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समानतायूगांडा

युगांडा में बढ़ते सड़कों पर जीने वाले बच्चे

१४ फ़रवरी २०२२

युगांडा की राजधानी कंपाला में हजारों बच्चे खुले आसमान के नीचे भीख मांगकर गुजारा करते हैं. वहां के आम नागरिक इनसे तंग आ चुके हैं और शहर के अधिकारी इन बच्चों को व्यस्त सड़कों से दूर रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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युगांडा में बढ़ रहे हैं सड़कों पर जीने वाले बच्चे
युगांडा में बढ़ रहे हैं सड़कों पर जीने वाले बच्चेतस्वीर: DW/F. Yiga

युगांडा की राजधानी कंपाला में यह व्यस्त समय है. छोटे बच्चों के समूह सड़कों पर रेंगते हुए दिखते हैं और जैसे ही वो देखते हैं कि किसी कार की रफ्तार धीमी हो रही है, वे जल्दी से इधर-उधर दौड़ने लगते हैं और कार चालकों से पैसे मांगने लगते हैं. फिर, वे एक कार से दूसरी कार की ओर इस उम्मीद में बढ़ते हैं कि कहीं से कुछ और भी मिल जाए.

पीटर ओटाई एक कार चालक हैं और इन बच्चों को इस तरह देखने के अभ्यस्त हो चुके हैं. इनमें से कई बच्चे चार साल से भी कम उम्र के हैं जो उन्हें अक्सर आकर घेर लेते हैं. हालांकि वो इससे अब परेशान हो चुके हैं और इन बच्चों को उपद्रवी मानते हैं. वो कहते हैं, "आप सड़क पर चल रहे होंगे और गली के ये बच्चे आपसे पैसे मांगने के लिए दौड़ते हुए आ जाते हैं.”

युगांडा की राजधानी कंपाला में सड़कों पर यह आम दृश्य है
युगांडा की राजधानी कंपाला में सड़कों पर यह आम दृश्य हैतस्वीर: DW/F. Yiga

डीडब्ल्यू से बातचीत में ओटाई कहते हैं, "वे आपकी गाड़ी से चिपक जाते हैं और फिर करीब पांच मीटर की दूरी पर जाकर अलग हो जाते हैं. इस समस्या के लिए यहां कुछ नहीं हो रहा है. अब तो अति हो रही है और सरकार को कुछ करना ही होगा.”

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तमाम दूसरे बच्चों के साथ कंपाला की सड़कों पर एक 16 वर्षीय बालक रिचर्ड कवाडवा भी घूमता मिला. कवाडावा ने डीडब्ल्यू को बताया कि वह डर के मारे अपने घर से भाग आया है. वो कहता है, "मैं अपने घर से भाग गया क्योंकि जब मेरी चाची ने मुझे कुछ खरीदने के लिए दुकान भेजा तो मुझसे पैसे खो गए. इस वजह से मैं डर गया.”

कंपाला की गलियों में 7 से 14 साल की उम्र के 15 हजार से ज्यादा बच्चे रहते हैं. शहर के अधिकारियों के मुताबिक, हर महीने कम से कम 100 बच्चों को सड़कों से हटा दिया जाता है और उनका पुनर्वास किया जाता है. राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी की सरकार की योजना है कि सड़क पर रहने वाले बच्चों का पुनर्वास किया जाए और उन्हें उनके परिवार तक वापस पहुंचाया जाए. लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि यह सब जल्दी हो पाएगा.

सड़क पर रहने वाले बच्चों का पुनर्वास

साल 2019 में कंपाला में सड़क पर रहने वाले बच्चों को पैसे या भोजन देने पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून पारित किया गया. शहर के अधिकारियों के मुताबिक, कानून का उद्देश्य बच्चों के शारीरिक और यौन शोषण को रोकना है. इसके तहत, अपराधियों को छह महीने तक की जेल या 11 डॉलर यानी करीब सात सौ रुपये तक का जुर्माना लगया जा सकता है.

