बांग्लादेश: कोटा विरोधी प्रदर्शनों में 50 की मौत, हिंसा जारी
१९ जुलाई २०२४कोटा विरोधी प्रदर्शनकारियों ने 18 जुलाई को देशभर में बंद और चक्काजाम की अपील की थी. इंडिपेंडेंट टेलिविजन नाम के एक समाचार चैनल के मुताबिक, देश के कुल 64 में से कम-से-कम 26 जिलों में झड़पें हुई हैं. प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी.
बढ़ते तनाव के बीच देशभर में इंटरनेट सेवा और मोबाइल इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है. पुलिस विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी कार्रवाई कर रही है. प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा है कि वह 19 जुलाई को भी बंद जारी रखेंगे. प्रदर्शनकारियों ने देशभर की मस्जिदों से अपील की है कि वे प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों के लिए प्रार्थना आयोजित करें.
प्रदर्शनों का सबसे हिंसक दिन
बीते दिन बंद की अपील के बीच भी राजधानी ढाका में दफ्तर और दुकान खुले थे. ऐसे में शुरुआती अनुमान जताया गया कि प्रदर्शनकारियों की बंद की अपील बहुत कारगर नहीं रही है. दिन में कई जगहों पर राष्ट्रीय राजमार्ग ब्लॉक किए जाने और हिंसक झड़पों की खबरें आती रहीं, लेकिन हिंसा का व्यापक स्तर दिन बीतते-बीतते स्पष्ट हुआ. जले हुए वाहन, सड़कों पर बिखरे ईंट-पत्थर के साथ ढाका की सड़कों पर हिंसा और उपद्रव के निशान स्पष्ट दिख रहे हैं.
पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया कि प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी दफ्तरों को जलाया, लूटपाट की और "विनाशकारी गतिविधियां" कीं. ढाका में देश के सरकारी टीवी नेटवर्क 'बांग्लादेश टेलिविजन' (बीटीवी) के मुख्यालय में भी सैकड़ों प्रदर्शनकारी घुस गए और इमारत को फूंक दिया. तब से ही बीटीवी ऑफलाइन है.
बीटीवी के एक रिपोर्टर ने नाम जाहिर ना करने की शर्त पर एपी को बताया कि प्रदर्शनकारी मुख्य दरवाजे से घुसे और उन्होंने वाहनों में आग लगा दी. रिसेप्शन के हिस्से को भी फूंक दिया. इस रिपोर्टर ने फोन पर एपी से कहा, "मैं दीवार फांदकर भागा, लेकिन मेरे कुछ सहकर्मी अंदर फंसे रह गए. हमलावर इमारत में घुसे और फर्नीचरों में आग लगा दी."
ढाका में रैलियों और सभाओं पर रोक
एपी ने ग्राउंड जीरो पर मौजूद अपने एक संवाददाता के हवाले से बताया कि बीटीवी के मुख्यालय के बाहर जमा प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर बॉर्डर गार्ड के सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग की. सुरक्षाकर्मियों ने राइफलों और साउंड ग्रेनेड्स छोड़े. वहीं, पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और रबर बुलेट दागे. एपी संवाददाता के मुताबिक, इस संघर्ष के बाद सड़क पर बुलेट्स का ढेर था और उनपर खून के निशान भी नजर आ रहे थे.
ढाका पुलिस के एक प्रवक्ता फारुख हुसैन ने एएफपी को बताया, "कल (18 जुलाई) को हुई झड़पों में करीब 100 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. लगभग 50 पुलिस बूथों में आग लगा दी गई है." पुलिस महकमे ने अपने बयान में चेतावनी दी है कि अगर यही स्थिति रही, तो वे सख्त कार्रवाई करने पर "मजबूर हो जाएंगे."
पुलिस ने ढाका में रैली निकालने पर पाबंदी लगा दी है. पुलिस प्रमुख हबीबुर रहमान ने एएफपी को बताया, "हमने आज ढाका में सभी रैलियों, सार्वजनिक सभाओं और जुटानों पर प्रतिबंध लगा दिया है." उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया गया है.
खबरों के मुताबिक, इस प्रतिबंध के बावजूद 19 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद सरकार के समर्थन में जवाबी रैलियां निकाले जाने का अनुमान है. ऐसे में सुबह से ही प्रदर्शनकारी छात्र सड़कों पर उतरे हुए हैं. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के भिड़ने की भी खबरें आ रही हैं. एएफपी ने चश्मदीदों के हवाले से बताया कि पुलिस ने कई जगहों पर आंसू गैस दागा है.
