हुई साथ उठी तो मैंने फौरन प्लैन्ड पेरेंटहुड में मिलने का समय ले लिया.”
वह साल था 1982 जब सैम 19 साल की थीं और टेक्सस यूनिवर्सिटी की छात्रा थीं. अपना करियर गंवाने का उनका कोई इरादा नहीं था. वह कहती हैं, "मुझे साफतौर पर पता था कि मुझे क्या चाहिए. मेरे तो ख्याल में कभी प्रेग्नेंट हो जाने की बात नहीं आई, कॉलेज छोड़ना तो दूर की बात थी. मुझे गर्भपात कराना था.”
39 साल पहले के टेक्सस में सैम के सामने बस एक ही समस्या थी- पैसे की. अपनी मां से उन्होंने मांगे नहीं, "इसलिए नहीं कि मुझे डर था कि मां न जाने क्या सोचेगी, क्या कहेगी बल्कि इसलिए कि मैं उनका दिल नहीं दुखाना चाहती थी. मैं सोचती थी कि शायद वह उदास हो जाती कि मैं शिशु को रखना नहीं चाहती थी.”
सैम ने उस बार मालिक से मदद मांगी जहां वह अपने दोस्तों के साथ अक्सर जाया करती थी. उसने सैम को 300 डॉलर दे दिए ( आज के रेट में 255 यूरो और 22 हजार रुपये.) वो कार चलाकर क्लिनिक पहुंचीं, अबॉर्शन कराया और घर आ गईं.
सैम के मुताबिक, "उस समय ये सवाल कहीं था ही नहीं कि मुझमें ताकत या क्षमता और कोई कानूनी आधार है या नहीं.” लेकिन टेक्सस में आज औरतों के लिए हालात बिल्कुल बदले हुए नजर आते हैं.
टेक्सस का कुख्यात "हर्टबीट बिल”
इस साल एक सितंबर से अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े राज्य में सीनेट बिल 8 अमल में आ गया था. इसे "हर्टबीट बिल” भी कहा जाता है क्योंकि भ्रूण के दिल में जरा भी हरकत के शुरू होते ही गर्भपात की मनाही हो जाती है. ऐसा आमतौर पर छठे हफ्ते के आसपास होता है.
हो सकता है, कई औरतों को उस समय पता न चल पाता हो कि वे गर्भवती हैं. नये टेक्सस कानून में कुछ अपवाद भी हैं. जिन महिलाओं को बलात्कार या अपने किसी सगे-संबंधी से यौन संबंध बन जाने के बाद गर्भ ठहरता है तो उन स्थितियों में गर्भपात की अनुमति नहीं है. गर्भावस्था को पेचीदा बना सकने वाली डायबिटीज जैसी बीमारियों के मामलों में भी कानून का अपवाद नहीं है.
गर्भपात तभी कराया जा सकता है जब औरत को जिंदगी का जोखिम हो या फिर गर्भावस्था से उसे गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंच सकता हो.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया था. उसके बाद अमेरिकी कानून विभाग ने कानून को अमल में आने से रोकने के लिए टेक्सस राज्य की सरकार पर मुकदमा कर रखा है. लेकिन ये रिपोर्ट लिखने तक कानून अपनी जगह कायम है- और अबॉर्शन को लेकर टेक्सस, सबसे कड़े प्रतिबंधों वाला अमेरिकी राज्य बन गया है.
गर्भपात के बाद अफसोस की भावना
जानकारों का कहना है कि इस तरह से प्रेग्नेंट व्यक्ति के विकल्पों को सीमित करना उनकी मानसिक सेहत के लिए निर्णायक हो सकता है.
स्त्री-रोग विशेषज्ञ और साइकोथेरेपिस्ट हाइके माकोशे-वाइस कहती हैं, "मनौवैज्ञानिक ढंग से कहें तो एक व्यक्ति अपने फैसले खुद लेना चाहता है.” गर्भावस्था के मामले में ये फैसला गर्भ रखने या न रखने को लेकर है.
माकोशे-वाइस का पेशेवर अनुभव बताता है कि कुछ औरतें गर्भपात के बाद इस भावना से जूझती पाई जाती हैं कि अपने दूसरे विकल्पों के बारे में सोचने का समय उनके पास नहीं था.
उन्होंने डीडब्लू को बताया, "अगर एड-हॉक किस्म का फैसला करना पड़े, या उन्हें महसूस हो कि उनके साथ ऐसा हो गया तो लोगों को इससे डील करने में दिक्कतें आती हैं.” वे "अगर ऐसा या वैसा कुछ हुआ” जैसे द्वंद्व और सवालों में घिरे रह सकते हैं.
वे औरतें जो हड़बड़ी में नहीं रहतीं और अपने फैसले पुख्ता ढंग से कर पाती हैं, "अफसोस का एक फेज तो उनमें भी आ जाता है.” माकोशे-वाइस के मुताबिक, "ये नॉर्मल बात है. गर्भपात के बाद जिंदगी के एक झटके में बिखर जाने के डर से छुटकारा पाने की एक राहत जैसी भावना भी महसूस होती रहती है.”