अपने घरों को छोड़कर सड़कों पर जीवन बिताने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या ने बाल सहायता संगठनों को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर कर दिया. 30 वर्षीय जज्जा भी कभी सड़कों पर रहते थे लेकिन अब वह एक संगठन से जुड़कर ऐसे बच्चों के पुनर्वास में लगे हैं. जज्जा ने डीडब्ल्यू को बताया,  "संगठन की ओर से मैं बच्चों से बात करने के लिए भेजा जाता हूं कि वे उनकी देखभाल के लिए किस तरह तैयार हैं."

कंपाला में हर चौराहा भीख मांगने वाले बच्चों का ठिकाना बन चुका है
कंपाला में हर चौराहा भीख मांगने वाले बच्चों का ठिकाना बन चुका हैतस्वीर: DW/F. Yiga

जज्जा कहते हैं, "हम देखते हैं कि वे किस चीज को सीखने में दिलचस्पी लेते हैं. यदि वे बढ़ईगीरी या मकैनिकल इंजीनियरिंग सीखने के लिए घर वापस जाने या तकनीकी स्कूलों में प्रवेश लेने के इच्छुक हैं तब हम उन बच्चों की पहचान करते हैं. जिन्होंने जिंदा रहने के लिए संघर्ष किया है और फिर हम उन्हें न्याय दिलाने की उम्मीद में ले जाते हैं.”

आंट नबवीरे एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो कंपाला के उपनगर किबुली स्थित एक चाइल्ड केयर संगठन में काम करती हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहती हैं कि बच्चों को सड़क से हटाने के बाद उनकी संस्था द्वारा उन बच्चों का पुनर्वास किया जाता है. उसके बाद उनसे मिली जानकारी के जरिए उनके परिवारों का पता लगाया जाता है और फिर उन बच्चों को वापस उनके घरों को भेज दिया जाता है.

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नबवीरे कहती हैं, "ये बच्चे बहुत कुछ करते हैं. जब वे सड़कों पर होते हैं तो ये जिंदा रहने के लिए संघर्ष करते रहते हैं. लेकिन हमें उन्हें प्यार से समझाना होता है ताकि उन्हें यह बताया जा सके कि हम उन लोगों की तरह नहीं हैं जो उन्हें परेशान करते रहे हैं या प्रताड़ित करते रहे हैं.”

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वो कहती हैं कि उनकी संस्था में बच्चों को यह सिखाया जाता है कि उन्हें काम करना चाहिए. इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है और यह भी बताया जाता है कि काम करना कोई सजा नहीं है. नबवीरे कहती हैं, "काम यानी मेहनत एक ऐसी चीज है जिसे अपने जीवन को निर्बाध बनाए रखने के लिए हमेशा करते रहना चाहिए.”

मां-बाप को दंडित करना

युगांडा में युवा और बच्चों के मामलों के आयुक्त मोंडो क्यातेका कहते हैं कि वर्तमान संकट के लिए ऐसे मां-बाप और अभिभावक जिम्मेदार हैं जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहे हैं. वो चेतावनी देते हैं कि ऐसे लोगों की पहचान करके उन्हें दंडित किया जाएगा.

डीडब्ल्यू से बातचीत में क्यातेका कहते हैं, "हम बच्चों के मां-बाप को सलाह देने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि वे अपने बच्चों को सड़कों पर न भटकने दें. इसलिए हम उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं कि बच्चों को पालने की जिम्मेदारी आपकी है और उसे निभाइए. सरकार को बुलाने के पहले आप खुद अपनी जिम्मेदारी निभाइए.”

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हालांकि, हर कोई इस संकट के लिए सिर्फ बच्चों के मां-बाप को ही दोष नहीं दे रहा है कि वो उनका पालन-पोषण ठीक से नहीं कर रहे हैं. युगांडा में बच्चों की देखभाल करने वाले कुछ संगठनों का कहना है कि राजधानी कंपाला की व्यस्त सड़कों पर बड़ी संख्या में बच्चे इसलिए भी भीख मांगते हुए दिख रहे हैं क्योंकि जिम्मेदार अधिकारी ढिलाई बरतते हैं और उन बच्चों को पकड़कर जिम्मेदार संस्थाओं को सौंपने में आनाकानी करते हैं.

रिपोर्टः आइजैक कालेजी

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