चंद्रयान-3: अंतरिक्ष में इतिहास रचने के करीब भारत
२२ अगस्त २०२३चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर के साथ बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा. भारत के पहले चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-1 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के सबूत जुटाने में अहम योगदान दिया था. इस खोज को आगे बढ़ाने के इरादे से भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन, 2019 में लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था.
इसरो ने सोमवार को बताया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल के बीच दोतरफा संपर्क हुआ है. इस बारे में इसरो ने एक ट्वीट भी किया है. इस पोस्ट में इसरो ने लिखा, "वेलकम बडी!, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया."
इसरो ने यह भी बताया कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण किया जाएगा. निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इसरो कल यानी बुधवार को शाम पांच बजे के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतारने की कोशिश कर रहा है.
भारत में लोग चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर खासे उत्साहित हैं और जगह-जगह लोग इसकी सफल लैंडिंग के लिए पूजा पाठ भी कर रहे हैं. चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए वाराणसी के कामाख्या मंदिर में हवन का आयोजन किया गया.
अहम हैं वो 15 मिनट
चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किलोमीटर की ऊंचाई से लैंड कराने की कोशिश की जाएगी. इस प्रक्रिया में 15 से 17 मिनट लगेंगे. इसे "15 मिनट्स ऑफ टेरर" यानी खौफ के 15 मिनट्स कहा जाता है. चंद्रयान-2 की लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट अहम साबित हुए थे.
इसरो के अहमदाबाद केंद्र के निदेशक निलेश एम देसाई ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर बताया है कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग से कुछ घंटे पहले निर्णय लिया जाएगा कि लैंडिंग के लिए समय उचित है या नहीं. देसाई ने कहा कि अगर कोई बाधा होती है तो लैंडिंग को 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा देंगे.
चंद्रयान-2 मिशन को भेजे जाने के समय इसरो प्रमुख रहे के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन योजना के तहत आगे बढ़ रहा है और चंद्रमा की सतह पर उसकी सॉफ्ट लैंडिंग योजना के मुताबिक होगी. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार यह सतह पर उतरने में सफल रहेगा.
मिशन पर क्या करेंगे लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान
चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अगले दो हफ्ते तक वहां से डाटा इसरो को भेजेंगे. रोवर के पेलोड्स में जो उपकरण लगे हैं, वे चांद से जुड़ा डाटा भेजेंगे. ये चांद के वातावरण से जुड़ी जानकारियां लैंडर को भेजेंगे.
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बहुत ऊबड़-खाबड़ है, इसलिए वहां किसी यान का उतरना बेहद मुश्किल माना जाता है. लेकिन तब भी विभिन्न देश वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां बर्फ मौजूद है, जिससे ईंधन, पानी और ऑक्सीजन निकाली जा सकती हैं, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं.
इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, "पृथ्वी के 14 दिनों के दौरान रोवर असल में कितनी दूरी तय करेगा, इसका अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता है. क्योंकि यह कई चीजों की गणना के आधार पर किया जाएगा."
अगर यह अभियान सफल रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला भारत मात्र चौथा देश होगा. चार साल पहले ऐसी एक कोशिश तब नाकाम हो गयी थी जब चांद की सतह पर उतरने से कुछ ही पल पहले चंद्रयान-2 से वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया था.