111 दिन भूखे रह कर चला गया गंगा का बेटा
११ अक्टूबर २०१८बहुत से लोग जीडी अग्रवाल को स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से भी जानते हैं. 87 साल के अग्रवाल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य भी रह चुके थे. बीते कई सालों से वे संन्यासी का जीवन जी रहे थे. स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक जीडी अग्रवाल को बुधवार की रात दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उन्हें ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. अनशन के दौरान वे सिर्फ पानी और शहद का उपयोग कर रहे थे. पत्रिका डाउन टू अर्थ के मुताबिक वे इसके पहले भी तीन बार नदियों को बचाने के लिए अनशन कर चुके थे. 2009 में उनके अनशन के चलते भागीरथी पर बन रहे बांध को रोक दिया गया था.
गंगा मुद्दे को लेकर जीडी अग्रवाल ने अब तक कई चिट्ठियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम मंत्रालयों को लिखी थीं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इन चिट्ठियों में अग्रवाल ने गंगा और इसकी सहायक नदियों पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं को रोकने की अपील की थी. साथ की गंगा संरक्षण अधिनियम को अमल में लाने की बात कही थी.
अपनी चिट्ठी में उन्होंने कहा था, "अगर इस मसौदे को कानून बना कर लागू कर दिया जाता है तो गंगाजी से जुड़ी कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी. सरकार संसद में अपने बहुमत का इस्तेमाल करते हुए इस मसौदे को कानून का रूप दे सकती है. मैं अपना अनशन उसी दिन तोड़ूंगा जिस दिन यह संसद में पारित हो जाएगा. ये मेरी आखिरी जिम्मेदारी है. अगर वे इसे पारित कराने के लिए तैयार तो अच्छा, अगर नहीं... तो बहुत लोग खुशी-खुशी मर जाएंगे. अब समय आ गया है कि हम भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए इस पवित्र नदी की जिम्मेदारी लें."
जीडी अग्रवाल की मौत, गंगा बचाओ आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है. सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अग्रवाल की मौत पर दुख जताया है. वकील प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में लिखा, "अनशन के बाद पर्यावरणविद जीडी अग्रवाल का निधन हो गया. उत्तराखंड पुलिस ने जबरन उन्हें उठाया और अस्पताल भेज दिया. गंगा को बचाने की उनकी अपील मोदी सरकार के कानों में नहीं पहुंची. यह दुनिया पवित्र आत्माओं के लिए नहीं है."
मोदी सरकार की आलोचना करते हुए ट्वीट किए जा रहे हैं एक ट्वीट में लिखा गया, "यह बहुत दुखभरा है. खासकर ऐसे देश में जहां का प्रधानमंत्री खुद को गंगा का बेटा कहता है."
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में लिखा है, "जीडी अग्रवाल का देहांत अत्यंत पीड़ादायक है. मां गंगा का असली बेटा आज चला गया, पर वो आज भी कराह रहीं है. कब तक मां गंगा, भाजपा की राजनीतिक अवसरवादिता की शिकार होती रहेंगी?"