वैक्सीन प्रदर्शनों के खिलाफ ट्रूडो का कड़ा कदम
१५ फ़रवरी २०२२कनाडा में कोविड वैक्सीन न लेने वालों के खिलाफ लागू किए कड़े कदमों के विरोध में कई हफ्तों से प्रदर्शन और बंद आयोजित किए जा रहे हैं. लेकिन सोमवार को इन प्रदर्शनों का अंत करने के लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश के इतिहास में पहली बार आपातकाल कानून का आह्वान किया.
यह कानून 1988 में बना था लेकिन आज तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था. इसके तहत प्रधानमंत्री को नागरिक अधिकारों पर रोक लगाने की शक्ति मिल जाती है. ट्रूडो ने इस कदम की घोषणा देश की राजधानी ओटावा में एक समाचार वार्ता में की.
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व्यापक प्रदर्शन
ओटावा में प्रदर्शनों में अग्रणी भूमिका निभा रहे ट्रक चालकों और दूसरे वाहन चालकों ने ट्रकों और दूसरे वाहनों से ओटावा के सिटी सेंटर को ब्लॉक किया हुआ है. उन्होंने अमेरिका जाने वाले सभी सरहदी रास्तों को भी अवरोधित किया हुआ है.
जनवरी में नए नियम लाए गए थे जिनके तहत अमेरिका से लौटने वाले ट्रक चालकों के लिए टीकाकरण का प्रमाण दिखाना अनिवार्य कर दिया गया था. ये प्रदर्शन शुरू में इस नियम के विरोध तक सीमित थे, लेकिन बाद में ये सरकार के महामारी प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शनों में बदल गए.
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आपातकाल कानून के तहत सरकार ने प्रदर्शनकारियों की फंडिंग को रोकने के कदम उठाए. इसके अलावा स्थानीय पुलिस को केंद्रीय पुलिस की मदद दिलवाने के लिए भी कदम उठाए. ट्रूडो ने समाचार वार्ता में कहा, "ये अवरोध हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं और जनता की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं. हम अवैध और खतरनाक गतिविधियों को जारी रहने की इजाजत न दे सकते हैं और ना देंगे."
कड़ी कार्रवाई की आलोचना
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लेकिन कनेडियन नागरिक अधिकार संगठन ने कहा कि सरकार ने आपातकाल कानून का आह्वान करने की शर्तें पूरी नहीं की हैं. समूह ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य "संप्रभुता, सुरक्षा और देश की अखंडता" के प्रति उत्पन्न होने वाले खतरों का सामना करना है.
"फ्रीडम कॉन्वॉय" प्रदर्शनों के नाम से जाने जाने वाले प्रदर्शनों ने ट्रूडो की हर तरह की नीतियों की आलोचना करने वालों को अपनी तरफ आकर्षित किया है, चाहे को महामारी से संबंधित प्रतिबंध हों या कार्बन टैक्स को. इनकी नकल में इसी तरह के प्रदर्शन इस्राएल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी शुरू हो गए हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स/डीपीए)