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हार के बाद मुंह चुराने में लगी कांग्रेस

आमिर अंसारी२० अक्टूबर २०१४

लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर दो प्रांतीय चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा.15 साल तक महाराष्ट्र पर राज करने वाली कांग्रेस तीसरे स्थान पर लुढ़क गई है, हरियाणा में भी बुरा हाल है

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तस्वीर: UNI

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी नतीजे दिखाते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने हथियार डाल दिए हैं. विधानसभा चुनावों में पार्टी के तमाम बड़े नेता ऊपरी मन से प्रचार करते नजर आए. मीडिया में कांग्रेस की हार की आलोचना के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक लिखित बयान जारी किया. बयान में राहुल ने कहा, "हम जनता के निर्णय को स्वीकार करते हैं. महाराष्ट्र में हमारी सरकार के 15 साल और हरियाणा में 10 साल के बाद लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया है." राहुल ने अपने बयान में कहा कि जनता का विश्वास दोबारा पाने के लिए वह जमीनी स्तर मेहनत करेंगे.

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का बयान भी हलका रहा, सोनिया का बयान इस तरह से तैयार किया गया था जिससे विजेता के जिक्र से बचा जा सके. सोनिया के बयान के मुताबिक, "कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र एवं हरियाणा में लोगों के चुनावी जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करती है तथा सकारात्मक और सजग भूमिका निभाने का संकल्प करती है. महाराष्ट्र और हरियाणा के लोगों ने क्रमश: तीन और दो बार जनादेश देकर हम पर भरोसा किया था. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार बनाने वाली पार्टियां उन वादों को पूरा करेंगी जो उन्होंने किए थे."

कांग्रेस अपनी हार के कारण को ढूंढने के बजाय उससे मुंह चुराने में लगी है. पिछले एक साल में पार्टी की हालत क्षेत्रीय पार्टी से भी खराब हो गई है. पिछले एक साल के दौरान आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार चुकी है. या यह कहा जाए कि हालत हार से भी बुरी है. कई राज्यों में तो पार्टी ऐसी बुरी तरह से पिटी की कि वह तीसरे या चौथे स्थान पर पहुंच गई. कई राज्यों में उसकी स्थिति ऐसी है कि वह विपक्ष का नेता के लिए भी दावा नहीं कर सकती है.

मोदी ही मोदी

दो राज्यों के चुनाव नतीजों से एक और बात सामने आती है वह है कि जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास कर रही है. जनता को लग रहा है कि मोदी को शक्ति देने से आर्थिक सुधारों में तेजी आएगी और उनकी जिंदगी खुशहाल होगी. इन दो राज्यों में मिली जीत से मोदी की पकड़ पार्टी पर और मजबूत होती दिख रही है. मोदी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ मिलकर जो दांव खेला उसने परिणाम दिखाया. पार्टी आगे भी ऐसी रणनीति पर काम करती नजर आएगी. बीजेपी अब उन राज्यों पर ध्यान देगी जहां उसकी सरकार नहीं है और आने वाले महीनों में वहां चुनाव होने हैं. अब उसकी नजरें बंगाल और बिहार पर है.

दोनों राज्यों की जनता ने विधानसभा चुनावों में मोदी की पार्टी को वोट देकर उनकी लोकप्रियता पर मुहर लगा दिया है. साथ ही जनता मोदी को आर्थिक सुधारों के लिए वादों को आगे बढ़ाने के लिए वह खुला समर्थन दे रही है. जीत से उत्साहित बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कहते हैं, "नतीजों से यह साबित होता है कि सूनामी की तरह मोदी लहर विपक्ष को ध्वस्त कर रही है."

15 अक्टूबर को हुए चुनावों के लिए मोदी ने आक्रामक तरीके से प्रचार किए थे. दोनों ही राज्यों में बीजेपी अकेली चुनाव लड़ी और नतीजे उसके लिए संतोषजनक से कहीं अधिक रहे.