ब्राजील के चुनावों में बाजीगर बने बोल्सोनारो
३ अक्टूबर २०२२दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के सबसे बड़े देश ब्राजील में राष्ट्रपति पद का चुनाव दूसरे दौर के मतदान में चला गया है. किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा वोट ना मिलने के कारण सेकेंड वोट में शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा. इसके लिए वोट 30 अक्टूबर को डाले जाएंगे. रविवार की वोटिंग के बाद आये नतीजों में सबसे आगे समाजवादी नेता और पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा रहे. उन्हें 48.4 फीसदी वोट मिले.
हैरान करने वाला प्रदर्शन मौजूदा राष्ट्रपति और दक्षिणपंथी नेता जायर बोल्सोनारो का रहा. पहले राउंड में बोल्सोनारो को 43.2 प्रतिशत वोट मिले. ओपिनियन पोल्स में लूला दा सिल्वा को कम से कम 14 परसेंट की बढ़त रहने की बात कही गई थी. नतीजों के बाद बोल्सोनारो ने कहा, "मैंने आपसे कहा था, ओपिनियन पोल गलत साबित होंगे."
राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में कुल 11 उम्मीदवार मैदान में थे. 24 साल बाद यह पहला मौका था जब इतने सारे उम्मीदवार राष्ट्रपति बनना चाहते थे. अब 30 अक्टूबर का दिन तय करेगा कि ब्राजील वामपंथी समाजवादी नेता लूला दा सिल्वा को चुनेगा या दक्षिणपंथ की राह पर बना रहेगा.
ब्राजील के चुनाव में क्या हैं मुद्दे
ब्राजील के चुनावों में सब्सिडी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई मुख्य मुद्दे हैं. एक तरफ जहां बोल्सोनारो का परिवार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा हैं, वहीं दूसरी तरफ वर्कर्स पार्टी के लूला दा सिल्वा खुद भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं. 2003 से 2010 तक ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके लूला दा सिल्वा वर्षावनों की कटाई पर ब्रेक लगाने और आम लोगों को राहत देने वाली आर्थिक नीतियां लागू करने का वादा कर रहे हैं. वहीं बोल्सोनारो गरीबी और अपराध को काबू करने व जीडीपी में जान फूंकने का वादा कर रहे हैं.
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मतदान के नतीजों के बाद बोल्सोनारो ने कहा लोग बदलाव का संकेत दे रहे हैं, लेकिन "बदलाव बदतर भी हो सकता है." बोल्सोनारो का कहना है कि लूला दा सिल्वा सत्ता में आए तो ब्राजील की हालत भी वेनेज्वेला की तरह खस्ता हो जाएगी.
लूला दा सिल्वा के पहले दो कार्यकालों में लाखों ब्राजीलियाई नागरिक गरीबी से बाहर निकले. हालांकि ब्राजील में कोई भी नेता आज तक तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बना है. रविवार को हुए मतदान ने लूला दा सिल्वा को झटका दिया है. इंस्टीटिटो ओपिनियानो के डायरेक्टर आरिल्टन फ्रेरेस कहते हैं, "ध्रुवीकरण की स्थिति में मतदाताओं का बोल्सोनारो की तरफ जाना, यह डेमोक्रैटिक सेंटर के लिए एक बड़ा झटका है."
फ्रेरेस को लगता है कि लुला दा सिल्वा अब भी आगे हैं लेकिन मुकाबला कड़ा हो चुका है. चार हफ्ते का समय बहुत कुछ बदल सकता है.
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इलेक्शन में नेमार की एंट्री
रविवार को हुए मतदान से ठीक पहले ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने देश के स्टार फुटबॉलर नेमार जूनियर की फाउंडेशन का दौरा किया. इस दौरान नेमार पेरिस में थे लेकिन एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने राष्ट्रपति को शुक्रिया कहा और बोल्सोनारो के प्रचार अभियान का जुमला भी गाया. आलोचकों का कहना है कि मतदान से ठीक पहले नेमार की पोस्ट ने बोल्सोनारो के लिए प्रचार का काम किया. ब्राजील में सोशल मीडिया पर नेमार की आलोचना भी हो रही है.
इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए ब्राजील और पेरिस सॉं जर्मां के स्ट्राइकर नेमार ने ट्वीट किया, "वे लोकतंत्र और तमाम चीजों की बात करते हैं, लेकिन अगर कोई अलग राय रखता है तो लोकतंत्र का जाप करने वाले यही लोग उस पर हमला करने लगते हैं."
कैसे होती है ब्राजील में वोटिंग
ब्राजील में 18 साल से 70 साल के शिक्षित लोगों के लिए मतदान अनिवार्य है. 16 और 17 साल के किशोर और 70 साल से बड़े बुजुर्ग अगर चाहें तो मतदान कर सकते हैं. देश में रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 15.6 करोड़ है. देश में हर चार साल में राष्ट्रपति चुनाव होते हैं. चार साल का कार्यकाल संघीय सीनेट सदस्यों का भी होता है. इसी तरह चार साल बाद 26 प्रांतों और एक संघीय जिले के गर्वनर को भी चुना जाता है.
निर्वाचन नियमावली के मुताबिक अगर मतदान में किसी भी उम्मीदवार 50 को फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिलते तो शीर्ष दो उम्मीदवारों के लिये दूसरे चरण की वोटिंग होती है.
सीनेट की सीटों और गर्वनरों के चुनाव के लिए हुई वोटिंग में बोल्सोनारो की लिबरल पार्टी को बढ़त मिली है. चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक सीनेट में बोल्सोनारो की पार्टी का दबदबा होने का मतलब है कि अगर लूला दा सिल्वा राष्ट्रपति बन भी गए तो उनकी राह आसान नहीं होगी.
विरोधाभासी व्यक्तित्व वाले नेता
76 साल के लूला दा सिल्वा की वर्कर्स पार्टी भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है. पार्टी के भ्रष्टाचार के कारण ही लूला दा सिल्वा को जेल भी जाना पड़ा. हालांकि इसके बावजूद ज्यादातर ब्राजीलियाई मानते हैं कि लूला दा सिल्वा खुद ईमानदार हैं. मिट्टी की झोपड़ी और गरीबी से लड़ते हुए राष्ट्रपति पद तक पहुंचने वाला लूला दा सिल्वा विनम्र और सौम्य छवि वाले नेता है. वह कपड़े भी आम लोगों की तरह पहनते हैं और तड़क भड़क से बचने की कोशिश करते हैं. उनकी पार्टी के कुछ नेता राष्ट्रपति की छवि से बिल्कुल मेल नहीं खाते हैं.
दूसरी तरफ, लूला दा सिल्वा से 9 साल छोटे बोल्सोनारो राजनीति में आने से पहले ब्राजील की सेना में अधिकारी रह चुके हैं. वह बल और बंदूक के समर्थक माने जाते हैं. बोल्सोनारो अपने समर्थकों के बीच ताकतवर मर्दाना छवि के लिए विख्यात हैं. लूला जहां लोगों के बीच सिर झुकाए दिख जाते हैं, वहीं बोल्सोनारो घोड़े, मोटरसाइकिल और फायरिंग रेंज जैसी तस्वीरों से अपनी अलग छवि प्रोजेक्ट करते हैं.
समलैंगिक विवाह और गर्भपात की आलोचना भी बोल्सोनारो का प्रिय विषय है. वह नहीं चाहते हैं कि देश में पंथ निरपेक्षता को बढ़ावा मिले. बोल्सोनारो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वर्षावनों की कटाई की भी अनुमति दे देते हैं. बोल्सोनारो के कार्यकाल में पहले दो साल ब्राजील की विकास दर गिरी. इसके लिए वह कोविड-19 को जिम्मेदार ठहराते हैं और कहते हैं कि 2021 की तेजी दिखाती है कि वह क्या कर सकते हैं.
क्षेत्रफल के लिहाज से ब्राजील दुनिया का पांचवां बड़ा देश है, लेकिन जीडीपी के मामले में 12वें नंबर पर है. 21.26 करोड़ की आबादी वाले देश को अब इन्हीं दोनों में से कोई एक नेता चुनना है. नया राष्ट्रपति एक जनवरी 2023 से देश की कमान संभालेगा.
ओएसजे/ एनआर (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)