नए आईटी नियमों के खिलाफ एक और मुकदमा
२४ जून २०२१यह मुकदमा डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) की तरफ से किया गया है, जिसके सदस्यों में टाइम्स इंटरनेट, एचटी डिजिटल, एनडीटीवी कन्वर्जेन्स, जागरण प्रकाशन, दैनिक भास्कर कॉर्प, एबीपी नेटवर्क, मलयाला मनोरमा और अन्य प्रकाशक शामिल हैं. डीएनपीए की इस याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्रीय आईटी मंत्रालय और सूचना और मंत्रालय को नोटिस भी जारी कर दिया है. दोनों मंत्रालयों को 15 दिनों के अंदर अपना जवाब देने के लिए कहा गया है. अगली सुनवाई तीन हफ्तों बाद होगी.
याचिका विशेष रूप से नए आईटी नियमों के नियम 12, 14 और 16 के खिलाफ है. नियम 12 प्रकाशकों की एक या एक से ज्यादा स्व-नियामक संस्थाएं बनाने की बात करता है. नियम 14 सूचना और प्रसारण मंत्रालय को एक ऐसी समिति बनाने की अनुमति देता है जिसमें दूसरे मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा सकता है. नियम 16 के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय का सचिव बिना प्रकाशक को किसी भी प्रकार की सूचना दिए कोई भी जानकारी को ब्लॉक करने की शक्ति देता है.
डीएनपीए ने याचिका में कहा है कि इन नियमों से ऐसी संस्थाओं के नियंत्रण की कोशिश की जा रही है जो आईटी कानून की परिधि से बाहर हैं; ये नियम पारम्परिक और लिगेसी मीडिया संस्थानों पर "अति विनयमन" या "ओवर रेगुलेशन" का बोझ डाल रहे हैं; ये खुद आईटी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं; इनसे प्रेस की अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश की जा रही है और इनकी वजह से "सर्विलांस और भय" का माहौल बन जाएगा. याचिका में नए नियमों के तहत लाए गए कोड ऑफ एथिक्स को भी चुनौती दी गई है.
याचिका में कहा गया है कि इस संहिता में "आधा सच, सुरुचि, शालीनता" जैसे "अपरिभाषित, अस्पष्ट और मनोगत" मानकों के आधार पर प्रकाशनों के विनयमन की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा डीएनपीए ने यह दलील भी दी है कि इस क्षेत्र पर पहले से ही विनियमन के कई नियम लागू हैं. हाई कोर्ट ने इस याचिका को संगीतज्ञ टी एम् कृष्णा द्वारा आईटी नियमों को दी गई चुनौती के साथ जोड़ दिया है. इसी के साथ यह नए आईटी नियमों के खिलाफ दायर होने वाली नौवीं याचिका बन गई है.
बताया जा रहा है कि ये बड़ी कंपनियां पिछले कुछ महीनों से इन प्रावधानों को हटवाने के लिए सरकार से बातचीत कर रही थीं, लेकिन बातचीत का कोई नतीजा ना निकलने के बाद इन्होने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला ले लिया. इस याचिका के अलावा पांच याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट में दर्ज हैं, दो-दो मद्रास हाई कोर्ट में और एक कर्नाटक हाई कोर्ट में. समाचार संस्थानों के अलावा व्हाट्सएप ने भी इन नियमों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका डाली हुई है.