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सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन ट्रायल को ले कर विवाद

३० नवम्बर २०२०

सीरम इंस्टीट्यूट के कोवीशील्ड वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुए एक व्यक्ति ने गंभीर दुष्प्रभावों का दावा किया है. उसने पांच करोड़ रुपए हर्जाना मांगा है, तो इंस्टीट्यूट ने भी उसे 100 करोड़ रुपयों का मानहानि का नोटिस भेजा है.

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Indien Adar Poonawalla
तस्वीर: Subhash Sharma/ZUMA Wire/imago images

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीरम इंस्टीट्यूट जाने के दो ही दिन बाद आई यह खबर वैक्सीन के लिए अच्छी नहीं है. शायद इसीलिए इंस्टीट्यूट ने भी तुरंत इसका विरोध किया और दावा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. मीडिया में आई खबरों के अनुसार दुष्प्रभाव का दावा करने वाला व्यक्ति चेनाई में रहने वाला एक बिजनेस कंसल्टेंट है.

वो वैक्सीन के ट्रायल के तीसरे चरण में शामिल हुआ था और उसे एक अक्टूबर को चेन्नई के श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में वैक्सीन की एक खुराक दी गई थी. उसकी तरफ से उसके परिवार ने दावा किया है कि खुराक दिए जाने के 10 दिनों के बाद उसकी तबीयत काफी खराब हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा.

वो लगभग 20 दिन अस्पताल में रहा जिस दौरान उसे भारी सिर दर्द, उल्टियां आना, लोगों को ना पहचान पाना और परिवर्तित मानसिक अवस्था में रहने जैसी शिकायतें रहीं. उसके परिवार का दावा है कि उसकी हालत अभी भी स्थिर नहीं है, उसे भारी मूड स्विंग होते हैं, चीजों को समझने और ध्यान लगाने में दिक्कत होती है और वो रोज के सरल से सरल काम भी नहीं कर पाते.

Argentinien Garin | Coronavirus | Arbeit an Impfstoff
कोवीशील्ड ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा साझेदारी में विकसित की जा रही है.तस्वीर: Natacha Pisarenko/AP Photo/picture alliance

उस व्यक्ति और उसके परिवार ने एक लॉ फर्म के जरिए सीरम इंस्टीट्यूट को कानूनी नोटिस भेजा है और उसकी इस हालात के लिए वैक्सीन के ट्रायल को जिम्मेदार ठहराया है. कोवीशील्ड ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा साझेदारी में विकसित की जा रही है.

लिहाजा कानूनी नोटिस आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन, एस्ट्राजेनेका कंपनी के सीईओ, ट्रायल के मुख्य इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर एंड्रू पोलार्ड और श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट के उप-कुलपति को भी भेजा गया है.

नोटिस में हर्जाने के अलावा यह मांग भी की गई है कि वैक्सीन के ट्रायल, उत्पादन और वितरण पर तुरंत रोक लगा दी जाए. पीड़ित व्यक्ति ने यह भी आरोप लगाया है कि सीरम इंस्टिट्यूट, ऑक्सफोर्ड, आईसीएआर और ड्रग्स कंट्रोलर में से किसी ने भी खुराक देने के बाद उनकी हालत जानने की कोशिश नहीं की और उनके द्वारा सबको इन दुष्प्रभावों के बारे में अवगत कराने के बावजूद उन्होंने ना ट्रायल को रोका और ना इस जानकारी को सार्वजनिक किया.

Frankreich Dunkirk | AstraZeneca Fabrik | Impfstoff Covid-19
सितंबर में ऐस्ट्राजेनेका ने कई देशों में हो रहे वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया था क्योंकि ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति में "रहस्मयी बीमारी" देखी गई थी.तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Raphael

ड्रग्स कंट्रोलर और आईसीएमआर अब इन दावों की जांच कर रहे हैं. कोवीशील्ड को कोरोना वायरस महामारी की वैक्सीन के उम्मीदवारों में से सबसे आशाजनक माना जा रहा है, लेकिन यह वैक्सीन दूसरी बार इस तरह के विवादों में फंसी है. इससे पहले सितंबर में ऐस्ट्राजेनेका ने कई देशों में हो रहे वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया था क्योंकि ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति में "रहस्मयी बीमारी" देखी गई थी.

उस समय भारत में भी ड्रग्स कंट्रोलर ने सीरम इंस्ट्यूट को ट्रायल को रोकने का आदेश दे दिया था, लेकिन कुछ ही दिनों में इस आदेश को हटा दिया गया और इंस्टीट्यूट ने ट्रायल फिर शुरू कर दिया.

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