चीन को सैन्य ताकत बना रहे हैं जर्मनी से लौटे वैज्ञानिक
१७ जून २०२३पोडियम को गुलाबी और सफेद प्लास्टिक के फूलों से सजाया गया है. इसके पीछे खड़ा चीनी व्यक्ति उस लेजर रडार सिस्टम के बारे में विस्तार से बता रहा है जिसकी मदद से दुश्मन सेना को चकमा देने में माहिर स्टील्थ एयरक्राफ्ट का पता लगाया जा सकता है. 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण दर्शक बातचीत करने के लिए वर्चुअल तौर पर जुड़े हैं.
शिनजियांग एसोसिएशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने चीनी क्वांटम अनुसंधान क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को दिखाने के लिए इस ऑनलाइन सेशन का आयोजन किया. इस सेशन में हिस्सा ले रहा एक युवा प्रतिभागी यह जानने के लिए काफी उत्सुक है कि शिनजियांग के लिए यह क्वांटम शोध इतना जरूरी क्यों है?
देश के उत्तर-पश्चिमी प्रांत शिनजियांग का जिक्र करते हुए वक्ता ने अपने जवाब में कहा कि यह "आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का मैदान” है. चीनी स्टार्ट-अप क्वांटम सीटेक की शिनजियांग शाखा के तकनीकी निदेशक के रूप में उन्होंने काफी सोच-विचार करके यह बात कही. वह कहते हैं, "सूचना क्षेत्र को सुरक्षित करना हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.” उन्होंने ‘पश्चिम के शत्रुओं' पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे ‘हमारे देश की जानकारी चोरी करके' चीन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.
दरअसल, शिनजियांग पुलिस की फाइलों और चाइना केबल्स जैसे क्षेत्र से काफी ज्यादा डेटा लीक हुआ है. इन डेटा से पता चला है कि चीन के उइगुर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है और उनकी काफी ज्यादा निगरानी की जा रही है.
तकनीकी निदेशक ने निष्कर्ष निकाला कि इस समस्या का समाधान करने के लिए अटूट क्वांटम संचार व्यवस्था विकसित करके तकनीकी श्रेष्ठता हासिल करनी होगी. उन्होंने गंभीरता से कहा कि इससे ‘हमारे समाज के लिए एक स्थिर और स्थायी सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.'
डीडब्ल्यू और जर्मन इनवेस्टिगेटिव न्यूजरूम करेक्टिव ने दो दशकों से चली आ रही उस वैज्ञानिक साझेदारी के इतिहास का पता लगाया है जिसके तहत मानवाधिकारों को खत्म करने और महाशक्तियों के बीच संघर्ष की दिशा को बदलने की क्षमता की संभावना तलाशने के लिए अध्ययन किया जा रहा है.
इस अध्ययन में जर्मनी का हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय और इसके मानद प्रोफेसर पैन जियान-वेई शामिल हैं, जो क्वांटम स्टार्ट-अप क्वांटम सीटेक के सह-संस्थापक हैं.
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हैलो हाइडेलबर्ग
हाइडेलबर्ग का अतीत और भविष्य विरोधाभाषी प्रतीत होता है. इस दक्षिण-पश्चिमी शहर में जर्मनी का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है जिसे 1386 में स्थापित किया गया था. आज यह विश्वविद्यालय देश में उच्च शिक्षा के शीर्ष संस्थानों में से एक है.
इसका भौतिकी विभाग विशेष तौर पर क्वांटम भौतिकी में अपने मौलिक शोध के लिए प्रसिद्ध है. इसने चीनी भौतिक विज्ञानी पैन जियानवेई सहित दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिकों को आकर्षित किया है.
पैन ने 1990 के दशक में हेफेई में मौजूद चीन की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूएसटीसी) से अपनी पढ़ाई शुरू की थी. इसके बाद, यूरोप ने उन्हें क्वांटम ऐप्लिकेशन के सबसे उन्नत क्षेत्रों में से एक ‘क्वांटम कम्युनिकेशन' के बारे में ज्यादा शोध करने और इसकी सीमाओं का पता लगाने का खास मौका दिया.
