इस्लाम में हराम है समलैंगिकता, इस मस्जिद में नहीं
३१ अक्टूबर २०१६मस्जिद का इमाम एक समलैंगिक है और वह खुलेआम समलैंगिक अधिकारों के लिए प्रचार करता है. इस्लाम में समलैंगिकता को गुनाह माना जाता है. इसलिए मोहसिन हेंडरिक्स का तो अपने आप को समलैंगिक कह देना ही बड़ी बात हो जाती है. उस पर वह एक मस्जिद के इमाम हैं और समलैंगिकों के अधिकारों का प्रचार भी करते हैं. उन्होंने यह मस्जिद अपने जैसे उन समलैंगिकों के लिए बनाई है जो बिना किसी डर के प्रार्थना करना चाहते हैं लेकिन उनकी लैंगिक प्राथमिकताओं के कारण ऐसा कर नहीं पाते.
हेंडरिक्स कहते हैं कि मुसलमान समुदाय मुझसे प्यार भी करता है और नफरत भी. वह समझाते हैं, "कई बार उन्हें लगता है कि मुझे सबसे ऊंचे पर्वत से नीचे फेंक दिया जाना चाहिए. और फिर कभी कभी वे इस बात के लिए मेरी तारीफ करते हैं कि जिन लोगों के साथ वे खुद काम नहीं कर पा रहे हैं, कोई इमाम उन लोगों के लिए भी काम करता है."
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समलैंगिकों के लिए केप टाउन एक खुला शहर है. कई बार तो इसे अफ्रीका की समलैंगिक राजधानी भी कहा जाता है. शहर का एक इलाका ऐसा भी है जहां समलैंगिकों के लिए रेस्तरां हैं, बार, गेस्ट हाउस और क्लब भी हैं. इसी शहर में 1996 में हेंडरिक्स ने समलैंगिक मुसलमानों के लिए सपोर्ट ग्रुप 'द इनर सर्कल' शुरू किया. इस ग्रुप से मस्जिद तक पहुंचने में उन्हें 14 साल लगे. 2011 में उन्होंने मस्जिद की स्थापना की. 48 साल के हेंडरिक्स तलाकशुदा हैं. 23 साल के थे जब उनकी शादी हो गई थी लेकिन छह साल बाद आखिरकार पति पत्नी अलग हो गए. वह बताते हैं, "वह ऐसा वक्त था जब मैंने फैसला किया कि दोहरी जिंदगी और नहीं जिऊंगा. मैं अपने साथ ईमानदार हो जाना चाहता था. और उसी प्रक्रिया का हिस्सा था मेरा अपने बारे में सच के साथ सामने आना. यही मैं हूं. और अगर मेरे होने की वजह से ही मुझे कत्ल किया जा सकता है तो फिर खुदा से मिलने का यही तरीका सही है."
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1996 में दक्षिण अफ्रीका का नया संविधान बना था. दुनिया का यह पहला संविधान था जिसमें समलैंगिकों को बराबरी के अधिकार दिए गए थे. आज भी अफ्रीका में यही एकमात्र देश है जहां समलैंगिक शादियां जायज हैं. हेंडरिक्स की मस्जिद के 25 नियमित सदस्य हैं. यहां समलैंगिकों की शादी भी कराई जाती है. केप टाउन शहर में लगभग तीन लाख मुसलमान हैं और ज्यादातर मस्जिदों के इमाम समलैंगिकता को लेकर एकदम सख्त और स्पष्ट हैं. वे तो समलैंगिकों को घरों में नजरबंद कर देने और इलाज करवाए जाने तक के हिमायती हैं. मॉब्रे की मस्जिद के इमाम पंडी कहते हैं, "समलैंगिकता को मंजूर नहीं किया जा सकता. इसकी सजा होगी आग में जलना. आप समलैंगिक कैसे हो सकते हैं. यह हराम है. और एक मुसलमान और इमाम होने के नाते यह आपका फर्ज है कि आप लोगों को बताएं कि यह गलत है."
ऐसे लोगों के बीच मोहसिन हेंडरिक्स 20 साल से संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन दुनिया ऐसी होगी जहां वह बिना डर के जी सकेंगे.
वीके/एके (एएफपी)