सुनामी की आपदा के 20 साल
आंसू में डूबी आंखें, प्रार्थना में जुड़े हाथ और बिछड़े अपनों की यादों से भरा दिल... एशिया में कई जगहों पर लोग 20 साल पहले आई सुनामी की तबाही और उसके बाद गुजरे सालों को याद कर रहे हैं.
मानव इतिहास की सबसे बड़ी आपदा
26 दिसंबर, 2004 को आई सुनामी ने दुनिया के कोने-कोने में पहली बार इस नाम का डर फैला दिया. इसमें 2,20,000 लोगों की जान गई. घायल, बेघर, लापता और बेसहारा हुए लोगों की तो कोई गिनती ही नहीं. इसे अब तक की सबसे बड़ी आपदा कहा जाता है.
30 मीटर ऊंची लहरों की दीवार
जब सुनामी का ज्वार उठा तो सागर की लहरें 30 मीटर तक ऊंची हो गईं. ऊंची और बेहद ताकतवर लहरों के आगे किसकी मजाल थी कि टिक पाता. आदमी, जीव-जंतु, मकान, दुकान, होटल, गाड़ियां सब रेत की तरह लहरों की आगोश में समा गए.
तबाही लेकर चलीं सागर की लहरें
इंडोनेशिया के पश्चिमी सिरे पर 9.1 तीव्रता वाले भूकंप से सागर तल फट गया और बुलेट ट्रेन की दोगुनी रफ्तार से लहरों का सैलाब किनारों की तरफ दौड़ पड़ा. पानी की लहरों को इतनी मजबूती से और विकराल स्वरूप में बढ़ते हुए पहले कभी नहीं देखा गया था.
कई देशों ने झेला सुनामी का कहर
हिंद महासागर की इस तबाही ने केवल इंडोनेशिया के आचेह प्रांत में ही 1 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली. इसके कुछ घंटों बाद लहरों का तांडव श्रीलंका, भारत और थाईलैंड समेत 14 देशों के सागरतट पर पहुंचा. बिना चेतावनी के आई आफत ने लाखों लोगों को संभलने का कोई मौका नहीं दिया और सब कुछ खत्म हो गया.
चमत्कारों से बचे पर दिल से गया नहीं डर
इस आपदा में बहुत से लोगों की जान किसी वजह से बच गई, जो उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं. हालांकि इन लोगों के दिलों में उस घटना का डर और अपनों का खोने का दर्द 20 साल बाद भी वैसा ही है.
आचेह का सायरन मास ग्रेव
आचेह की इस सामूहिक कब्रगाह में 46,000 लोगों को दफनाया गया. बीते सालों में वहां लगे पेड़ अब इतने बड़े हो गए हैं कि उनकी छाया में बैठ कर भावुक परिजनों ने अपनों के लिए प्रार्थना की और उन्हें याद किया.
सैलानियों की मौत
सुनामी की तबाही ने बड़ी संख्या में सैलानियों की जान ली. ये वो लोग थे जो दुनिया भर से क्रिसमस की छुट्टियों के लिए सागर तट पर बसे शहरों में आए थे. थाईलैंड में पांच हजार लोगों की मौत हुई थी और उसमें आधे से ज्यादा सैलानी थे. पीड़ितों के परिजन इन जगहों पर उन्हें श्रद्धांजलि देने आते हैं.
श्रीलंका की ओशेन क्वीन एक्सप्रेस के यात्री
सुनामी के कारण श्रीलंका में 35,000 लोगों की मौत हुई. इनमें से एक हजार वो लोग थे जो ओशेन क्वीन एक्सप्रेस ट्रेन से उस दिन यात्रा कर रहे थे. सागर की लहरें ट्रेन को पटरी से उतार कर बहा ले गईं. उसी ट्रेन में बैठ कर लोग पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने हादसे वाले शहर पेरालिया पहुंचे.
भारत में सुनामी
दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, पुड्डुचेरी और अंडमान निकोबार द्वीप समूह सुनामी की चपेट में आए थे. इन राज्यों में 7000 लोगों की जान गई. इनमें लापता लोग भी शामिल हैं जिन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
सोमालिया तक असर
इस सुनामी की वजह से मालदीव में करीब 100 तो मलेशिया और म्यांमार में दर्जनों लोग शिकार बने. सोमालिया में सूनामी से 300 से ज्यादा लोगों की जान गई. जिस किसी ने वो मंजर देखा या सुना उनके लिए वो कभी ना भूलने वाली याद बन गई.