उभरती हुई क्वांटम टेक्नोलॉजी मानव जीवन के सभी पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालती हैं. इससे यह भी पता लगाया जा रहा है कि भविष्य में युद्ध कैसे लड़े जाएंगे. पैन ने डीडब्ल्यू और करेक्टिव को लिखित बयान में बताया, "मुझे पूरा विश्वास है कि उभरती हुई ये टेक्नोलॉजी मानव समाज को काफी ज्यादा फायदा पहुंचाएगी.”
प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक पैन ने प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी एंटन जाइलिंगर के मार्गदर्शन में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद वे 2003 में हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय चले आए. जाइलिंगर को क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में काम करने के लिए 2022 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी मिला है.
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क्वांटम का जुनून
पैन के मूल शोध प्रश्न अलग-अलग दूरियों में सुरक्षित और अटूट संचार के काम करने की क्षमता से जुड़े हुए थे. हाइडेलबर्ग में उनके शोध को कई पुरस्कार मिले. साथ ही, उन्हें लाखों यूरो की फंडिंग भी मिली.
हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय में पैन के पूर्व सहयोगी योर्ग श्मीडमायर कहते हैं, "पैन के मन में तकनीकी प्रगति के लिए, अपने मौलिक प्रश्नों और उनके संभावित नतीजों के प्रति हमेशा अटूट जिज्ञासा रहती थी.”
पांच वर्षों तक पैन ने बिना किसी रुकावट के अपने शोध समूह का निर्माण किया. इस पूरे समय के दौरान, वह अक्सर यूएसटीसी में पढ़ाने के लिए चीन जाते थे. साथ ही, हाइडेलबर्ग में अपनी प्रयोगशाला के लिए क्वांटम के क्षेत्र में शोध करने वाले चीनी शोधकर्ताओं को भी भर्ती किया, जहां उन्हें वित्तीय सहायता भी मिली.
हाइडेलबर्ग में पैन का आना, चीन में यूरोप की बढ़ती दिलचस्पी के साथ मेल खाता है. उस समय, चीन को अपना प्रमुख व्यापारिक भागीदार बनाने की भी बात कही गई थी, विशेष तौर पर जर्मनी ने इसे लेकर ज्यादा दिलचस्पी दिखाई थी. वैज्ञानिक सहयोग राजनीतिक और आर्थिक रूप से वांछित था.
पूर्व सहयोगी श्मीडमायर कहते हैं, "हमने पांच-छह साल एक साथ वास्तव में शानदार तरीके से मौलिक चीजों पर शोध किया. इस सहयोग का एक बेहतर प्रभाव पड़ा था.” पैन के साथ हाइडेलबर्ग का भौतिकी विभाग भी काफी प्रतिष्ठित हुआ. इसकी प्रतिष्ठा वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंच गई.
नए क्षितिज की तलाश में चीन लौटे पैन
हालांकि, 2008 में पैन ने चीन लौटने और यूएसटीसी को अपना घरेलू शोध संस्थान बनाने का फैसला किया. वे ना सिर्फ कई चीनी छात्रों को अपने साथ वापस ले गए, बल्कि अपने प्रयोगशाला के उपकरणों और प्रोजेक्ट को भी हाइडेलबर्ग से चीनी शहर हेफेई में ट्रांसफर कर दिया.
उस वर्ष यूरोपीय संघ से उनके शोध समूह को प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त 14 लाख यूरो मिला. इसके बावजूद, वे प्रयोगशाला को स्थानांतरित करने में सफल रहे. उनकी घर वापसी के बाद से चीन ने क्वांटम संचार के क्षेत्र में नियमित रूप से कई सफलताओं की घोषणा की.
उदाहरण के लिए, 2016 में पैन और उनकी टीम ने अंतरिक्ष में दुनिया का पहला क्वांटम उपग्रह लॉन्च किया. 2017 में, उन्होंने बीजिंग और विएना के बीच पहला टैप-प्रूफ (पूरी तरह सुरक्षित) वीडियो कांफ्रेंस करने के लिए माइकियस उपग्रह का इस्तेमाल किया.
साझेदारी और प्रतिद्वंद्विता
डीडब्ल्यू और करेक्टिव को मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि पैन की चीन वापसी ने हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय के साथ उनके वैज्ञानिक सहयोग को नुकसान नहीं पहुंचाया.
