2018 के एशियाई खेलों में इन्होंने भारत को दिलाया गोल्ड
कॉमनवेल्थ खेलों के बाद अब एशियाई खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. उम्मीद है कि ओलंपिक में भी इन खिलाड़ियों का यह सफर जारी रहेगा. एक नजर एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों पर.
बजरंग पूनिया, कुश्ती
'गोल्डन बॉय' नाम से मशहूर बजरंग पूनिया ने एशियन गेम्स 2018 में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया. जीत के बाद पूनिया ने अपना पदक स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया. हरियाणा के सोनीपत निवासी पूनिया का नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के दावेदारों में सबसे आगे हैं.
विनेश फोगाट, कुश्ती
फोगाट सिस्टर्स-गीता और बबीता की चचेरी बहन विनेश ने रियो ओलिंपिक की कसर कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में पूरी कर दी है. 50 किलोग्राम वर्ग में वह एशियाई खेलों में कुश्ती का गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. वापसी में एयरपोर्ट पर ही इनकी सगाई भी हो गई. इनका लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतकर अपने गुरु महाबीर फोगाट का सपना पूरा करना है.
सौरभ चौधरी, शूटिंग
16 साल के निशानेबाज सौरभ चौधरी ने 10 मीटर एयर पिस्टल के मेन्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीता है. एशियन गेम्स में छोटी उम्र में ऐसा कारनामा करने वाले वह पहले भारतीय हैं. इसी इवेंट में भारत के अभिषेक वर्मा ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. मेरठ के कलीना गांव के रहने वाले अभिषेक ने 2015 में शूटिंग शुरू की. मशहूर शूटर जसपाल राणा से उन्होंने शूटिंग के गुर सीखे.
तजिंदरपाल सिंह, शॉटपुट
अपने पांचवें प्रयास में 20.75 मीटर गोला फेंककर तजिंदरपाल सिंह तूर ने भारत को गोल्ड मेडल जीता दिया. तूर का यह प्रयास एशियन गेम्स में नया रिकॉर्ड बन गया. 23 साल के तजिंदर पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं. वह क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन पिता ने उन्हें व्यक्तिगत खेल के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने शॉटपुट में हाथ आजमाया.
नीरज चोपड़ा, जैवलिन
20 वर्षीय नीरज ने एशियन गेम्स में 88.06 मीटर भाला फेंक न सिर्फ गोल्ड मेडल जीता बल्कि अपना ही वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया. पानीपत निवासी नीरज को कबड्डी खेलने का शौक था. उन्होंने अपने दोस्त की सलाह पर कबड्डी छोड़कर जैवलिन की प्रैक्टिस शुरू की. इसके लिए नीरज ने सबसे पहले वजन घटाया. फिर उनकी मेहनत और प्रैक्टिस रंग लाई और वह पदक जीतते चले गए.
स्वर्ण सिंह, नौकायान
मूलतः पंजाब के रहने वाले और झारखंड के रामगढ़ कैंट स्थित सिख रेजीमेंटल सेंटर में सूबेदार पद पर कार्यरत स्वर्ण सिंह ने रोइंग यानि नौकायान में गोल्ड मेडल जीता है. स्वर्ण सिंह के बारे में जब रामगढ़वासियों पता चला तो खुशी की लहर दौड़ गई. तस्वीर में तिरंगे के अन्य विजेता दत्तू भोकानल (बाएं) और ओम प्रकाश.
राही सरनोबत, शूटिंग
एशियाई खेलों में शूटिंग में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी राही सरनोबत (बीच में) ने 25 मीटर पिस्टल में 34 अंक का स्कोर किया. राही को पिछले साल कोहनी में गंभीर चोट का सामना करना पड़ा था. फिर उन्हें अपनी तकनीक में बदलाव करने की जरूरत महसूस हुई. इसलिए दो बार विश्व विजेता और जर्मनी के ओलंपिक पदक विजेता मुंखबायर दोर्चसुरेन से ट्रेनिंग लेनी शुरू की.
मनजीत सिंह, जिनसन जॉनसन- 800 मीटर
पुरुषों की 800 मीटर दौड़ में भारत को दोहरी सफलता मिली. मनजीत सिंह ने 1:46:15 मिनट में 800 मीटर की दूरी तय कर स्वर्ण पदक हासिल किया. वहीं जिनसन जॉनसन 1:46:35 मिनट में दूसरे स्थान पर रहे. कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा ले चुके मनजीत ने बेरोजगारी के बाद भी प्रैक्टिस जारी रखी. जून में उनका बेटा पैदा हुआ, लेकिन अति व्यस्तता के कारण वह अभी तक बेटे से नहीं मिल पाए है.
अरपिंदर सिंह, ट्रिपल जंप
अरपिंदर सिंह ने 16.77 मीटर के जंप के साथ भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाला. 48 साल बाद भारत को इस इवेंट में स्वर्ण पदक मिला है. अरपिंदर ने छह में से तीन जंप गलत लगाए थे, फिर भी कोई और खिलाड़ी उन्हें पछाड़ने में नाकाम रहा. वहीं, इसी इवेंट में भारत के राकेश बाबू छठे स्थान पर रहे. इससे पहले अरपिंदर ने साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता था.
स्वप्ना बर्मन, हेप्टाथलन
रिक्शाचालक की इस बेटी ने साबित कर दिया है कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है. हेप्टाथलन में स्वप्ना ने गोल्ड मेडल जीता है. इस खेल के पहले स्टेज में 100 मीटर रेस लगानी होती है. दूसरा हाई जंप, तीसरा शॉटपुट, चौथा 200 मीटर रेस, पांचवा लॉन्ग जंप, छठा जैवलिन थ्रो और आखिर में 800 मीटर रेस होती है. दोनों पैरों में छह उंगली होने के कारण स्वप्ना चाहती हैं कि कोई कंपनी उनके लिए जूते बनाए, ताकि वह आसानी से खेल सके.