संसद में भी होगी गोवा और मणिपुर पर बहस
१४ मार्च २०१७सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के अन्य सांसदों के साथ मिलकर सदन में स्थगन प्रस्ताव पेश कर सकते हैं और इस मामले पर बहस की मांग कर सकते हैं. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के लिये कानून और नियम-कायदों के विरूद्ध जा रही है. कांग्रेस इन दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
गोवा में कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं तो वहीं भाजपा के पास 13, फॉरवर्ड पार्टी और एमजीपी के पास 3-3 विधायक, 1 विधायक एनसीपी के पास और 3 स्वतंत्र विधायक है. वहीं मणिपुर में 60 सीटों वाली एसेंबली में कांग्रेस के खाते में 28 सीटें आईं हैं जबकि भाजपा ने 21 सीटें जीती हैं. बाकी सीटें छोटे दलों के खाते में गई हैं.
लेकिन मणिपुर और गोवा दोनों ही राज्यों में भाजपा ने सरकार बनाने को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर दी है. भाजपा ने 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. भाजपा के इस कदम की निंदा करते हुए कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बड़ी पार्टी होने के नाते दोनों ही राज्यों में राज्यपाल द्वारा कांग्रेस को सरकार बनाने के लिये बुलाया जाना चाहिए था.
गोवा में भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस पहले ही सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी है. अब कांग्रेस पार्टी मणिपुर में भी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है.
सु्प्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की शिकायत पर सुनवाई करते हुए कहा, "यदि आपके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या थी तो आपको समर्थन करने वाले विधायकों का हलफनामा पेश करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. न्यायालय ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना विधायकों की संख्या से जुड़ा हुआ है. आपने राज्यपाल के समक्ष या अपनी याचिका में इस बात का कभी जिक्र नहीं किया कि आपके पास जरूरी समर्थन है." इस मामले में अदालत ने गोवा में राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री नियुक्त किये गये मनोहर पर्रिकर को 16 मार्च को एसेंबली में विश्वास मत हासिल करने का आदेश दिया है.
एए/एमजे (पीटीआई)