2009 में हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद प्रोफेसर नियुक्त किया. यूएसटीसी ने नए शोधकर्ताओं को भेजना जारी रखा. 2011 में दोनों विश्वविद्यालय ने छात्रों और शैक्षणिक कर्मचारियों के आदान-प्रदान के लिए एक आधिकारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया. दोनों के बीच लंबे समय तक बेहतर संबंध बने रहे.
2016 तक पैन और उनके जर्मन सहयोगी माथियास वाइडेमूलर की अध्यक्षता में चीन में एक संयुक्त अत्याधुनिक क्वांटम अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई गई थी.
अनुबंध पर 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसकी प्रस्तावना में एक संक्षिप्त नाम शामिल किया गया था एनयूडीटी, जिसे चीन के शीर्ष सैन्य विश्वविद्यालय ‘राष्ट्रीय रक्षा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय' के रूप में जाना जाता है. वह संस्था सीधे केंद्रीय सैन्य आयोग को रिपोर्ट करती है, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं.
हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय ने एक लिखित बयान में डीडब्ल्यू और करेक्टिव को बताया कि दस्तावेज में नाम शामिल होने के बावजूद एनयूडीटी ने योजना बनाने के दौरान ‘कोई भूमिका नहीं' निभाई.
विश्वविद्यालय ने कहा कि एक सैन्य संस्थान के साथ इस तरह के संबंध "निश्चित रूप से बाद के चरणों में ज्यादा बारीकी से जांचे गए होंगे.” हालांकि, यह भी स्वीकार किया कि संस्था ‘आज के दौर में इस तरह के समझौते में शामिल नहीं होगी.'
फिलहाल, हकीकत यह है कि संयुक्त क्वांटम केंद्र स्थापित नहीं हुआ है. साथ ही, इस बात की भी संभावना है कि राजनीतिक दबाव की वजह से यह स्थापित नहीं होगा.
एक समय ऐसा था जब चीन का यूरोप, खास तौर पर जर्मनी के साथ बेहतर संबंध था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. फिलहाल, चीन को यूरोपीय संघ और अमेरिका ने ‘व्यवस्थागत प्रतिद्वंद्वी' करार दिया है, जो वैश्विक और क्षेत्रीय मामलों में तेजी से हस्तक्षेप करने वाला दृष्टिकोण दिखाता है. बंद दरवाजों के पीछे, जर्मन सरकार चीन को लेकर एक नई रणनीति पर तीखी बहस कर रही है.
पिछले साल नवंबर महीने में लीक हुए एक मसौदे से पता चलता है कि जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने तर्क दिया था कि चीन की नागरिक-सैन्य विलय नीति ‘वैज्ञानिक सहयोग पर प्रतिबंध लगाती है'. खास तौर पर ऐसे मामलों में जहां यह चीन की सैन्य शक्ति को दुनिया के सामने दिखाने या अपने देश में लोगों का दमन करने की क्षमता को बढ़ाती है.
चीन में एक जर्मन भौतिक विज्ञानी
मई महीने में एक दिन क्वांटम भौतिक विज्ञानी माथियास वाइडेमूलर ने साक्षात्कार के लिए डीडब्ल्यू और करेक्टिव के पत्रकारों का स्वागत किया और उन्हें प्रयोगशाला में ले गए. वह वहां किए गए मूल शोध को प्रदर्शित करने के लिए उत्सुक थे. मूल शोध वैज्ञानिकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है जो मुख्य रूप से नई जानकारी पाने के लिए किए गए प्रायोगिक या सैद्धांतिक कार्य को दिखाता है.
संयोग से, जिस वर्ष पैन हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय से चीन वापस लौटे थे उसी साल वाइडेमूलर इस विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग से जुड़े थे. इसके बावजूद, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में अहम भूमिका निभाई.
वाइडेमूलर अपने काम में ‘चुपचाप व्यस्त रहना' पसंद करते हैं. उनका कहना है कि उनके जैसे वैज्ञानिक मूल शोध पर काम करते हैं और प्रयोगों के माध्यम से इस क्षेत्र को बेहतर बनाने पर ध्यान देते हैं. वे इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देते कि इनका किस तरह से व्यवहारिक इस्तेमाल किया जा सकता है. फिर भी उनका मानना है कि कुछ नियमों का पालन किया जाना चाहिए और इसमें ‘सार्वजनिक भागीदारी के साथ-साथ पारदर्शिता शामिल है.'
