महिला क्रिकेटरों को पुरुषों के बराबर मैच फीस मिलेगी
२७ अक्टूबर २०२२भारत में लंबे समय से महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ भेदभाव की बात कही जाती रही है. अब कम से कम मैच फीस के मामले में यह गैरबराबरी खत्म हो गयी है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह ने गुरुवार को ट्विटर पर घोषणा की, "हम अपनी अनुबंधित बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों के लिए वेतन इक्विटी नीति लागू कर रहे हैं. पुरुष और महिला क्रिकेटरों दोनों के लिए मैच फीस समान होगी क्योंकि हम भारतीय क्रिकेट में लैंगिक समानता के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं.''
कितनी है खिलाड़ियों की फीस?
बीसीसीआई दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है लेकिन महिला और पुरुष क्रिकेट खिलाड़ियों में आर्थिक भेदभाव साफ नजर आता है. भारतीय पुरुष टीम के क्रिकेटरों को प्रति टेस्ट मैच के लिए 15 लाख रुपये, एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए छह लाख और टी- 20 अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए तीन लाख रुपये फीस के तौर पर मिलते हैं.
यह राशि भारतीय महिला क्रिकेटर को एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच या टी- 20 अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए मिलने वाले 1 लाख रुपये से काफी ज्यादा है. टेस्ट मैच के लिए इन्हें 4 लाख रुपये मिलते हैं. अब नया फैसला लागू होने पर अनुबंधित महिला टीम के खिलाड़ियों को भी समान फीस मिलेगी.
अभी भी है वेतन में बड़ा फर्क
समान फीस का ताजा फैसला सिर्फ प्रति मैच पर लागू होगा. सालाना अनुबंध की राशि महिला और पुरुष दोनों खिलाड़ियों के लिए निश्चित है. खिलाड़ियों को इसके अलावा हर मैच के हिसाब से भी भुगतान किया जाता है.
ग्रेड ए महिला क्रिकेटरों को 50 लाख रुपये, ग्रेड बी की खिलाड़ियों को 30 लाख रुपये और ग्रेड सी की खिलाड़ियों को 10 लाख रुपये मिलते हैं. दूसरी तरफ ग्रेड ए प्लस पुरुष खिलाड़ियों को सात करोड़ रुपये, ग्रेड ए खिलाड़ियों को पांच करोड़ रुपये, ग्रेड बी खिलाड़ियों को तीन करोड़ रुपये, तो ग्रेड सी खिलाड़ियों को एक करोड़ रुपये मिलते हैं. असमानता का हाल यह है कि देश की टॉप महिला क्रिकेटर यानी कि ग्रेड ए का सालाना अनुबंध, ए प्लस पुरुष क्रिकेटर से 14 गुना कम है.
कम दर्शक यानी कम फीस?
कुछ साल पहले टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच से पूछा गया था कि महिला खिलाड़ियों को इतनी कम फीस क्यों मिलती है तो उन्होंने कहा था- क्योंकि महिला टूर्नामेंट को कम दर्शक मिलते हैं. नोवाक की तरह ही कई लोग ये तर्क देते हैं कि महिला टूर्नामेंट को कम दर्शक मिलते हैं, इसलिए फीस कम है. हालांकि महिला खेलों में बढ़ती दिलचस्पी से ये तर्क अब कमजोर पड़ता नजर आ रहा है.
न्यूजीलैंड में खेले गए महिला क्रिकेट विश्व कप 2022 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के टीवी और डिजिटल चैनलों पर कुल 1.64 बिलियन व्यूज मिले. 2020 के महिला क्रिकेट विश्व कप के व्यूअरशिप के मुकाबले यह आंकड़ा 45% ज्यादा है. यह महिलाओं के सबसे ज्यादा एंगेजिंग इवेंट में से एक रहा, और इसने आईसीसी के इतिहास में व्यूअरशिप को लेकर एक रिकॉर्ड बनाया.
सैनिटरी पैड के ब्रैंड को प्रायोजक बनाकर टैबू तोड़ रही है एक भारतीय क्रिकेट टीम
'ऐतिहासिक' फैसला
भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज ने बीसीसीआई के ऐलान को एक 'ऐतिहासिक' फैसला कहा है.
मिताली राज खेल की दुनिया में लैंगिक भेदभाव को हाईलाइट कर चुकी हैं. उनसे कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया था कि उनका पसंदीदा पुरुष क्रिकेटर कौन है? इस पर उनका जवाब था- आप ऐसे सवाल पुरुषों से क्यों नहीं पूछते कि उनकी पसंदीदा महिला खिलाड़ी कौन है? आपको खेल को बराबर रखना चाहिए.'
मिताली राज ने ट्विटर पर लिखा है- "अगले साल डब्ल्यूआईपीएल के साथ वेतन इक्विटी नीति, हम भारत में महिला क्रिकेट के लिए एक नये युग की शुरुआत कर रहे हैं."
न्यूजीलैंड ने की समान वेतन की शुरुआत
खेल की दुनिया में समान जेंडर बजट के रास्ते खुल रहे हैं. इसी साल न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड (एनजेडसी) और खिलाड़ी संघ के बीच पांच साल का ऐतिहासिक करार हुआ. इसमें कहा गया कि पुरुष और महिला क्रिकेटरों को सभी प्रारूपों और प्रतियोगिताओं में समान मैच फीस मिलेगी.