हामिद अंसारी पर बन रही है सहमति
१२ जुलाई २०१२
कांग्रेस लगातार दूसरी बार अंसारी को उपराष्ट्रपति के लिए मौका दे रही है. उनका नाम राष्ट्रपति पद के लिए भी लिया जा रहा था, लेकिन प्रणब मुखर्जी के नाम पर व्यापक सहमति को देखते हुए अंत में प्रणब को ही उम्मीदवार बना दिया गया. अंसारी को दूसरा कार्यकाल दिए जाने में परंपरा का भी खयाल रखा जा रहा है.
हामिद अंसारी के रूप में कांग्रेस अपना अल्पसंख्यकों का हितैषी वाला चेहरा सामने रखना चाहती है. अंसारी को बतौर भारतीय राजदूत लंबा अनुभव है और वे जाने माने बुद्धिजीवी भी हैं. ऐसे सुशिक्षित व्यक्ति को आगे कर संप्रग सरकार अल्पसंख्यकों में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है. अंसारी के नाम पर संप्रग में एक राय है.
राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस ने लंबा जोड़ तोड़ किया है. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की असहमति के बाद प्रणब मुखर्जी के पक्ष में माहौल बनाने में कांग्रेस ने काफी मेहनत की है और अगर उपराष्ट्रपति के लिए कांग्रेस ऐसा कोई नाम देती, जिस पर उसके सहयोगी दलों को ऐतराज होता तो इसका असर राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ सकता था. इसलिए कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के लिए अंसारी के नाम की 'तुरुप चाल' खेली.
पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी मोर्चे संप्रग की तरफ से अंसारी का नाम वामदल ने रखा था. कांग्रेस ने भी तब अंसारी के नाम पर सहमति बनवाई थी. इसलिए इस बार उपराष्ट्रपति के लिए संप्रग-2 के दलों के साथ साथ अंसारी के नाम पर वामदल भी राजी हैं.
इस बात की पूरी संभावना है कि हामिद अंसारी के नाम पर गैर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) दल भी सहमत हो सकते हैं, क्योंकि अंसारी का विरोध करके ये दल अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि पर आंच आने देना नहीं चाहते.
हामिद अंसारी का नाम आगे करके कांग्रेस ने अपने घटक दलों से किसी भी तरह के टकराव को टालने की कोशिश की है. हालांकि ममता बनर्जी संप्रग सरकार में होते हुए भी कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार का विरोध कर सकती हैं, लेकिन फिर संप्रग के पास समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजपार्टी, वाम दल और अन्य गैर राजग दलों का समर्थन होने से अंसारी की राह बहुत आसान हो जाएगी.
मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह अंसारी या उपराष्ट्रपति के लिए संप्रग के उम्मीदवार को समर्थन नहीं देगी. राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही पार्टी ने अभी अपना उम्मीदवार उतारने या नहीं उतारने पर कोई फैसला नहीं किया है. वह ममता बनर्जी और दूसरे गैर राजग या गैर संप्रग दलों का रुख देखने के बाद कोई फैसला लेगी.
रिपोर्ट: वेबदुनिया डेस्क
संपादक: महेश झा