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संसद को चलाने की सबकी समान जिम्मेदारी: मोदी

२० जुलाई २०१५

प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों से भूमि अधिग्रहण सहित सभी लंबित विधेयकों को पारित कराने में सहयोग की अपील की. उन्होंने कहा कि दोनों सदनों की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सभी दलों की समान रूप से है.

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Indischer Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: AFP/Getty Images/Puni Paranjpe

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के मानसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को अहम बताते हुए कहा कि इस पर आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि संसद के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन सभी दलों को इसमें सहयोग करना चाहिए और सरकार सभी मुद्दों पर सदन में बहस के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि मानसून सत्र की अवधि कम है और इसका पूरा उपयोग होना चाहिए. मोदी ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष की तरफ से आने वाले सभी अच्छे सुझावों पर विचार करने के लिए तैयार है क्योंकि "विकास के लिए यह विधेयक जरूरी है."

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, जनता दल यूनाइटेड के नेता केसी त्यागी, समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल, बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा, तेलंगाना राष्ट्र समिति के केके राव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता तारिक अनवर सहित कई विपक्षी नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया. इसके अलावा संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू, वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी बैठक में मौजूद थे.

मोदी ही करें तय

कांग्रेस का कहना है कि सरकार संसद सत्र चलाना चाहती है या नहीं, इस बारे में फैसला खुद प्रधानमंत्री को ही करना है. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसदीय कार्यमंत्री होने के अपने पुराने अनुभव के आधार पर वे कह सकते हैं कि संसद चलाना सरकार पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, "इस सरकार में संसदीय कार्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं है, खुद प्रधानमंत्री ही सब कुछ हैं, इसलिए मोदी को ही तय करना है कि वे संसद सत्र को कैसे चलाना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि सदन को चलाने के लिए विपक्ष की मांग को भी मानना पड़ता है, "सबको साथ लेकर चलना पड़ता है. विपक्ष के सभी दलों को विश्वास में लेकर चलने की जरूरत होती है."

सुषमा, वसुंधरा और शिवराज के इस्तीफे

इस बीच कांग्रेस ने एक बार फिर दोहराया है कि उसे व्यापमं घोटाले और ललित मोदी प्रकरण में शामिल नेताओं के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. गुलाम नबी आजाद ने सर्वदलीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान छोटी-छोटी बातों को लेकर इस्तीफा देने की परंपरा थी. उन्होंने व्यापमं को दुनिया के सबसे बड़े घोटालों में से एक बताते हुए कहा, "इसमें लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है." वहीं वेंकैया नायडू ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए कहा "किसी भी केंद्रीय मंत्री ने कुछ भी गलत या अनैतिक नहीं किया है, इसलिए उनके इस्तीफे का सवाल हीं नहीं उठता है."

कांग्रेस के वार के लिए तैयार बीजेपी

मानसून सत्र के लिए सरकार के एजेंडे में 24 विधेयक हैं. इनमें से नौ राज्यसभा में और चार लोकसभा में लंबित हैं जबकि 11 नए विधेयक लाए जाने की उम्मीद है. लंबित विधेयकों में भूमि अधिग्रहण संशोधन और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सबसे महत्वपूर्ण हैं. लेकिन व्यापमं घोटाले और ललित मोदी कांड सहित भ्रष्टाचार के कई मुद्दों पर विपक्ष के कड़े तेवर को देखते हुए इस सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. विपक्ष के हमले का मुकाबला करने की रणनीति बनाने के लिए बीजेपी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के घर पर और फिर प्रधानमंत्री निवास में बैठक की. पार्टी का कहना है कि कांग्रेस मीडिया की सुर्खियां हासिल करने के लिए निराधार आरोप लगाती रही है पर अब तक एक भी सबूत पेश करने में नाकाम रही है. बीजेपी का कहना है कि वह "तथ्यों के आधार पर" आक्रामक ढंग से विपक्ष का मुकाबला करेगी.

आईबी/एमजे (वार्ता)