गर्भपात से सदमा पहुंचने का डर
अमेरिका का गर्भपात विरोधी स्वयंभू ईसाई संगठन "फोकस ऑन द फैमिली” गर्भपात को एक "सदमा” बताता है. अपनी वेबसाइट में लिखी एक पोस्ट में संगठन कहता है कि "गर्भपात कराने वाली कई औरतें दर्दनाक ख्यालों और भावनाओं को ठीक से जज्ब नहीं कर पाती हैं- खासकर ग्लानि, गुस्से और अफसोस को- जो गर्भपात कराने के बाद दिलोदिमाग में घुमड़ सकते हैं. वे अपने नुकसान को पहचानना तो दूर उसके लिए ठीक से दुख भी नहीं जता पातीं.” इस लेख में गर्भपात के बाद भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक दबाव के लक्षणों का भी उल्लेख है जिनमें खाने-पीने से जुड़ा डिसऑर्डर, नशे की लत, अवसाद, और पार्टनर या बच्चों से रिश्ते बनाए रखने में दिक्कत आने जैसी चीजें शामिल हैं.
लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञता रखने वाली अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन अपनी वेबसाइट में प्रकाशित अध्ययनों का हवाला देती हुई बताती है कि "अबॉर्शन कराने से औरतों में अवसाद, चिंता या पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) का जोखिम नहीं बढ़ता है.”
1996 से प्रसवपूर्व मामलों को देखती आ रहीं डॉक्टर माकोशे-वाइस भी इस बात से सहमत हैं.
टेक्सस कानून का जिक्र करते हुए वह कहती हैं कि "ये पूरी तरह बकवास है कि प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने से हमेशा सदमा ही पहुंचेगा. असहाय रह जाने और किसी दूसरे पर निर्भर हो जाने का बोध, कहीं ज्यादा बुरा है.”
इस लेख की शुरुआत में हमारी मुलाकात सैम से हुई थी. उन्होंने हमें बताया कि 1982 में गर्भपात करा लेने के बाद उन्हें बस राहत ही राहत महसूस हुई, कोई दुख या अफसोस नहीं.
उनका कहना है कि उन्हें पूरी प्रक्रिया से ना तो कई आघात लगा था और ना ही अपने फैसले पर उन्हें कभी अफसोस हुआ. सैम के मुताबिक "एक ही तनाव मुझे उस वक्त महसूस होने का ध्यान है कि मैंने अपने परिवार से वह बात छिपाई थी.”
मानसिक स्वास्थ्य कल्याण की बढ़ती मांग
डेमोक्रैट नेता और मनोविज्ञान की प्रोफेसर एलिज मार्कोवित्ज मानती हैं कि इस कानून से टेक्सस में मानसिक सेहत की देखरेख की मांग में तेजी आएगी. टेक्सस के गर्वनर ग्रेग एबट के कार्यकाल में ये कानून मई में पास हुआ था.
उस समय मार्कोवित्स ने कई सारे ट्वीट किए थे. उन्होंने उन सारी स्थितियों का उल्लेख किया था जब औरतें गर्भपात कराती हैं, महिलाओं को अपना फैसला खुद करने का कानूनी आधिकार देने की जरूरत वाले ट्वीट भी उन्होंने किए थे.
एक ट्वीट कुछ इस तरह से है, "मैं सूजन के साथ हूं जिस पर अपने काम से घर लौटते वक्त यौन हमला हो गया था. उसे एक महीने बाद इस बात की भयानकता का पता चला कि उस जालिम के हमले में वो प्रेग्नेंट हो गई थीं.”
एक और ट्वीट कुछ यूं था, "मैं नहीं के पक्ष में हूं जो महसूस करती है कि बच्चे को पालनेपोसने के लिए वह वित्तीय, भावनात्मक या शारीरिक रूप से समर्थ नहीं है.”
मार्कोवित्स कहती हैं कि गर्भावस्था किसी के लिए आनंद का समय होता है, लेकिन उससे शारीरिक जोखिम भी हो सकते हैं जैसे कि डायबिटीज या हाइपरटेंशन और अवसाद और चिंता जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं आ सकती हैं. बच्चे को जन्म देना भी मां और शिशु दोनों के लिए खतरा हो सकता है.
मार्कोवित्स ने एक संदेश में डीडब्लू को लिखा, "सार ये है कि व्यक्तियों को शारीरिक और मानसिक सेहतों से जुड़ी समस्याएं झेलनी होंगी और दूसरे बाहरी कारकों का भी दबाव होगा जैसे नौकरी, पैसा, परिवार, प्रेम-संबंध, प्रेग्नेंसी से जुड़ी निजी भावनाएं और जाहिर है बच्चे की देखभाल.”
"मैं सोचती हूं कि गर्भ न गिराने की जर्बदस्ती के चलते बहुत सारे मनोवैज्ञानिक नतीजे होते हैं.”
महिलाएं फिर भी गर्भपात कराएंगी
डीडब्लू ने सैम को पूछा कि 1982 में अगर टेक्सस में गर्भपात पर रोक होती तो वो क्या करतीं.
एक पल के लिए वह चुप हो गईं, फिर बोल उठीं, "मुझे लगता है कि मैं विरोध करती. मैं कोई जगह ढूंढ लेती और कैसे भी गर्भपात करा लेती.”
कानून के विरोधियों को चिंता है कि आज औरतें ठीक यही सोचने पर विवश होंगी. उन्हें डर है कि कुछ औरतें अगर गर्भ गिराने के लिए वाकई बेहद परेशान हों तो वे गैरकानूनी विकल्पों का रुख करेंगी. गैरकानूनी ढंग से गर्भपात कराने वाले लोग प्रशिक्षित नहीं होते हैं. जिन जगहों पर यह काम होता है वे भी साफ-सुथरी और सैनिटाइज्ड नहीं होती हैं. इससे औरतों के लिए खतरा और हो सकता है.
रिपोर्टः कार्ला ब्लाइकर