हेपेटाइटिस की ए बी सी
लीवर की बीमारी हेपेटाइटिस कई तरह की होती है, जैसे ए, बी, सी, डी और ई. लेकिन क्या इन सब का इलाज संभव है या इनमें से कोई लाइलाज भी है आइए इससे बचने के कुछ तरीके भी जानते हैं.
क्या होता है हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस का मतलब लीवर में सूजन से है. इस स्थिति में लीवर के टेस्ट सही नहीं आ रहे होते हैं. भारतीय आबादी में सबसे ज्यादा संक्रमण हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई वायरस के कारण होते हैं. इनमें से हेपेटाइटिस ए और ई के संक्रमण बहुत कम समय के लिए रहते हैं जबकि हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का वायरस कई दशकों तक शरीर में रह सकता है और लीवर के कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का मुख्य कारण भी बनता है.
कैसे होता है बी और सी का संक्रमण
हेपेटाइटिस बी और सी को साइलेंट किलर मानते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इन दोनों किस्म के वायरसों से संक्रमित कुल आबादी में से केवल 10 से 20 फीसदी लोगों को ही इसका पता होता है. हेपेटाइटिस बी का संक्रमण असुरक्षित सेक्स से या गर्भवती मां से बच्चे में आ सकता है. इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की हुई सूई, टैटू की सूई या दूसरे तरीकों से खून के संपर्क में आने से भी होता है.
बाकी किस्मों से थोड़ा अलग है बी और सी (तस्वीर: हेपेटाइटिस बी वायरस)
लंबे समय तक हेपेटाइटिस बी का संक्रमण धीरे धीरे लीवर को कड़ा और आकार में छोटा कर सकता है. इसके कारण लीवर ठीक से काम नहीं कर पाता और आगे चलकर यही लीवर फेल होने या लीवर के कैंसर का कारण बनता है. केवल एक सही दवा लेकर आप इस वायरस पर काबू पा सकते हैं और अपने लीवर को बचा सकते हैं. डॉक्टर की मदद से आप हेपेटाइटिस सी के संक्रमण को भी 3 से 6 महीने में दवा से ठीक कर सकते हैं.
कैसे होता है ए और ई का संक्रमण (तस्वीर: हेपेटाइटिस ई वायरस)
हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण अक्सर गंदे खाने और पानी से आता है. इसके कारण पेट के ऊपर के हिस्से में दर्द होता है या उल्टी, पीलिया, पीला पेशाब और भारी थकान की शिकायत हो सकती है. एक दो हफ्ते में ज्यादातर लोग इससे अपने आप ठीक भी हो जाते हैं. लेकिन कुछ लोगों में इसके कारण लीवर फेल हो सकता है. खास तौर पर, गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस ई का संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है.
हेपेटाइटिस से कैसे बचें
ए और ई से बचने के लिए अपने खानपान की सफाई पर ध्यान देना सबसे कारगर उपाय है. हेपेटाइटिस ए के लिए एक बहुत असरदार टीका भी मौजूद है. एक साल से ऊपर की उम्र में कोई भी इसकी दो खुराक लेकर खुद को हेपेटाइटिस ए से सुरक्षित कर सकता है. बी और सी से बचने के लिए आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि शरीर में लगने वाली सूई और चढ़ाया जाने वाला रक्त दोनों सुरक्षित हों. हेपेटाइटिस बी का टीका भी नवजात तक को दिया जा सकता है.
कौन है लाइलाज (तस्वीर: हेपेटाइटिस सी का वायरस)
अब तक हेपेटाइटिस सी और ई का कोई टीका नहीं बनाया जा सका है. इसलिए इनसे बचने की कोशिश करना ही फिलहाल आपके हाथ में है. अपने हेल्थ चेकअप में हेपेटाइटिस बी और सी की जांच भी करवाया करें और जिनके टीके उपलब्ध हैं वे पहले ही लगवाए जा सकते हैं. पीलिया जैसी बीमारियों का अच्छे से इलाज कराएं ताकि छुपे हुए हेपेटाइटिस के वायरस को पकड़ा जा सके और लीवर को बचाया जा सके.
क्यों जरूरी है लीवर को बचाना
लीवर ना केवल हम इंसानों बल्कि दूसरे रीढ़धारी जीवों के शरीर का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है. यहीं शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन का संश्लेषण होता है और यही अंग शरीर से सभी जहरीली चीजों को छान कर शरीर से बाहर निकालने में मदद भी करता है. खाना पचाने के लिए जरूरी कई रस जैविक लीवर से ही निकलते हैं. इस तरह स्वस्थ जीवन जीने के लिए लीवर का फिट होना बेहद जरूरी है.