चीन: पार्टी कांग्रेस में अब क्या करने जा रहे हैं शी जिनपिंग?
९ सितम्बर २०२२चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक करीब एक सप्ताह चलती है और इस साल मौजूदा कांग्रेस का पांच साल का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है. तो 2,000 से ज्यादा सदस्य पार्टी की सेंट्रल कमेटी के लिए नए उम्मीदवारों के चयन में हिस्सा लेंगे.
केंद्रीय कमेटी के कुछ सदस्यों को 25 सदस्यों वाले पोलित ब्यूरो में प्रमोट किया जाएगा. सात सदस्यों वाली पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी (पीएससी) में भी कुछ नये चेहरे चुने जाने की संभावना है. पार्टी का सबसे ताकतवर अंग पीएससी ही है.
मुख्य नेतृत्व का चुनाव
कमजोर आर्थिक प्रदर्शन और अमेरिका के साथ बढ़ते तनावों जैसी कुछ घरेलू और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद जानकार कहते हैं कि अक्टूबर में कांग्रेस की तारीख तय होने का मतलब है कि पार्टी और सरकार में शी जिनपिंग का दबदबा बना हुआ है.
ताईवान की नेशनल चेंगची यूनिवर्सिटी (एनसीसीयू) में चीनी राजनीति के विशेषज्ञ सिन-साइन वांग कहते हैं, "नेतृत्व परिवर्तन के लिए पूर्व की पार्टी कांग्रेसों की बैठकें आमतौर पर नवंबर महीने में होती थी. अलग-अलग गुटों के बीच वार्ताएं, समझौते और सहमतियां बनती-बिगड़ती रहती थीं, इसलिए तारीख खिसकती रहती थी. लेकिन 20वीं पार्टी कांग्रेस मध्य अक्टूबर में होनी तय है. इससे पता चलता है कि शी जिनपिंग का दबदबा पूरी मजबूती से पार्टी पर बना हुआ है."
विएना यूनिवर्सिटी में चीनी राजनीति और कानून की जानकार लिंग ली जोर देती हैं कि अगर नए पार्टी प्रमुख के नाम को लेकर कोई अड़चन या दुविधा होती, तो पार्टी कांग्रेस की तारीख का एलान न होता.
उन्होंने डीडब्लू को बताया, "तारीख घोषित होने का मतलब हम यह पूरी तरह मान सकते हैं कि लीडरशिप को लेकर निर्णायकों में पहले से ही सहमति बन चुकी है."
30 अगस्त को सरकारी अखबार चाइना डेली में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक पार्टी कांग्रेस संगठन के पिछले पांच साल के कामों, मुख्य उपलब्धियों और शी जिनपिंग की रहनुमाई मे पार्टी की सेंट्रल कमेटी के बेशकीमती अनुभवों पर फोकस करेगी.
लेख में कहा गया, "कांग्रेस व्यापक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्थितियों की बारीक समीक्षा करेगी. नए युग में नए सफर पर देश और पार्टी मूल्यों के विकास के लिए नई जरूरतों को वृहद स्तर पर अपनाएगी और लोगों की नई उम्मीदों को भी समझेगी."
सत्ता पर मजबूत पकड़ की ओर जिनपिंग
कांग्रेस में ज्यादातर ध्यान इस बात पर होगा कि सर्वोच्च अधिकारियों की फेहरिस्त में शी जिनपिंग अपने पसंदीदा वफादारों को भरेंगे या नहीं. अपना संभावित उत्तराधिकारी वह किसे चुनेंगे, इस पर भी सबकी निगाहें हैं. जानकारों के मुताबिक 2018 में राष्ट्रपति के कार्यकाल की मियाद को हटाने के बाद से ही शी जिनपिंग अप्रत्याशित रूप से तीसरे कार्यकाल के लिए तैयारी पर ध्यान केंद्रित करते आए हैं.
शी से पहले दो पूर्व राष्ट्रपतियों ने पांच साल के दो कार्यकाल पूरा करने के बाद पद छोड़ दिया था.
अमेरिका स्थित चीनी मानवाधिकार वकील तेंग बियाओ कहते हैं, "10 साल पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव बनने के बाद से शी ने चीन के राजनीतिक परिदृश्य को नाटकीय तौर पर बदल दिया है."
उन्होंने डीडब्लू को बताया, "सत्ता संघर्ष के लिहाज से देखें, तो शी जिनपिंग खासे कामयाब बने हुए हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान छेड़ा है, जिसका इस्तेमाल उन्होंने अपने लोगों को स्थापित करने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को हटाने के लिए किया है."
तेंग बियाओ इशारा करते हैं कि 2018 में राष्ट्रपति के कार्यकाल की मियाद हटाकर शी ने "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को एक सामूहिक तानाशाही से एक वैयक्तिक तानाशाही में बदल दिया है."
20वीं पार्टी कांग्रेस के बाद पीएससी के कई सदस्य निर्धारित उम्र पूरी हो जाने के आधार पर इस्तीफा दे सकते हैं. पिछले कुछ दशकों में बने नियमों के मुताबिक 68 साल या उससे अधिक की उम्र वाले पार्टी पदाधिकारियों को अगली कांग्रेस के समय रिटायर हो जाना होगा. जिनकी उम्र 67 या उससे कम है, वे आगे प्रमोट किए जा सकते हैं या शीर्ष पदों पर बने रह सकते हैं.
विएना यूनिवर्सिटी की लिंग ली ने थिंक चाइना के लिए एक आलेख में लिखा था कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की शीर्ष नेतृत्व वाली बॉडी मुख्य रूप से इसी आधार पर गठित होगी कि शी जिनपिंग उम्र की सीमा का "नियम तोड़ने और बदलने की कितनी इच्छा रखते हैं और कितने सक्षम हो पाते हैं."
