साकिनेह मोहम्मदी अश्तियानी को ब्राज़ील में शरण की पेशकश
१ अगस्त २०१०ब्राजील के एक रेडियो ने कहा है कि राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने खुद अहमदीनेज़ाद को फोन किया. अश्तियानी को मिली मौत की सज़ा पर दुनिया भर में बहस छिड़ी हुई है. अश्तियानी को पत्थरों से मारकर मौत की सज़ा देने का फरमान ईरान की सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है. अश्तियानी पर अवैध रिश्ते रखने का आरोप है लेकिन वो इससे इनकार करती हैं.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक अश्तियानी को 2006 में कोर्ट ने दो लोगों से अवैध रिश्ते रखने का आरोपी पाया और 99 कोड़े मारने की सज़ा सुनाई. इसके फौरन बाद ही उसपर शादीशुदा हाने के बावजूद व्यभिचार में शामिल होने का आरोप लगा और उसे पत्थर मारकर मौत की सज़ा देने का हुक्म जारी किया गया.
अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के मानवाधिकार संगठनों ने अश्तियानी को दी गई मौत की सज़ा पर रोक लगाने की मांग की है. हालांकि ईरान उनकी सजा को एक बार टाल चुका है कि लेकिन सजा रद्द नहीं की गई है. इसी बीच ब्राजील की तरफ से शरण देने की पेशकश सामने आई है. ब्राज़ील और ईरान के रिश्ते बढ़िया हैं. ब्राज़ील ने ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का समर्थन किया है. तेहरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा और इलाज के लिए है. हालांकि ज्यादातर पश्चिमी देश ईरान के कहने से संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि वो परमाणु हथियार बनाने की तैयारी में है.
एक सप्ताह पहले जब अश्तियानी को बचाने के लिए ऑनलाइन अभियान में ब्राज़ीली राष्ट्रपति से इसमें दखल देने की मांग की गई तो उन्होंने इनकार कर दिया था. राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने इसके पीछे ये दलील दी थी कि वो किसी नेता को उनके देश के कानून का उल्लंघन करने की सलाह नहीं देंगे. पर शनिवार को आये उनके बयान से ऐसा लगता है कि ईरान के साथ रिश्तों में सुधार का इस्तेमाल वह अश्तियानी को माफी दिलाने में करना चाहते हैं. राष्ट्रपति की तरफ से कहा गया है कि अगर उनकी दोस्ती ईरान के राष्ट्रपति के लिए कोई मायने रखती है और अश्तियानी को रखने में उन्हें कोई दिक्कत हो रही है तो वह उसे ब्राज़ील भेज दें. लूला डी सिल्वा का राष्ट्रपति पद पर कार्यकाल इसी साल दिसंबर में खत्म हो रहा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः ओ सिंह