यूएन से तालिबान के कथित अपराध की जांच की मांग
२८ सितम्बर २०२१अधिकार कार्यकर्ता समूहों ने यूएन की मानवाधिकार एजेंसी से अफगानिस्तान में लक्षित हत्याओं, महिलाओं पर प्रतिबंध और अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक जैसी रिपोर्ट की जांच की मांग की है. यह अपील ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय संघ अफगानिस्तान पर मसौदा प्रस्ताव पेश करने की तैयारी कर रहा है. इस अपील को अफगानिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग का समर्थन हासिल है. आयोग के प्रमुख का कहना है कि देश में उनकी कई गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया है.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक आपातकालीन सत्र आयोजित किया था, लेकिन कार्यकर्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान के नेतृत्व वाला प्रस्ताव जो अपनाया गया था वह बहुत कमजोर था. उसके बाद संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट को कुछ शक्तियों के साथ दोबारा रिपोर्ट करने को कहा गया था.
बैचलेट ने 13 सितंबर को मंच को बताया कि तालिबान ने महिलाओं को घर पर रहने का आदेश देकर और अपने पूर्व दुश्मनों की घर-घर तलाशी लेकर वादों को तोड़ा है.
इस सत्र में प्रसारित यूरोपीय संघ का मसौदा प्रस्ताव जिसे रॉयटर्स ने देखा है उसमें प्रदर्शनकारियों और मीडिया के खिलाफ हिंसा की निंदा की गई है. अगर यह मसौदा अपना लिया जाता है तो प्रतिवेदक नियुक्त किया जाएगा लेकिन घटनाओं की पूर्ण जांच नहीं की जाएगी.
जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि नासिर अहमद अंदीशा के मुताबिक, "हम परिषद के सदस्यों से परिषद के जनादेश के अनुरूप अफगानिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति की निगरानी के लिए एक समर्पित और प्रभावी तंत्र की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव को अपनाने का आग्रह करते हैं जो जवाबदेही और रोकथाम के लिए जरूरी है."
कार्यकर्ताओं का कहना है कि एक विशेष प्रतिवेदक- स्वतंत्र विशेषज्ञ जिनके पास आमतौर पर पूर्णकालिक नौकरी होती है, काफी नहीं होगा.
ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केन रॉथ के मुताबिक, "संयुक्त राष्ट्र से कुछ सहायता के साथ मात्र एक विशेष प्रतिवेदक पर्याप्त नहीं है."
वे आगे कहते हैं, "देश की जटिलता को देखते हुए एक जांच तंत्र को समर्पित संसाधनों और स्पष्ट जनादेश के साथ एक पूर्ण टीम की जरूरत होती है."
इस बीच एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने शनिवार को कहा कि पश्चिमी अफगान शहर हेरात में तालिबान ने चार कथित अपहरणकर्ताओं को मार डाला और दूसरों को रोकने के लिए उनके शवों को सार्वजनिक रूप से लटका दिया.
एए/वीके (रॉयटर्स)