वह कहती हैं कि अगर शी मौजूदा उम्र सीमा को बनाए रखने का फैसला करते हैं, तो कम से दो मौजूदा पीएससी सदस्यों को इस साल रिटायर होना होगा. बाकी सदस्य काउंसिल में बने रह सकते हैं.
लिंग ली ने लिखा, "उम्र की सीमा कितना रखी जाती है, नहीं रखी जाती है या बदली जाती है, इन सबसे अलग नई पीएससी के लिए एक या दो युवा सदस्यों को रखने की जरूरत होगी, जो 2027 की पीएससी तक बतौर सदस्य उसमें रह सकें. ताकि तब चरणबद्ध तरीके से सदस्यता और लीडरशिप में बदलाव किया जा सके."
चीन का नया प्रधानमंत्री कौन होगा?
एनसीसीयू से जुड़े वांग कहते हैं कि एक अहम सवाल यह है कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा.
मौजूदा चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने मार्च में घोषणा की थी कि वह एक साल के भीतर इस्तीफा दे देंगे. लेकिन हाल के महीनो में चीन के फीके आर्थिक प्रदर्शन और बेरोजगारी की ऊंची दर को देखते हुए आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से निपटने की कोशिशों की अगुवाई में ली इधर काफी सक्रिय रहे हैं. इस वजह से कुछ लोगों को यह भी लगता है कि कहीं वह शी जिनपिंग की सत्ता को चुनौती देने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं.
वांग ने डीडब्लू को बताया, "ये अटकलें चीन की वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाती हैं."
"आर्थिक मुद्दे, महामारी पर रोक, खेती की समस्याएं और सूखा- ये सब चीन की स्टेट काउंसिल के अधीन आता है. इन्हें देखते हुए ली की सार्वजनिक सक्रियता सामान्य बात है. लगता है कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दों से जूझने में अपने कौशल का मुजाहिरा करते हुए ली केकियांग इन जिम्मेदारियों को उठाने की इच्छा भी अपनी प्रदर्शित कर रहे हैं."
कुछ जानकार उप-प्रधानमंत्री हू शुनहुआ और देश की पीपल्स पॉलिटिक्ल कन्सलटेटिव कॉफ्रेंस नेशनल कमेटी के चेयरमैन वांग यांग को भी चीन के भावी प्रधानमंत्री के दावेदारों के तौर पर देखते हैं.
वांग ने कहा, "चीन के अगले प्रधानमंत्री के चयन का मापदंड शी जिनपिंग की पसंद के आधार पर होगा. राजनीतिक वफादारी एक मुख्य मापदंड रहने वाला है."
वह कहते हैं, "उस नजरिए से वांग यांग, हु शुनहुआ से ज्यादा बेहतर हो सकते हैं, क्योंकि उन्होंने शी के साथ पिछले पांच साल के दौरान अच्छे तालमेल के साथ काम किया है और ताईवान, शिनजिंयाग, तिब्बत और यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट से जुड़े मुद्दों को कामयाबी से निपटाने में मदद की है.
क्या घरेलू मुद्दे शी की सत्ता के लिए चुनौती बनेंगे?
हाल के महीनों में चीन की आर्थिक वृद्धि सुस्त रही है. 2022 की पहली तिमाही में जीडीपी की दर 5.5 फीसदी के सालाना लक्ष्य से कम 2.5 फीसदी तक गिर गई थी.
यह स्थिति इस साल की शुरुआत में चीन के सबसे बड़े आर्थिक ठिकाने शंघाई में महीनों के कड़े लॉकडाउन के बाद आई थी. ऊपर से जुलाई में युवाओं की बेरोजगारी दर 19.9 फीसदी पहुंच गई थी. 2018 से अभी तक की यह सबसे ऊंची दर है. उसी साल से चीनी अधिकारियों ने बेरोजगारी के आंकड़ों को जारी करना शुरू किया था.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन और अमेरिका के बीच तनाव गहराता जा रहा है. पिछले महीने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ताईवान का दौरा किया था. इसके बाद चीन ने ताईवान के इर्दगिर्द कई सैन्य अभ्यासों का सिलसिला शुरू कर दिया था.
कुछ जानकार ऐसा नहीं मानते कि ये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समस्याएं शी को पांच साल का तीसरा कार्यकाल हासिल करने की कोशिश के आड़े आएंगी. लेकिन उनका मानना है कि शी जिनपिंग के प्रमुख नीतिगत अभियानों की कीमतों मे बढ़ोतरी जारी रहेगी.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में चीनी राजनीति की एसोसिएट प्रोफेसर पैट्रेशिया थॉर्नटन कहती हैं, "'चीनी स्वप्न' के शी के संस्करण की लागत बढ़ती जा रही है. वहीं सत्ता उनके हाथों में और सकेंद्रित होती रही और पीएससी में शी के सहयोगियों की संख्या भी बढ़ी है. ऐसे में मुझे शक है कि 20वीं पार्टी कांग्रेस में अपनी नीतियों को लेकर वह अपने कदम पीछे खींचेगे. थोड़ा बहुत कमी कर दें, तो कर दें."
वह कहती हैं, "मुझे नहीं लगता कि कोई व्यक्ति या कोई चीज शी जिनपिंग को चुनौती दे सकेंगे या देंगे. और चूंकि शीर्ष स्थानों पर कब्जा शी के समर्थकों का ही होगा, तो कोई अवांछित या प्रतिकूल स्थिति आई भी, तो उसका निपटारा कर दिया जाएगा."