चीन के साथ उनकी व्यक्तिगत भागीदारी के बारे में सवाल किए जाने पर प्रोफेसर आत्मविश्वास से जवाब देते हैं. 2013 में उन्हें बीजिंग के विवादास्पद ‘थाउजेंड टैलेंट प्रोग्राम' के तहत यूएसटीसी में शामिल होने का अवसर मिला. इस प्रोग्राम के जरिए देश में अनुसंधान करने के लिए बेहतर वैज्ञानिकों की तलाश की जाती है.
वाइडेमूलर कहते हैं, "मुझे वास्तव में पहली बार यह देखने का अवसर मिला कि विज्ञान, विशेष रूप से क्वांटम भौतिकी साइट पर कैसे काम करती है.” वाइडेमूलर इस मौके को लेकर बेहद उत्साहित थे. जबकि पश्चिमी देशों के अन्य वैज्ञानिकों ने इस तरह के प्रस्तावों से जुड़ी चिंताओं का हवाला देते हुए कई बार इसे अस्वीकार कर दिया है.
यूएसटीसी में वाइडेमूलर की नियुक्ति के समारोह की अध्यक्षता पैन ने की थी. साथ ही, उन्होंने हाइडेलबर्ग में जिस खुले माहौल का अनुभव किया उसकी भी तारीफ की.
पैन ने डीडब्ल्यू और करेक्टिव को लिखित बयान में कहा, "राष्ट्रीय सीमाओं और सांस्कृतिक मतभेदों को दूर करते हुए अकादमिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देना विज्ञान के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका मानवता की भलाई पर गहरा प्रभाव पड़ता है.”
छिपा हुआ अर्थ
थाउजेंड टैलेंट प्रोग्राम के तहत वाइडेमूलर ने शंघाई में यूएसटीसी के माध्यमिक परिसर में स्थित माइक्रोस्केल (एचएफएनएल) में हेफेई नेशनल लेबोरेटरी फॉर फिजिकल साइंसेज में अपनी प्रयोगशाला स्थापित की.
अपने पांच साल के अनुबंध की समाप्ति के बाद भी वाइडेमूलर यहां बने रहे. यहां तक कि उन्हें मानद प्रोफेसर भी नामित किया गया. कोरोना महामारी शुरू होने तक, हर साल वे लगभग दो महीने वहां काम करते थे.
वाइडेमूलर ने जोर देकर कहा कि उन्होंने अपने लिए स्पष्ट सीमाएं निर्धारित की और अपने शोध को लेकर अकादमिक स्वतंत्रता बनाए रखी. उन्होंने जोर देकर कहा, "कोई मुझे नहीं बताता कि मुझे क्या करना है. सभी निष्कर्ष सार्वजनिक रूप से उपलब्ध थे और उनकी प्रयोगशाला सभी के लिए खुली थी.” उन्होंने आगे कहा, "जिस तरीके से आप शोध करते हैं उससे यह तय होता है कि आप उसे व्यवहारिक रूप से लागू करने से कितने नजदीक या दूर हैं.”
वहीं, पैन के साथ यूएसटीसी में मौजूदा समय में 11 ऐसे अन्य चीनी क्वांटम शोधकर्ता काम कर रहे हैं जो हाइडेलबर्ग से लौटे हैं. वे देश के क्वांटम अनुसंधान से जुड़े कामों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. कुछ क्वांटम टेक्नोलॉजी वाले स्टार्टअप के लिए काम कर रहे हैं, जो रक्षा कंपनियों से जुड़े हैं.
शिनजियांग कनेक्शन
हाइडेलबर्ग से वापसी के बाद ही पैन ने क्वांटम सीटेक की स्थापना की और यूएसटीसी के बाद इसके दूसरे सबसे बड़े शेयर धारक बने. इस स्टार्टअप का स्लोगन है, "क्वांटम हर बिट को सुरक्षित करता है.” घरेलू तौर पर, यह कंपनी खुद को गुओडून क्वांटम के तौर पर बुलाती है, जिसमें गुओडून का मतलब होता है ‘राष्ट्रीय कवच'.
