टिक टॉक पर लड़कियों को बहलाकर तस्करी
९ जून २०२१दुनिया भर में लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो ऐप टिक टॉक का इस्तेमाल संदिग्ध तस्कर लड़कियों और महिलाओं को देह व्यापार में लुभाने के लिए बांग्लादेश में कर रहे थे. संदिग्ध तस्कर महिलाओं को अपने जाल में फंसाकर उन्हें भारत में देह व्यापार के लिए तस्करी करते थे. ढाका पुलिस ने 8 जून को इस गिरोह के 11 सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) की यूनिट ने एक बयान में कहा गैंग का सरगना रफीजुल इस्लाम रिडॉय उर्फ "टिक टॉक रिडॉय" नौजवान लड़कियों को टिक टॉक और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर लुभाता कि उन्हें वह टिक टॉक मॉडल बना देगा. बयान के मुताबिक पीड़ितों को तस्करी कर दक्षिण भारत में ले जाया गया और उन्हें देह व्यापार के लिए मजबूर किया गया.
कई गिरोह सक्रिय
आरएबी के मुताबिक मई के आखिर में एक बांग्लादेशी महिला के कथित यौन उत्पीड़न की वीडियो फुटेज के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद गिरोह की जांच शुरू हुई थी. पिछले हफ्ते ही पुलिस ने संदिग्धों को हिरासत में ले लिया था. ढाका पुलिस के उपायुक्त मोहम्मद शाहिदुल्ला ने कहा कि ताजा गिरफ्तारी सोमवार को हुई जब बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी सीमावर्ती जिले में 17 से 22 साल की उम्र की लड़कियों और महिलाओं की कथित तस्करी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. शाहिदुल्ला ने बताया, "एक आरोपी ने बताया कि उसने एक हजार लोगों को भारत भेजा है."
पुलिस ने कहा कि बांग्लादेश में कुल नौ लोगों और भारत के बेंगलुरू में दो अन्य लोगों को कथित तौर पर तस्करी गिरोह का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है और वीडियो में दिखाए गए कथित यौन उत्पीड़न के आरोपी को भी गिरफ्तार किया गया है. शाहिदुल्ला कहते हैं कि 2019 के बाद से जब बांग्लादेश में टिक टॉक लोकप्रिय हुआ, कम आय वाले परिवारों की लड़कियों को आकर्षित करने के लिए इस तरह के गिरोह सक्रिय हो गए.
वह कहते हैं कि लड़कियों को पूल पार्टियों में बुलाया जाता, टिक टॉक वीडियो में स्टार बनाया जाता, उन्हें कॉल सेंटर, सेल्स और सर्विस सेंटर में अच्छी नौकरियों का सपना दिखाया जाता था.
तस्करी की बढ़ती घटनाएं
एशिया महिलाओं की यौनकर्म के लिए तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है. हाल के दिनों में पुलिस ने कई ऐसे मामले पकड़े हैं जबकि महिलाओं की तस्करी करने वाले गिरोह एशिया के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय थे. मार्च में फिलीपींस में आप्रवासन अधिकारियों पर 44 महिलाओं को सीरिया में बेच देने के आरोप लगे थे. संसद की सीनेट द्वारा की गई जांच में पता चला था कि नौकरी का झूठा वादा कर महिलाओं को पर्यटक वीजा पर फिलीपींस से दुबई भेजा गया. 30 दिनों के बाद जब वीजा की समय-सीमा खत्म हो गई तब उन्हें जबरन सीरिया की राजधानी दमिश्क भेज दिया गया. वहां उन्हें 10,000 डॉलर तक की कीमत में बेच दिया गया.
हाल ही में नेपाल की सरकार ने महिलाओं को तस्करी से बचाने के लिए एक नए कानून का प्रस्ताव पेश किया था जिसमें 40 साल से कम उम्र की विदेश जाने वाली इन महिलाओं को अपने परिवार और स्थानीय वॉर्ड कार्यालय से सहमति लेनी होगी. अधिकारियों का कहना है कि कमजोर तबके की नेपाली महिलाओं को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाने के लिए इस कानून की जरूरत है.
एए/वीके (एएफपी)