हवा से जगमग दुनिया
८ अगस्त २०१३अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस ने कहा है कि पवन चक्की से कई सौ टेट्रावॉट बिजली पैदा की जा सकती है जो कि पूरी दुनिया को रोशन करने के लिए काफी है. रिपोर्ट तैयार करने वाले मार्क जेकोब्सन का कहना है कि इसके लिए समुद्र के किनारे एक अरब 50 करोड़ पवन चक्कियां लगानी होंगी. इसमें जरूरत से ज्यादा बिजली पैदा होगी.
हाल फिलहाल पवन ऊर्जा के क्षेत्र में काफी निवेश किया गया है लेकिन फिर भी ये काफी कम है. दुनिया को चलाने के लिए जितनी ऊर्जा चाहिए उसका ये सौवां हिस्सा ही है. इस समय दुनिया में पवन ऊर्जा से महज 250 गीगावॉट बिजली है पैदा हो रही है.
जेकोब्सन का मानना है कि 2030 तक दुनिया की ऊर्जा जरूरत का आधा हिस्सा भी पूरा करने के लिए लगभग 40 लाख मेगावॉट टरबाइन की जरूरत पड़ेगी. वो कहते हैं, "इस समय पूरी दुनिया में हर साल 7-8 करोड़ कारें बनाई जा रही हैं. हमें केवल 40 लाख टरबाइन की जरूरत है. वो भी हर 30 साल के बाद एक बार."
हालांकि दूसरे विशेषज्ञ इस दावे को शक की निगाह से देख रहे हैं. अमेरिका के अरगोने नेशनल लेबोरेटरी में ऊर्जा पर शोध करने वाले ऑडेन बोटर्ड कहते हैं,"अगर यही करना हो तो किया जा सकता है लेकिन सवाल ये है कि आप समाज की दूसरी जरूरतों पर खर्च करना चाहते हैं या फिर ऊर्जा के नवीनीकृत साधनों पर."
पैसे के निवेश के अलावा इसमें दूसरी समस्या हवा की गति की है. बोटर्ड का मानना है कि हवा की बदलती गति समस्या पैदा कर सकती है और इसे कम करके नहीं आंका जाना चाहिए. वो कहते हैं, "अगर ऐसी कोई व्यवस्था है जिससे बिजली संग्रहित की जा सकती है तो ठीक है. लेकिन संग्रह करना काफी महंगा पड़ेगा. जहां बिजली पैदा हो रही है और जहां बिजली पहुंचाना है उन दोनों जगहों के बीच लाइन बिछाने में ही काफी खर्चा आ जाएगा." कोलोराडो युनिवर्सिटी के पर्यावरण विशेषज्ञ भी बोटर्ड की राय से इत्तफाक रखते हैं. उनका कहना है कि इस तरह अनुमान पर आधारित विज्ञान जानकारी बढ़ा सकता है लेकिन प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.
वीडी/एनआर (एएफपी)