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ताबूत बनाने वाले पर अंतरिक्ष से बरसी दौलत

ओंकार सिंह जनौटी
१९ नवम्बर २०२०

घर की छत में बड़ा छेद हो चुका था और जमीन पर एक गर्म पत्थर पड़ा हुआ था. इसी पत्थर ने इंडोनेशिया के एक शख्स पर छप्पर फाड़ दौलत बरसा दी.

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अनंत रहस्यों से भरा है ब्रह्मांडतस्वीर: Reuters/O. Teofilovski

इंडोनेशिया के कोलांग शहर में रहने वाले जोशुआ हुटागालुंग ताबूत बनाने का काम करते हैं. कुछ ही दिन पहले दोपहर के वक्त तेज आवाज के साथ जोशुआ की छत में छेद हो गया. थोड़ी देर बाद जोशुआ ने आंगन में एक गड्ढा देखा. गड्ढे में स्लेटी रंग का एक चट्टानी टुकड़ा था. जोशुआ ने जब उसे छुआ तब भी वह टुकड़ा तप रहा था.

इसके बाद 33 साल के जोशुआ ने 2.1 किलोग्राम भारी इस टुकड़े के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की. तभी उन्हें पता चला कि हजारों किलोमीटर दूर मेक्सिको में भी एक शख्स के साथ ऐसी घटना घटी. चट्टान का टुकड़ा ब्रह्मांड से गिरे किसी क्षुद्र ग्रह का टुकड़ा था. जांच में पता चला कि क्षुद्र ग्रह का टुकड़ा 4.5 अरब साल पुराना है. वह टुकड़ा 10 लाख पेसो में बिका.

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कई तरह के हो सकते हैं ये पिंडतस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Woitas

आंगन में गिरे पत्थर की अहमियत जानने के बाद जोशुआ ने फेसबुक पर कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं. इस दौरान अमेरिकी क्षुद्र ग्रह विशेषज्ञ जैरेड कॉलिंस ने जोशुआ से संपर्क किया. रिपोर्टों के मुताबिक ये टुकड़ा भी 4.5 अरब साल पुराना है. जांच में पुष्टि होने के बाद कॉलिंस ने जोशुआ को उस टुकड़े के लिए 10 लाख पाउंड से ज्यादा दिए.

जोशुआ कहते हैं कि उन्हें पूरी जिंदगी के लिए पर्याप्त पैसा मिल चुका है. इस रकम से अब वह आराम की जिंदगी जीना चाहते हैं और अपने समुदाय के लिए एक चर्च बनाना चाहते हैं.

इस पूरी घटना के बारे में कॉलिंस कहती हैं, "मेरा फोन बजा और मुझे इंडोनेशिया जाकर एक क्षुद्र ग्रह का टुकड़ा खरीदने से जुड़े कई ऑफर मिलने लगे. ये सब कोरोना के हाहाकार के बीच हो रहा था. मेरे सामने दो विकल्प थे, एक तो मैं इसे अपने लिए खरीदूं या फिर अमेरिका वैज्ञानिकों और संग्रहकर्ताओं के लिए."

पैसा जुटाने के बाद कॉलिंस इंडोनेशिया गईं और वहां जाकर उन्होंने जोशुआ को खोज लिया. कॉलिंस कहती हैं, "जोशुआ मोल भाव के मामले में बहुत की कड़े थे." इंडोनेशिया से लौटकर कॉलिंस ने क्षुद्र ग्रह के टुकड़े को एक अमेरिकी कलेक्टर को बेच दिया. फिलहाल उसे एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के मेटेराइट स्टडीज सेंटर में रखा गया है.

Indien Meteoritfund in Madhubani
2019 में बिहार के मधुबनी जिले में भी गिरा था ऐसा ही एक पिंडतस्वीर: IANS

इंडोनेशिया की नेशलल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एजेंसी के निदेशक थोमस दजमालुद्दीन ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा कि ये बहुत ही दुर्लभ घटना है, "ज्यादातर उल्का पिंड आबादी से बहुत दूर महासागरों, जंगलों या फिर रेगिस्तानों में गिरते हैं."

ब्रह्मांड में कितना मैटर और कितना डार्क मैटर

आम तौर अंतरिक्ष से हर दिन बड़ी संख्या में उल्का पिंड धरती की तरफ आते हैं. ज्यादातर छोटे पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते वक्त तेज संघर्ष से पैदा होने वाली अथाह गर्मी में भस्म हो जाते हैं. कुछ ही पिंड या क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े संघर्ष और ताप के बावजूद पृथ्वी की सतह तक पहुंच पाते हैं.