बांग्लादेश में काम करने वाली तमाम महिला दर्जियों की तरह आरिफा भी खराब परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर हैं. 14 साल की उम्र से परिवार का पेट पाल रही आरिफा कभी टीचर बनने का सपना देखा करती थीं. लेकिन अब वह दर्जी का काम करती हैं. आरिफा मौजूदा स्थिति के लिए देश के राजनेताओं को जिम्मेदार मानते हैं.