बांग्लादेश में बढ़ गए हैं तैरते हुए खेत
बांग्लादेश के लोग दो सौ साल पुरानी खेती की तकनीक की ओर लौट रहे हैं, जब तैरते हुए खेतों पर खेती की जाती थी. रोजी-रोटी का संकट उन्हें बदलाव करने को मजबूर कर रहा है.
तैरते हुए खेत
बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी इलाके में रहने वाले किसान मोहम्मद मुस्तफा ने उस तरह खेती करना शुरू किया है, जैसे कभी उनके पिता किया करते थे. उन्होंने तैरते हुए खेत तैयार किए हैं.
रोजी रोटी का संकट
जैसे-जैसे समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, तटीय इलाकों में पानी अधिक समय तक खड़ा रहने लगा है और किसानों के लिए रोजी-रोटी का संकट हो रहा है. इसलिए वे अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं, जिनमें तैरते हुए खेत भी एक है.
200 साल पुरानी तकनीक
ये खेत बनाने के लिए किसान जाल का इस्तेमाल करते हैं, जो 200 साल पुरानी तकनीक है. इसकी शुरुआत लोगों ने पहले सिर्फ बाढ़ के मौसम में की थी, जो इस इलाके में साल के पांच महीने रहती है.
बाढ़ बढ़ गई है
अब इलाका साल के सात-आठ महीने पानी में डूबा रहता है तो सामान्य तरीकों से खेती करना लगभग असंभव हो गया है.
बढ़ गए हैं तैरते खेत
नजीरपुर जिले में अब तरते हुए खेत 120 हेक्टेयर में फैल चुके हैं. पांच साल पहले यह क्षेत्र 80 हेक्टेयर था.
ज्यादा किसानों की पसंद
लगभग 6,000 किसान तैरते हुए खेतों में खेती कर रहे हैं जबकि पांच साल पहले 4,500 किसान ऐसा कर रहे थे.
डूब रहा है बांग्लादेश
पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था जर्मनवॉच के मुताबिक बांग्लादेश जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों की सूची में सातवें नंबर पर है.