600 की बची जान
१० फ़रवरी २०१४यूएन के मध्यस्थ लखदर ब्राहिमी की कोशिशों से हुए तीन दिन के संघर्ष विराम के दौरान विद्रोहियों के कब्जे वाले होम्स के पुराने इलाके से फंसे नागरिक निकल सके. इस विराम के खत्म होने के साथ ही स्विट्जरलैंड में बातचीत का दूसरा दौर शुरू हो रहा है.
होम्स शहर पहला सीरियाई शहर है, जहां 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोध में सबसे पहले प्रदर्शन शुरू हुए. यहां भारी हवाई और जमीनी हमले किए गए हैं.
पिछले साल के दौरान सरकार ने फिर से शहर के अधिकतर हिस्सों को अपने नियंत्रण में ले लिया लेकिन ऐतिहासिक केंद्र के आसपास के इलाके अभी भी उसके हाथ के बाहर हैं. यहां करीब 2,500 नागरिक बिना खाने पीने के सामान के महीनों से फंसे हैं.
यूएन और सीरियाई रेड क्रॉस के कर्मचारियों ने गोलीबारी के बावजूद करीब 600 महिलाएं, बच्चे और वृद्ध लोगों को होम्स से निकाला है. इस गोलीबारी के लिए विद्रोही और सरकार एक दूसरे पर इलजाम लगा रहे हैं. राहतकर्मी शहर में राहत सामग्री और दवाइयां पहुंचाने में भी सफल हुए.
जेनेवा में प्रतिनिधिमंडल
सीरियाई सरकार के प्रतिनिधि बातचीत के लिए रविवार की रात जेनेवा पहुंच गए. माना जा रहा है कि विपक्षी नेशनल गठबंधन के साथ यूएन मध्यस्थता वाली यह बातचीत पांच दिन चलेगी.
लेकिन कई विपक्षी गुट ऐसे हैं जो बातचीत से इनकार कर रहे हैं. रविवार को सीरियाई विपक्ष का सबसे बड़ा धड़ा नेशनल कोऑर्डिनेशन फॉर डेमोक्रेटिक चेंज और सीरियाई नेशनल काउंसिल ने कहा कि वे इसमें हिस्सा नहीं लेंगे. नेशनल काउंसिल सीरियाई विपक्षी गुटों का धड़ा है जो इस्तांबुल में है.
सीरिया में लड़ रहे इस्लामिक फ्रंट और सीरियन रिवोल्यूशनरीस फ्रंट ने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया है. इससे राष्ट्रीय गठबंधन पर संदेह पैदा हो गया है कि वह अलग अलग सशस्त्र गुटों को साथ रख भी सकता है या नहीं. विपक्षी गठबंधन की कानून कमेटी के अध्यक्ष हैताम अल मालेह ने कहा, "सीरिया में और बाहर के राजनीतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय गुटों के साथ हमारी बातचीत चल रही है. हम प्रतिबद्ध हैं कि हम पूरे सीरिया का प्रतिनिधित्व करें, सिर्फ एक दल का नहीं."
गठबंधन के अध्यक्ष अहमद अल जरबा ने सीरियाई उप राष्ट्रपति फारुक अल शारा को सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व देने की मांग की है. अल जरबा की दलील है कि अल शारा ऐसे बहुत कम अधिकारियों में हैं जिन पर विपक्ष का भरोसा और विश्वास है.
जेनेवा में पहले दौर की बातचीत में हिंसा रोकने पर कोई ठोस नीति नहीं बन सकी लेकिन राजनीतिक बदलाव और राहत की सुनिश्चितता पर सहमति के साथ पहला दौर खत्म हुआ था.
एएम/एजेए (डीपीए, रॉयटर्स)