सीरियल किलर जैक द रिपर की पहचान
एक किताब ने दावा किया है कि डीएनए सबूतों की मदद से 126 साल बाद 'जैक द रिपर' नाम के क्रूर सीरियल किलर की असली पहचान मिल गई है.
जैक द रिपर के नाम से जाना जाने वाले हत्यारे ने 1888 में बड़े रहस्यमयी अंदाज में पांच महिलाओं का कत्ल किया था. वे सभी यौनकर्म के पेशे से जुड़ी थीं. वह उनकी गर्दन रेत कर उनके आंतरिक अंग निकाल लेता था.
खुद को जासूस बताने वाले किताब के लेखक रसेल एडवर्ड्स ने डीएनए सबूतों के आधार पर हत्यारे को 23 साल के ऐसे व्यक्ति के तौर पर पेश किया है जो पोलैंड से प्रवासी के तौर पर इंग्लैंड आया था.
डीएनए नमूने हासिल करने के लिए रिपर के शिकार की खून से सनी एक शॉल का इस्तेमाल किया गया. कैथरीन एडोव्स को लंदन के मिट्रे स्क्वायर पर 30 सितंबर 1888 की सुबह मृत पाया गया था.
एडवर्ड्स ने ब्रिटिश मेल में लिखा, "मुझे केस के इतिहास का सिर्फ एक ही फोरेंसिक सबूत मिला है. मैंने 14 साल इस पर काम करके बिताए हैं. और हमें विश्वास है कि हमने जैक द रिपर का रहस्य खोल दिया है."
हत्यारे ने 31 अगस्त से नौ नवंबर 1888 के बीच पांच महिलाओं का खून किया था. कोमिन्स्की उस समय रूस के नियंत्रण वाले पोलैंड में उत्पीड़न से बच कर भागा था और अपने परिवार के साथ 1881 में इंग्लैंड आया. उस समय पुलिस ने कोमिन्स्की पर भी संदेह किया था लेकिन उसके खिलाफ कभी सबूत नहीं मिले.
एडवर्ड्स ने बताया कि 2001 में जॉनी डेप की फिल्म 'फ्रॉम हेल' देखने के बाद उन्हें इस हत्यारे की तलाश की प्रेरणा मिली. उनके साथ इस खोज में फिनलैंड के जेनेटिक्स विशेषज्ञ यारी लोहेलेनन उनके साथ थे.