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सबसे तेज़ कंप्यूटर चिप

१८ जून २००९

इंटेल कंपनी की कीर्तिमानधारी चिप से भी चार गुना तेज़ है इस समय की सबसे तेज़ कंप्यूटर चिप. वह फ़ोटोनिक और क्वांटम इलेक्ट्रॉनिक पर आधारित है. जर्मनी में बनी है. उपभोक्ता कंप्यूटरों को और भी सस्ता एवं तेज़ बना देगी.

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संसार की सबसे तेज़ गणनागति वाली जर्मन कंप्यूटर चिपतस्वीर: IPQ

युर्ग लोएटहोल्ड की प्रयोगशाला किसी स्कूल की भौतिक विज्ञान की कक्षा जैसी लगती है. मापन यंत्रों, केबलों, कंप्यूटरों की भरमार है. इस भीड़ में एक कंप्यूटर ऐसा है, जो कार्ल्सरूहे के इस वैज्ञानिक को विशेष प्रिय है. उसमें एक सुपर चिप लगी हुई हैः

"यह चिप 26 लाख टेलीफ़ोन कनेक्शनों या एकसाथ 26 लाख टेलीफ़ोन वार्ताओं जितने डेटा को प्रॉसेस कर सकती है."

यह चिप प्रो. युर्ग लोएटहोल्ड की पांच साल की मेहनत का फल है. इसे उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय टीम के सहयोग से जर्मनी में कार्ल्सरूहे के फ़ोटोनिक और क्वांटम इलेक्ट्रॉनिक इंस्टीट्यूट IPQ में विकसित किया है. यह एक सिलीसियम चिप है, जो डेटा, अर्थात सूचना को, प्रकाश संकेतों के रूप पढ़ती और प्रॉसेस करती है.

डेटा वहन के लिए प्रकाश बना वाहन

विद्युत सर्किट के बदले प्रकाशकण कंप्यूटर डेटा को कहीं तेज़ी से आगे बढ़ाते हैं, यह कोई नया ज्ञान नहीं है. नया है वह रास्ता, जो डेटा के ऑप्टिकल, अर्थात प्रकाशीय प्रेषण का मार्ग सरल बनाने के लिए लोएटहोल्ड और उनके साथियों को अपनाना पड़ाः

"हमें सिलीसियम को प्रकाश-सुचालक बनाना पड़ा. सीलिसियम क्योंकि प्रकाश-सुचालक नहीं है, इसलिए हमें उसे भीतर से खोखला करना और उस में एक दूसरी सामग्री भरना पड़ा."

इस दूसरी सामग्री को कई शर्तें पूरी करनी थीं. वह पारदर्शी होनी चाहिये थी. तापमान-निरपेक्ष होनी चाहिये थी. एक तेज़ सर्किट का काम कर सकती और प्रकाश का अवशोषण भी नहीं करती. एक ऐसी दुर्लभ सामग्री मिल भी गयी. फिर अगली चुनौती थी उसे नैनो मीटर के आकार के, यानी एक मीटर के अरबवें हिस्से के बराबर आकार के परिपथों (सर्किटों) के रूप में सिलीसियम चिप पर लगानाः

PDA Personal Digital Assistent
नयी सुपर चिप उपभोक्ता कंप्यूटरों को और सस्ता बना देगीतस्वीर: picture-alliance/dpa

"इस में चार साल लग गये. ज़रा सोचिये, आपके पास एक ऐसी सामग्री है, जो प्रकाश के लिए सुचालक तो है, लेकिन 200-300 नैनो मीटर से बड़ी नहीं है. यही नहीं, उसे अब आपको भीतर से खोखला भी करना है; एक ऐसा छेद बनाना है, जो शायद 100 नैनो मीटर से बड़ा नहीं है. यह छेद, तुलना के लिए, हमारे बाल से भी 700 गुना पतला है. इस अत्यंत सूक्ष्म छिद्र को अब इस तरह भरना भी है कि उस में न तो हवा का कोई बुलबुला घुस पाये और न कोई अशुद्धि पहुंच पाये."

सारे बर्लिन के लिए एक ही चिप

वर्षों के प्रयास के बाद लोएटहोल्ड को सफलता मिली. एक ऐसा कार्बनिक, यानी प्लास्टिक जैसा कृत्रिम पदार्थ उनके हाथ लगा, जो गरम करने पर सिलीसियम की चिप पर खुदी सूक्ष्म नलिकाओं में समान रूप से भर जाता है. इस तरह, हाथ के अंगूठे जितनी बड़ी संसार की सबसे तेज़ सुपर चिप का जन्म हुआ. एक ऐसी चिप, जो 35 लाख की जनसंख्या वाले पूरे बर्लिन शहर की सारी टेलीफ़ोन वार्ताओं को अकेले ही संभाल सकती है.

यह तो अभी केवल शुरुआत है. लोएटहोल्ड मानते हैं कि इस तकनीक का अगले 10 वर्षों में इतना विकास हो सकता है कि चिप की गणनागति 30 गुना और बढ़ जाये. उन के शब्दों में, तब इससे तकनीकी जगत के सामने बिल्कुल नयीं संभावनाएं खुल जायेंगीः

"ऐसे त्रिआयामी टेलीविज़न बन सकते हैं, जिनकी स्पष्टता की तुलना केवल होलोग्राफ़ी वाली तस्वीरों से ही हो सकती है. या फिर सुपर हाई डेफ़िनिशन क्वालिटी वाले इंटरनेट टीवी का प्रचलन हो सकता है. दूसरे शब्दों में, बिल्कुल नये आयाम हमारे सामने होंगे."

रिपोर्ट- साशा बरोन/ राम यादव

संपादन- उज्ज्वल भट्टाचार्य