शंघाई स्टॉक एक्सचेंज को सौंपी गई जून 2022 की रिपोर्ट में, क्वांटम सीटेक ने ‘कई सैन्य परियोजनाओं' में अपनी भागीदारी की जानकारी दी है. इसका मुख्यालय हेफेई में है, जहां यूएसटीसी का भी मुख्य परिसर स्थित है. इसके अलावा, अन्य छह जगहों पर भी कंपनी की शाखाएं हैं. इनमें से एक शाखा शिनजियांग में है जिसकी स्थापना 2017 में की गई थी.
डीडब्ल्यू और करेक्टिव को लिखित प्रतिक्रिया में पैन ने बताया कि शिनजियांग में क्वांटम सीटेक की शाखा के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, "2011 में कंपनी की स्थापना और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर लागू होने की शुरुआती अवधि के बाद, मैं सिर्फ शेयर धारक हूं. मैं इसके प्रबंधन में शामिल नहीं हूं.”
यूएसटीसी में पढ़ाई करने वाली चीनी मूल की परमाणु भौतिक विज्ञानी यांगयांग चेंग कहती हैं, "इस तरह के अत्यधिक सैन्य निगरानी वाले इलाके में शाखा स्थापित करना निश्चित तौर पर कोई संयोग नहीं है.” चेंग पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से अमेरिका में रह रही हैं. यहां वह येल लॉ स्कूल के पॉल त्साई चाइना सेंटर में फेलो हैं.
वह आगे कहती हैं, "सच्चाई यह है कि अगर एक नई कंपनी वहां अपनी शाखा खोल रही है, तो इसका मतलब यह है कि वह चीनी सरकार की काफी करीबी है.” वहीं, क्वांटम सीटेक ने अन्य जानकारी से जुड़े कई सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध
2019 में, अमेरिकी सुरक्षा कंपनी स्ट्राइडर की एक रिपोर्ट से पता चला कि पैन चीनी रक्षा क्षेत्र के साथ व्यापक शोध संपर्क बनाए हुए हैं. साथ ही, वे अपने जर्मन अनुसंधान संबंधों का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, "दोहरे इस्तेमाल वाली क्वांटम टेक्नोलॉजी में चीन की तेजी से प्रगति के पीछे यकीनन हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय सबसे महत्वपूर्ण विदेशी भागीदार है.”
नवंबर 2021 में, अमेरिका ने कई चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक के रूप में क्वांटम सीटेक को अपनी ऐसी सूची में रखा जो "पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैन्य आधुनिकीकरण के लिए काम करती है और/या सैन्य उपकरणों को बेहतर बनाने के लिए अमेरिका की मूल वस्तुओं को हासिल करती है या हासिल करने की कोशिश करती है.”
कई बार अनुरोध किए जाने के बावजूद, अमेरिकी अधिकारियों ने और ज्यादा जानकारी नहीं दी.
क्वांटम सीटेक के साथ, यूएसटीसी की एचएफएनएल प्रयोगशाला, जहां वाइडेमूलर ने अपना शोध किया, वह भी अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में रही है. वह जोर देकर कहते हैं, "कोई भी इसके प्रति उदासीन रवैया नहीं अपना सकता. चिंता नहीं करना भोलापन होगा.”
प्रतिबंधों के लागू होने के बाद, भविष्य के युद्ध के लिए गठबंधन तैयार करने के लिए जिम्मेदार नाटो सुप्रीम एलाइड कमांडर ट्रांसफॉर्मेशन को यूएसटीसी और जर्मनी के सबसे पुराने विश्वविद्यालय के संबंधों के बारे में भी जानकारी दी गई.
फरवरी 2022 में एक घंटे के ऑनलाइन प्रजेंटेशन में हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय और यूएसटीसी की लंबी साझेदारी के साथ-साथ चीन की क्वांटम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता पर विशेष ध्यान दिया गया. डीडब्ल्यू और करेक्टिव को अपने सूत्रों से पता चला कि इस दौरान क्वांटम सीटेक और चीन के प्रमुख रक्षा संस्थानों, जैसे कि चीन इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन (सीईटीसी) पर भी चर्चा की गई.
सीईटीसी खुद को "रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स और सुरक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली नेशनल सेंट्रल कॉरपोरेशन” कहता है. विशेष रूप से इसने शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों की बड़े स्तर पर निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पुलिस ऐप को विकसित किया है.
