पत्रकार का ईरानी राष्ट्रपति के सामने हिजाब पहनने से इनकार
२३ सितम्बर २०२२अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन के मुताबिक इंटरव्यू की लंबे समय से योजना थी लेकिन इंटरव्यू शुरू होने से करीब 40 मिनट पहले ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने मांग की कि महिला पत्रकार क्रिस्टियान अमनपोर हिजाब पहनें. इसके बाद जो कुछ हुआ, उसके बारे में सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर क्रिस्टियान अमनपोर ने लिखा, "मैंने विनम्रता से इनकार कर दिया. हम न्यूयॉर्क में हैं, जहां हिजाब को लेकर कोई कानून या परंपरा नहीं है."
सीएनएन के लिए अंतरराष्ट्रीय मामले कवर करने वाली महिला पत्रकार अमनपोर का यह इनकार रईसी नहीं झेल सके और उन्होंने इंटरव्यू देने से मना कर दिया. अमनपोर खुद ईरानी मूल की हैं. उनके पिता ईरानी थे. ब्रिटेन में पैदा हुई अमनपोर की परवरिश तेहरान में हुई है. वह धाराप्रवाह फारसी बोलने के लिए भी जानी जाती हैं. अमनपोर ईरान के पूर्व और उदारवादी माने जाने वाले राष्ट्रपति हसन रोहानी का बिना हिजाब के इंटरव्यू कर चुकी हैं.
अमेरिकी महिला पत्रकार पहले कई बार खाड़ी और मध्य पूर्व जाकर नेताओं का इंटरव्यू कर चुकी हैं, तब उन्होंने स्थानीय कानूनों का सम्मान करते हुए हिजाब कहा जाने वाला हेडस्कार्फ पहना था. इस बार उन्होंने न्यूयॉर्क में हिजाब पहनने से इनकार करते जता दिया कि अमेरिका में ईरानी कानून और अति रुढ़िवादी ईरानी राष्ट्रपति मनमर्जी नहीं चलेगी. इसके साथ ही अमनपोर ने एक बड़ा संकेत भी दिया है.
ईरान: महसा अमीनी की मौत पर यूएन ने जांच की मांग की
जिंदगी पर भारी पड़ा हिजाब
ईरान में बीते कुछ दिनों ने हिजाब के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों की शुरुआत 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद हुई. कुर्दिस्तान प्रांत के साजिक शहर से महसा अपने परिवार के साथ ईरान की राजधानी तेहरान आई थीं. तेहरान में नैतिक पुलिस ने महसा को बिना हिजाब के देख लिया और हिरासत में ले लिया. परिवार का आरोप है कि हिरासत में महसा की इतनी पिटाई की गई कि वह बुरी तरह जख्मी हो गई, बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई. ईरान सरकार का कहना है कि महसा की मौत हार्ट अटैक से हुई.
कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हिरासत केंद्र के बाहर महसा के भाई को अपनी बहन की चीख सुनाई पड़ी. हिरासत केंद्र में रखे गए कुछ अन्य लोगों ने भी एक महिला की पिटाई का जिक्र किया. महसा को जब अस्पताल में भर्ती किया गया तब उनके कान से खून बह रहा था. डॉक्टरों के मुताबिक सिर पर गंभीर चोट की वजह से कान से खून बह सकता है.
हिजाब विरोधी प्रदर्शन
ईरान में इस्लामिक क्रांति के दौरान 7 मार्च 1979 को अयातोल्लाह रुहोल्ला खोमेनी ने दफ्तरों और सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के लिए हिजाब को अनिवार्य कर दिया. फरमान में कहा गया कि सिर नहीं ढंकने वाली महिला को "नग्न "समझा जाएगा. इसके बाद से ही ईरान में समय समय पर हिजाब के खिलाफ महिलाएं प्रदर्शन करती आ रही हैं. महसा की मौत के बाद ईरान और दुनिया के दूसरे देशों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरान के कुछ शहरों में जहां महिलाओं ने हिजाब जला दिये, वहीं तुर्की में रह रही ईरानी मूल की महिलाओं ने अपने बाल काट दिए और हिजाब को फेंक दिया.
ईरान के मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के सामने हिजाब पहनने से इनकार करते हुए अमनपोर ने सांकेतिक रूप से ईरानी महिलाओं के प्रदर्शन का समर्थन किया है. महसा की मौत का मामला यूएन महासभा में भी गूंजा. बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव और महिला अधिकारों को लेकर लगते अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ईरान महसा की मौत की उच्च स्तरीय जांच कराने का एलान किया है.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)