मजदूरी के चक्रव्यूह में फंसे करोड़ों बच्चे
४ सितम्बर २०२३आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट हुंगबो ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी यानी बीबीसी से बातचीत में कहा कि बच्चों को यौनकर्मी के तौर पर काम करने पर भी मजबूर किया जाता है जो बाल मजदूरी का सबसे खराब पहलू है. हुंगबो ने कहा," कोविड महामारी और महंगाई के मिलेजुले असर के बाद जीवनयापन के लिए बढ़े खर्च ने दिक्कतें बहुत बढ़ाई हैं. अगर हमने अभी तेजी से ठोस कदम नहीं उठाए तो समस्या बढ़ती ही चली जाएगी."
हुंगबो ने बातचीत में बताया कि बाल मजदूरों की संख्या कम और मध्यम आय वाले देशों के साथ ही ऊंची आय वाले देशों में भी बढ़ी है. इनमें से ज्यादा संख्या खेती, खनन और निर्माण क्षेत्र में देखी जा रही है. गरीबीइसका मूल कारण है हालांकि अलग अलग देशों में इसके कारण अलग हैं.
महंगाई की मार
संयुक्त राष्ट्र ने 2020 में जुटाए आंकड़ों में पाया कि करीब 16 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी में लगाए गए और बीस सालों में पहली बार ऐसा हुआ जब इस बढ़ती संख्या को रोकने के प्रयास असफल होते दिखे. डाटा ने दिखाया कि बाल मजदूरों की संख्या बढ़ने की प्रक्रिया जारी है. हुंगबो ने बातचीत में कहा कि यूक्रेन युद्ध की वजह से खाने-पीने की चीजों के बढ़े दामों ने कुछ परिवारों के जीवनयापन को बेहद कठिन बना दिया.
यहां तक कि कुछ परिवारों के लिए दो वक्त का खाना खाने या ना खा पाने जैसे हालात पैदा हो गए. इसका नतीजा यह हुआ कि माता-पिता बच्चों को यौनकर्मी के तौर पर काम करने के लिए मजबूर करने लगे ताकि परिवार का पेट पाला जा सके.
भारत का हाल
भारत में भी लाखों बच्चे मजदूर करने को मजबूर हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 1.01 करोड़ बाल मजदूर हैं जिसमें 56 लाख लड़के और 45 लाख लड़कियां हैं. 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना भारत में गैर-कानूनी है और ऐसे पेशों की लगातार बढ़ती सूची भी है जिन्हें खतरनाक माना जाता है. इसके बावजूद भारत में बच्चे यौनकर्म से लेकर बीड़ी उद्योग, ईंट भट्टियों, पीतल उद्योग और पत्थर तोड़ने जैसे कामों में भी लगे हैं जो उनकी सेहत पर बुरा असर डालते हैं.
बाल-मजदूरी से बहुत गहराई से जुड़ी है बाल-तस्करी जिसके जरिए बच्चों को घरों में काम करने के लिए बेचा जाता है. पहले से ही मौजूद समस्याओं में कोविड महामारी ने बेहद गंभीर आयाम जोड़े हैं. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल 2021 से 25 मई 2021 के बीच 577 बच्चों ने महामारी की वजह से अपने माता-पिता दोनों को खो दिया. इस तरह अकेले पड़ गए बच्चों का शोषण और मजदूरी के लिए इस्तेमाल करने का खतरा बढ़ा है. इन हालात में बच्चों को गोद लेने जैसी धोखाधड़ी, फैक्ट्रियों में काम पर लगाने और सेक्स के लिए बेचने जैसे अपराधों का रास्ता आसान होता है.
रिपोर्टः स्वाति बक्शी