100 सैकड़ों के बाद क्या करेंगे सचिन
१६ मार्च २०१२भारत में बॉसेज आज खुश होंगे कि अब उनके यहां काम बेहतर ढंग से हो सकेगा क्योंकि सचिन के शतक का इंतजार कर रहे कर्मचारियों की तमन्ना पूरी हो गई. नहीं तो इधर सचिन 100 के आस पास पहुंचते थे, उधर सारे लोग काम धंधा छोड़ कर टीवी देखने बैठ जाते थे. यह तो एक रिवाज बन गया था.
घुंघराले बाल और हल्की आवाज वाले सचिन तेंदुलकर ने पिछले दो दशक में ऐसी जगह हासिल कर ली है, जो हर रोज ऊंची ही होती जा रही है. कुछ लोगों ने तो अब इस बहस में भी हिस्सा लेना छोड़ दिया है कि डॉन ब्रैडमैन बेहतर हैं या सचिन तेंदुलकर. वे ब्रैडमैन को डॉन कहते हैं और सचिन को भगवान. फिर उनके लिए तुलना आसान है, डॉन बड़ा या भगवान.
चलिए, मजाक एक किनारे. खुद डॉन ब्रैडमैन ने भी एक बार कहा था कि सचिन को बल्लेबाजी करते हुए देखते हैं तो उन्हें अपनी बैटिंग याद आ जाती है. पिछले 22 साल में सचिन ने बल्लेबाजी के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं और इसके लिए सबसे बड़ा इलजाम अगर किसी पर जाता है, तो वे दो गेंदबाज हैं डेनिस लिली और वकार यूनुस.
लिली वकार जिम्मेदार
सचिन ने कभी चेन्नई में लिली से गुजारिश की थी कि उसे तेज गेंदबाज बनने में मदद करें. उस वक्त स्कूल में पढ़ रहे सचिन को लिली ने सलाह दिया कि गेंदबाजी छोड़ो, तुम बल्लेबाजी पर ध्यान दो.
वकार यूनुस ने सचिन तेंदुलकर के साथ ही 1989 में अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की. उनकी एक गेंद सचिन के चेहरे पर लगी और खून रिसता हुआ उनके सफेद शर्ट को गीला कर गया. सचिन टस से मस नहीं हुए. उन्होंने उस दिन के बाद गेंदबाजों का खून सुखा दिया. उस मैच में पाकिस्तान के जावेद मियांदाद भी खेल रहे थे. मियांदाद तभी समझ गए थे कि ग्राउंड पर कोई करिश्मा आया है, "हम बहुत दिन से सुन रहे थे कि मुंबई का कोई किशोर कराची में क्रिकेट की शुरुआत करने वाला है. उसके बारे में टेस्ट से पहले ही बहुत कुछ कहा जा रहा था. उसने अच्छी शुरुआत की लेकिन जब सीरीज आगे बढ़ने लगी, तब हमें समझ आ गया कि यह तो महान है." उसी सीरीज में सचिन ने उस वक्त के सबसे खतरनाक स्पिनर अब्दुल कादिर की लगातार तीन गेंदों पर तीन छक्के जड़ दिए थे.
उस सीरीज में शोएब मोहम्मद भी खेल रहे थे. उनका कहना है, "मुझे याद है कि किस तरह इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे गेंदबाज उसे बाउंसर फेंक रहे थे और वह कैसे बहादुरी से बल्लेबाजी कर रहा था. उस वक्त हमारे बीच चर्चा हो रही थी कि किस तरह यह लड़का जबरदस्त हुनर वाला है."
हुनर और लगन
हुनर के अलावा सचिन को लगन ने भी महान बनाया. उनके साथ क्रिकेट खेल चुके विनोद कांबली में भी जबरदस्त हुनर था. उन्होंने दो दोहरे शतक बनाए हैं और किसी जमाने में उनकी बल्लेबाजी शानदार होती थी. लेकिन 1995 के बाद उनका करियर रुक सा गया. पर सचिन ने अपने हुनर के साथ अपनी मेहनत भी झोंक दी. वह आज भी नेट पर उतना ही समय लगाते हैं, जितना कोई नया खिलाड़ी लगाता हो.
इस शख्स के जीवन में क्रिकेट के अलावा और कुछ नहीं है. सलिल अंकोला ने भी अपना एक टेस्ट मैच सचिन के साथ खेला है. वह याद करते हैं कि किस तरह एक रात कराची में सचिन सोते सोते चलने लगे और एक साथी खिलाड़ी के कमरे में पहुंच कर पूछा कि उन्होंने जो बैट का ऑर्डर दिया था, क्या वह आ गया है.
नींद में भी क्रिकेट
ऐसे किस्से भी हैं कि अगर वह किसी गेंदबाज की गेंद पर आउट हो जाते, तो रात भर उसका नाम बड़बड़ाते रहते. फिर अगले मैच में हिसाब बराबर करने की कोशिश करते.
सचिन एक बेहद संयमित और शांत निजी जीवन जीते हैं. शायद उनकी कामयाबी का राज भी यही है कि वह अरबों लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरते रहे हैं. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ का कहना है, "अपनी कामयाबी के बाद भी वह बेहद विनम्र और सादे हैं."
ग्लोब के जिस हिस्से में भारत है, उधर सचिन भी व्यापक रूप से फैले हैं. गगनचुंबी होर्डिंग से लेकर सीमेंट, क्रेडिट कार्डों, बैंकों, कैमरे, कोल्ड ड्रिंक और पता नहीं क्या क्या. अब तमन्नाएं पूरी हो चुकी हैं. सवाल है कि सचिन का अगला कदम क्या होगा.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः महेश झा