1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फलों की ताजगी बताने वाला ऐप

१९ अप्रैल २०१३

नाम बड़ा और दर्शन छोटे. कई बार फल सब्जियों को खरीदने के बाद जब वे अंदर से खराब निकलते हैं, तो ऐसा ही लगता है. लेकिन अब आप अपने स्मार्टफोन से पता लगा सकते हैं कि जो फल ताजा दिख रहे हैं, वे वाकई में ताजा हैं भी या नहीं.

https://p.dw.com/p/18Ip2
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

जर्मनी के प्रतिष्ठित फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के रिसर्चर ऐसा ऐप बना रहे हैं, जिनकी मदद से स्मार्टफोन से फलों को सटाते ही पता लग जाएगा कि चमक दमक सिर्फ बाहर से ही है या अंदर भी दम है. मोबाइल का स्पेक्ट्रोमीटर भी रोशनी को मापने में खास तौर पर काम करता है. यह पूरा ऐप किसी डिजिटल कैमरे की तरह काम करता है. इससे रोशनी तीन चैनलों में बंट जाती है, जो बाद में एक तस्वीर बनाती है.

Symbolbild Frau mit Smartphone im Internet
तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschke

जर्मन शहर ड्रेसडेन में फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के मिषाएल शोलेस ने बताया, "हम सिर्फ तीन चैनल ही नहीं, बल्कि रोशनी की किरणों के 1000 चैनल रिकॉर्ड करते हैं. उसकी वजह से वस्तु से परावर्तित रोशनी का बेहतर रिजॉल्यूशन मिलता है. इस डिजीटल फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल कर क्वालिटी की पहचान हो सकती है और फल के अंदर तत्त्वों के संकेंद्रन का भी पता लगता है."

इस बेहद अहम ऐप पर इस बार के मंथन में विस्तार से जानकारी दी गई है. विज्ञान, तकनीक और पर्यावरण पर डीडब्ल्यू का खास शो मंथन हर शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर प्रसारित किया जाता है. ऐप बनाने वाली कंपनी का दावा है कि किसी भी चीज की ताजगी जानने के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है. इस ऐप की इंफ्रारेड किरणें खाने पीने की किसी चीज में पानी, नमक या चर्बी की मात्रा बता सकता है. इससे बीयर या शराब में अल्कोहल की मात्रा या दवाओं में रसायन की मात्रा का भी पता चल सकेगा.

Markplatz Bonn Äpfel
तस्वीर: DW/E. Shoo

इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉक्टर हाइनरिष ग्रूगर का कहना है कि इस तरह के काम में लगभग 10 साल का वक्त लग जाता है, "फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट भविष्य के लिए काम कर रहा है. स्पेक्ट्रोमीटर मोबाइल फोन के साथ बनाया जा सकेगा. खरीदार दुकान में ही अपने माल को चेक कर सकेगा. यह ऐप तो यह भी बता देगा कि सेब उसके स्वाद के मुताबिक बहुत ज्यादा खट्टा या मीठा तो नहीं है. कहीं उसे कोई और सेब तो नहीं खरीदना चाहिए."

लेकिन फिलहाल इस ऐप को तैयार होने में तीन से पांच साल तक का वक्त लग सकता है. इससे पहले अगर किसी फल की ताजगी या मिठास को पक्का करना है, तो दुकानदार से कहना होगा कि "थोड़ा टेस्ट करा दो."

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी