सूनामी में खोई लड़की सात साल बाद मिली
२४ दिसम्बर २०११2004 में मेरी यूलैंडा सात साल की थी. प्यार से उसके माता पिता उसे "वती" कहते थे. उस साल दिसंबर में सूनामी में इंडोनीशिया आचेह प्रांत का पश्चिमी हिस्सा पूरी तरह डूब गया था. वती के साथ उसके परिवार का एक और बच्चा भी था. कई दिनों तक ढूंढने के बावजूद, वती के माता पिता को वह मिली नहीं और उन्होंने उसे जिंदा देखने की सारी उम्मीदें छोड़ दीं.
भीख भी मांगा
लेकिन वती जिंदा थी और 2004 से लेकर अब तक उसे एक अविवाहित महिला पाल रही थी. इस बेरोजगार महिला ने वती को भीख मांगने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया और जब वती पैसे लाने में सफल नहीं रही, तो उसे घर से निकाल दिया. वती के नाना कहते हैं, "मेरी नातिन को देर रात तक भीख मांगनी पड़ती थी. अगर वह पूरा पैसा कमा नहीं पाती, तो उसे पीटा जाता था."
बुधवार को वती वापस पश्चिम आचेह लौटी. अपने गांव की सड़कों पर घूम घूम कर वह लोगों को बताती कि उसे जिले की राजधानी म्यूलाबो में अपने माता पिता को खोजना है. लेकिन उसे अपने नाना के सिवा किसी भी दूसरे रिश्तेदार का नाम याद नहीं था. उसे सड़कों पर घूमते देख लोगों ने उसके मां बाप के बारे में पूछा, तो वह कुछ नहीं बता सकी. फिर उसे गांव के सरपंच और पुलिस के पास ले जाया गया और उसके नाना इब्राहीम को बुलाया गया जिसने वती की मां को संदेश भेजा.
सुबह का भूला
पश्चिमी आचेह में अब भी हजारों लोग सूनामी के बाद लापता हो गए हैं. उनके परिवारों को अब भी उनके घर लौटने की उम्मीद है और आए दिन वहां अखबारों और पत्रिकाओं में गुमशुदा लोगों के लिए इश्तेहार छपते हैं. लेकिन किसी का दोबारा मिलना इतना आसान नहीं और कई बार पता भी नहीं चल पाता कि जो व्यक्ति अपने परिवार वापस आता है, वह सच में उसी परिवार का है या नहीं.
लेकिन वती के साथ यह समस्या नहीं थी. वती की मां ने कहा कि उसे अपनी बेटी को पहचानने के लिए किसी डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं, "वह बिलकुल अपने पिता पर गई है, और उसकी गर्दन और कमर पर तिल देख कर मुझे पूरा भरोसा हो गया कि यह मेरी बेटी ही है." वती का कहना है कि उसके पिता ने उसे और उसकी बहन को एक नाव में बिठाया, लेकिन उसके पिता का कहना है कि उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को घर के छत पर सुरक्षित बिठा रखा था. वती की बहन का अब तक पता नहीं चल पाया है.
सात साल बाद
सोमवार को सूनामी के सात साल बाद, पश्चिम आचेह के लोग इस प्राकृतिक आपदा में मारे गए दोस्तों और रिश्तेदारों को याद करेंगे. 2004 दिसंबर में एक भयानक सूनामी ने इंडोनीशिया के आचेह प्रांत में 1,70,000 लोगों की जान ले ली थी. सूनामी से कुछ देर पहले इंडोनीशिया के सुमात्रा द्वीप के पास एक भूकंप आया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 के करीब बताई जाती है. इसके बाद समुद्र से उफनती एक विशालकाय लहर ने इंडेनीशिया ही नहीं, बल्कि थाइलैंड, श्रीलंका और दक्षिण भारत को अपनी चपेट में ले लिया. सुनामी में कुल दो लाख 30 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. अब भी इन देशों के तटीय इलाके सूनामी के विनाश से जूझ रहे हैं.
रिपोर्टः एपी, डीपीए/ एमजी
संपादनः ए जमाल