यह एक उभरता हुआ नेटवर्क है जिसके भागीदार एक-दूसरे के सहायक हैं. 2018 में यूएसटीसी और सीईटीसी ने एक वैज्ञानिक समझौते में शामिल हुए. इस समझौते के दौरान पैन ने अपने विश्वविद्यालय की ओर से हस्ताक्षर किया. सीईटीसी क्वांटम सीटेक का एक प्रमुख भागीदार भी है.
पैन स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि जर्मनी से लौटने के बाद उनके किसी प्रोजेक्ट को किसी तरह से सैन्य समर्थन नहीं मिला है. हालांकि, डीडब्ल्यू और करेक्टिव को लिखित जवाब में उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘किसी भी टेक्नोलॉजी के विकास को सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.'
वह अपने मूल तर्क के सबसे महत्वपूर्ण शब्द ‘कोई' पर जोर देते हैं. उन्होंने लिखा, "कुछ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए किया जा सकता है. यह कुछ ऐसा नहीं है जिसे ‘कोई' वैज्ञानिक नियंत्रित कर सकता है या उसका अनुमान लगा सकता है.”
वह लिखते हैं, "दरअसल, मायने यह रखता है कि मैं ज्ञान और रचनात्मकता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हूं, ताकि लोगों और समाज को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके.”
शैक्षणिक स्वतंत्रता की सीमाएं
2021 में यूरोपीय संघ ने उच्च तकनीकी विकास वाले क्षेत्रों में शोध से जुड़े सख्त दिशा-निर्देश जारी किए. इसका असर यह हुआ कि हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय ने 2022 की शुरुआत में एक्सपोर्ट कंट्रोल इकाई की स्थापना की. यह इकाई अब सभी अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाओं में संभावित दोहरे इस्तेमाल वाले ऐप्लिकेशन की जांच करने की जिम्मेदारी लेती है.
एक ओर पूरे यूरोप की सरकारें चीन के साथ अपने संबंधों को तय करने के लिए संघर्ष कर रही हैं, वहीं हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय भी एक बुनियादी सवाल से जूझ रहा है. सवाल यह है कि क्या वैज्ञानिक सहयोग तब काम कर सकता है, जब साझेदार ‘सैन्य संस्थानों से निकटता रखते हों और सिस्टम की वजह से उनके लिए इससे बचना मुश्किल हो सकता है?'
आन्या सेंज एक चीनी शोधकर्ता हैं और मैथियास वाइडेमूलर की तरह उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें इसका जवाब तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
सेंज कहती हैं, "यूएसटीसी के साथ संबंध ‘सीखने के लिए एक केस स्टडी' है कि चीजें वास्तव में किस तरह बदल सकती हैं.” वह लाल रेखाओं को परिभाषित नहीं करना चाहती हैं, फिर भी चाहती हैं कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से जुड़े हर पहलुओं पर गंभीरता से विश्लेषण किया जाए.
पैन के बारे में पूछे जाने पर सेंज ने कहा कि किसी व्यक्ति के करियर पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "किसी बिंदु पर किसी को खुद से भी सवाल करना चाहिए कि यह व्यक्ति इस सिस्टम में क्या भूमिका निभाता है?”
वाइडेमूलर पैन के बारे में पूछे जाने वाले सीधे सवालों से बचते हैं. वह यूएसटीसी के साथ स्पष्ट रूप से संबंध तोड़ने का विरोध करते हैं और सवालिया लहजे में कहते हैं, "क्या हमें प्रकृति के मूलभूत प्रश्नों के बारे में वैश्विक आदान-प्रदान बंद कर देना चाहिए?”
इसका कोई आसान जवाब नहीं है, लेकिन इतना तय है कि चीन का लक्ष्य 2049 तक दुनिया की सबसे बेहतर और अत्याधुनिक सेना तैयार करना है और क्वांटम टेक्नोलॉजी उसकी योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसके लिए, देश के क्वांटम भौतिक वैज्ञानिकों को बुनियादी नागरिक अनुसंधान की उपलब्धियों को सैन्य उपकरणों में बदलने का काम सौंपा गया है.
यह चीन के आधुनिकीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक दस्तावेज, "विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नागरिक-सैन्य विलय (सिविल-मिलिट्री फ्यूजन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी)” के लिए 13वीं पंचवर्षीय योजना में दर्ज किया गया कार्य है.