मृतकों की संख्या बढ़ने का अंदेशा
पिछले कई दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों में मौजूदा हफ्ता सबसे हिंसक रहा है. समाचार एजेंसी एएफपी ने अस्पतालों से मिली संख्याओं के आधार पर बताया है कि इस हफ्ते अब तक कम-से-कम 50 लोग मारे जा चुके हैं. इससे पहले 16 जुलाई को हुई हिंसा में छह लोग मारे गए थे. समाचार एजेंसी एपी ने स्थानीय मीडिया के हवाले से 18 जुलाई को मारे गए लोगों की संख्या 22 बताई है.
मृतकों की संख्या बढ़ने की भी आशंका है क्योंकि इंटरनेट ब्लैकआउट के कारण हर जगह की खबर नहीं मिल पा रही है. हमने बांग्लादेशी अखबारों के ऑनलाइन संस्करण देखे, लेकिन उनमें से कई ऑफलाइन हैं. टेलिकम्युनिकेश रेगुलेटरी कमीशन ने अपने बयान में कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने उनके डेटा सेंटर पर भी हमला किया और कुछ उपकरणों में आ लगा दी. ऐसे में फिलहाल सर्विस बहाल करना मुश्किल हो रहा है.
एएफपी ने अस्पतालकर्मियों से मिले ब्योरों के आधार पर बताया है कि मृतकों में से कम-से-कम दो तिहाई पुलिस कार्रवाई में मारे गए हैं. इंडिपेंडेंट टेलिविजन के मुताबिक, 18 जुलाई को हुए हिंसक संघर्षों के दौरान 700 से ज्यादा लोग घायल हुए. इनमें 104 के करीब पुलिसकर्मी और 30 पत्रकार हैं. मुख्य विपक्षी दल 'बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी' (बीएनपी) के संयुक्त सचिव रुहुल कबीर रिजवी अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस प्रवक्ता फारुख हुसैन ने बताया, "उनपर सैकड़ों मामले हैं."
सरकारी नौकरियों का है बड़ा आकर्षण
बांग्लादेश दुनिया के सबसे गरीब देशों में है. हालिया सालों में उसकी अर्थव्यवस्था में नाटकीय तौर पर तेजी आई है और इसका बड़ा श्रेय फलते-फूलते कपड़ा उद्योग को जाता है. बांग्लादेश दुनिया के कई बड़े फैशन ब्रैंडों को कपड़े की सप्लाई करता है. केवल इसी क्षेत्र में वह सालाना करीब 5,000 करोड़ डॉलर का निर्यात करता है.
लेकिन देश के संगठित क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं हैं. 2022 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 15 से 24 साल के बीच के 40 फीसदी से ज्यादा बांग्लादेशी ना पढ़ रहे हैं, ना कोई ट्रेनिंग ले रहे हैं और ना ही काम कर रहे हैं. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी से निकलने वाले लाखों स्नातकों के आगे रोजगार का और गंभीर संकट है.
ऐसे में भारत की ही तरह यहां भी सरकारी नौकरियां स्थिर आमदनी का एक बड़ा आकर्षक अवसर मानी जाती हैं. लेकिन छात्रों का कहना है कि सरकारी नौकरियों में लागू कोटा व्यवस्था उनसे मौके छीन रही है.
प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग
साल 2018 तक यहां सरकारी नौकरियों में 56 फीसदी सीटों में कोटा लागू था. इसमें 30 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और उनके बच्चों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं, 10 फीसदी पिछड़े जिलों के लोगों, पांच फीसदी अल्पसंख्यकों और एक प्रतिशत कोटा विकलांगों के लिए था. इस तरह सभी भर्तियों में केवल 44 फीसदी सीटें ही बाकियों के लिए खाली थीं.
कैसे सपने देख रहा है बांग्लादेश का युवा मतदाता
छात्रों का आरोप है कि सत्तारूढ़ आवामी लीग पार्टी के वफादारों को सरकारी नौकरियां देने के लिए इस आरक्षण व्यवस्था का बेजा इस्तेमाल किया जाता रहा है. उनकी मांग है कि कोटा की श्रेणियां घटाई जाएं. 94 फीसदी नौकरियों में मेरिट के आधार पर भर्तियां हों और कोटा घटाकर इसे केवल पिछड़े वर्गों (जनजातियों) और विकलांगों तक सीमित कर दिया जाए.
बड़े स्तर पर प्रदर्शन 1 जुलाई को शुरू हुए, जब विश्वविद्यालय के छात्रों ने देशभर के बड़े शहरों में मुख्य सड़कों और रेलवे लाइनों को ब्लॉक करना शुरू किया. तब से ही प्रदर्शन जारी है और स्थितियां ज्यादा हिंसक और उग्र होती जा रही हैं.
एसएम/आरपी