पब्लिक में बंदूक लेकर चलना लोगों का हक हैः सुप्रीम कोर्ट
२४ जून २०२२जबकि अमेरिका में यह बहस तेज हो गई है कि बंदूकों पर नियंत्रण कैसे किया जाए ताकि सरेआम गोलीबारी की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके, वहां के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया है जो बंदूकों को और बढ़ावा देने वाला साबित हो सकता है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोगों को पब्लिक में बंदूक लेकर चलने का अधिकार है.
गुरुवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक में बंदूक लेकर चलना अमेरिकी लोगों का मूलभूत अधिकार है. न्यूयॉर्क के एक सदी पुराने कानून को निरस्त करने के एक मुकदमे में यह टिप्पणी की गई है. नौ में से छह जजों ने इस कानून को निरस्त करने के पक्ष में अपना मत दिया जबकि तीन जज विपक्ष में थे.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में नौ जज होते हैं. जिन छह ने इस फैसले का पक्ष लिया है उनमें से तीन को डॉनल्ड ट्रंप के वक्त नियुक्त किया गया था. फैसले में जस्टिस क्लैरेंस थॉमस ने लिखा कि न्यूयॉर्क का कानून ऐसे लोगों को आत्मरक्षा से रोकता है जो कानून के मानने वाले हैं.
न्यूयॉर्क का यह कानून कहता है कि किसी भी व्यक्ति को घर के बाहर बंदूक लेकर चलने के लिए यह साबित करना होगा कि उन्हें आत्म-रक्षा की जायज जरूरत है अथवा कोई ‘उचित कारण' है. कैलिफॉर्निया समेत अमेरिका के कई अन्य राज्यों में ऐसे ही कानून हैं और सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन सभी कानूनों पर भी सवाल खड़े कर सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सामान्य बुद्धि और संविधान दोनों के विरोधाभासी है और इससे हम सबको परेशान होना चाहिए. बाइडेन ने कहा, "एक समाज के तौर पर हमें अमेरीकियों की जानें बचाने के लिए और ज्यादा कोशिश करने की जरूरत है. मैं सभी अमेरिकी लोगों से अपील करता हूं कि बंदूकों से सुरक्षा के बारे में आवाज उठाएं."
मई महीने में टेक्सस के एक प्राइमरी स्कूल में हुई गोलीबारी में 20 बच्चे मारे गए थे. उस घटना के बाद देश में बंदूकों पर सख्ती की मांग और तेज हो गई है. घटना के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सांसदों और आम जनता से भावुक अपील की थी कि बंदूकों पर पाबंदी लगाने के लिए प्रयास करें. उन प्रयासों को सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा फैसले ने बड़ा धक्का पहुंचाया है.
अमेरिकी नेशनल राइफल एसोसिएशन (NRA) के लिए यह चौंकाने वाली जीत है. दो लोगों को न्यूयॉर्क में गन परमिट देने से इनकार कर दिया गया था. उन दोनों लोगों ने एनआरए के साथ मिलकर इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. एनआरए के अध्यक्ष वेन लापिएरे ने फैसले का स्वागत किया.
लापिएरे ने कहा, "आज का फसला अमेरिका के अच्छे पुरुषों और महिलाओं के लिए ऐतिहासिक जीत है और एनआरए के एक दशक से भी ज्यादा लंबी लड़ाई का परिणाम है. आत्मरक्षा का अधिकार और अपने परिवार की सुरक्षा का अधिकार सिर्फ घर के अंदर तक सीमित नहीं रहना चाहिए."
‘काला दिन'
न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचल ने इस फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए इसे एक काला दिन बताया. उन्होंने कहा, "जबकि पूरे देश में बंदूकों के कारण होने वाली हिंसा पर आवाज उठ रही है, यह घृणित है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यूयॉर्क के एक ऐसे कानून को निरस्त कर दिया है जो लोगों को हथियार छिपाकर पब्लिक में जाने से रोकता है.”
कैलिफॉर्निया के नेता गैविन न्यूसम ने इस फैसले को शर्मनाक बताया. उन्होंने ट्वीट किया, "उग्रवादी विचारधारा के एजेंडा को आगे बढ़ाने में जुटे पड़े सुप्रीम कोर्ट ने यह एक शर्मनाक फैसला सुनाया है और उन राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन किया है जो अपने नागरिकों को सड़कों, स्कूलों और चर्चों में गोली का शिकार बनने से बचाने में लगे हैं.”
बंदूक हिंसा के पीड़ित कुछ इस तरह से कम कर रहे अपना गम
अमेरिका की सेनेट एक बिल लाने की तैयारी कर रही है जिसके जरिए बंदूकों पर सख्ती बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है. टेक्सस में छोटे बच्चों की मौत के बाद देशभर में ऐसे प्रतिबंधों की मांग उठी थी जिसके बाद सेनेट में दोनों दलों द्वारा एक बिल पेश किए जाने की बात चली. ऐसा कम ही होता है कि अमेरिका में दोनों दल मिलकर कोई बिल पेश करें.
डेमोक्रैट सेनेटर डिक डरबिन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने के बाद कांग्रेस द्वारा कार्रवाई और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है ताकि हमारे बच्चों और आम लोगों को बूंदकों की गोली से बचाया जा सके. उन्होंने कहा, "एक ऐसे देश में जहां लगभग 40 करोड़ हथियार हैं, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला और ज्यादा मौतों और अव्यवस्था को न्योता देता है.”
हजारों मौतें गोली से
अमेरिका के आधे से ज्यादा राज्यों में बंदूक लेकर चलने के लिए किसी तरह के परमिट की जरूरत नहीं होती. कई राज्यों में तो ऐसे कानून पिछले दशक में ही बने हैं. लेकिन न्यूयॉर्क ने 1913 में यह कानून बनाया था जिसके तहत पब्लिक में बंदूक लेकर चलने पर रोक लगाई गई थी.
पिछले दो दशकों में अमेरिका में 20 करोड़ से ज्यादा हथियार बिके हैं. एक अध्ययन के मुताबिक देश में हर सौ लोगों पर लगभग 120 बंदूके हैं. इसकी तुलना में सीरिया में, जहां कई साल से युद्ध चल रहा है, हर सौ लोगों पर करीब 53 हथियार हैं.
2020 के आंकड़े बताते हैं कि देश में 45 हजार से ज्यादा लोग गोली का शिकार हुए थे जिनमें 24,292 ने खुद को गोली मारी थी. 2021 में हुए एक सर्वे में 52 फीसदी लोगों ने कहा था कि देश में बंदूक संबंधी कानूनों को और सख्त किये जाने की जरूरत है.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)