नशे में डूबता ईरान
२५ मार्च २०१३बीस साल के अनूश राजधानी तेहरान में रहते हैं और कई अवैध शराब के डीलरों को जानते हैं. उन्होंने बताया, "कई बार मेरे दोस्तों को शराब की लत से छुटकारा पाने के लिए इलाज कराना पड़ा." हालांकि वास्तविक आंकड़े 20 लाख से अधिक होने की संभावना है लेकिन इस्लामी गणतंत्र वाला देश इस बात को कबूल करने से कतराता है. कट्टरवादी इस्लामी मान्यताओं वाले इस देश में युवा वर्ग के लिए शराब पीना कोई नई या अस्वभाविक बात नहीं. अनूश कहते हैं कि कानून तोड़ने के लिए ही बनते हैं. उनके मुताबिक पार्टियों में युवा दिल खोल कर शराब पीते हैं ताकि वे चिंताओं से कुछ समय के लिए ही सही लेकिन दूर रह सकें.
तनाव से छुटकारा
ईरान एक युवा देश है यानी यहां युवाओं की आबादी बहुत ज्यादा है. औसत आयु 27 साल है. लेकिन देश बाकी दुनिया से अलग थलग होता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदायों का मानना है कि ईरान चोरी छिपे परमाणु हथियार बना रहा है. पर ईरान इससे इनकार करता आया है. उसका कहना है कि वह सिर्फ बिजली के लिए अपना परमाणु कार्यक्रम चला रहा है.
अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों की नजर ईरान पर बनी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी परमाणु हथियारों के खिलाफ ईरान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं. इन तमाम बातों का देश की युवा आबादी पर खासा असर पड़ा है. देश में बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी बड़ी समस्याएं बनती जा रही हैं. कई लोगों का मानना है कि इन उलझनों से बचने के लिए भी कई लोग शराब की लत में डूब रहे हैं. ईरान की एक समाज सेवा संस्था के प्रमुख मुस्तफा इग्लिमा का मानना है, "शराब इन लोगों के लिए कई और दूसरी शांत करने वाली दवाइयों की तरह है. इस देश के लोग लगातार सामाजिक पीड़ा और आर्थिक तंगी के दबाव में रह रहे हैं. इसलिए कई लोग शराब में शांति तलाशते हैं."
ईरान के स्वास्थ्य उप मंत्री अली रजा मस्दगीनिया भी शराब को लोगों के बीच तनाव से निबटने का औजार मानते हैं. हालांकि वह इस बात से सहमति रखते हैं कि इससे उनके स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ रहा है.
सस्ती शराब का खतरा
मौजूदा आर्थिक स्थिति के चलते असली या महंगी शराब पीना कई लोगों की पहुंच से बाहर है. काला बाजार से रूसी वोडका की एक बोतल 100 यूरो (लगभग 7000 रुपये) की पड़ती है. ईरान में भी चोरी छिपे शराब बनने लगी है, जो उनकी जेब पर भारी नहीं पड़ती. हालांकि इसे बनाते समय सुरक्षा और सेहत पर पड़ने वाले असर के बारे में नहीं सोचा जाता. ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं होती. इनमें से कई शराबों में इथेनॉल और मीथेनॉल का मिश्रण होता है. मिश्रण अगर सही नहीं हुआ, तो सेहत पर बेहद खराब असर पड़ सकता है, नजरें खराब हो सकती हैं या मौत भी हो सकती है.
ईरान के फॉरेंसिक जांच विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2011 में जहरीली शराब से 93 लोगों की मौत हुई. 2010 में यह संख्या बढ़ कर 145 तक पहुंच गया. इन आंकड़ों ने ईरानी स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि शराब पीने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इससे होने वाली मौतें शूगर या दिल की बीमारी से ज्यादा चिंताजनक है.
भ्रष्ट अधिकारी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस समय लगभग दो लाख लोग शराब पी रहे हैं और 2008 में भी यह संख्या इतनी ही थी. यानी सख्त कानून के बावजूद इसमें कोई कमी नहीं आई. हालांकि असल संख्या इससे अधिक आंकी जा रही है. ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसकी कड़ी आलोचना की है. एक धार्मिक वेबसाइट के अनुसार इस्लामी मान्यताओं की वजह से असल संख्या छिपाई जा रही है. तेहरान के पुलिस अधिकारी इस्माइल अहमदी मुकद्दम स्वीकार करते हैं कि शराब पीने वालों की बढ़ रही तादाद से इनकार नहीं किया जा सकता. इस्लामी गणतंत्र के पास इसका कोई हल मौजूद नहीं दिखता. सरकार शराब की तस्करी को लेकर तो सख्ती बरतती है लेकिन इतना काफी नहीं.
अनुमान है कि इराक के कुर्द इलाके से हर साल आठ करोड़ लीटर स्प्रिट की ईरान में तस्करी हो रही है. अगर ये आंकड़े सही हैं तो मतलब ईरानी पुलिस केवल 25 फीसदी तस्करी की ही रोकथाम कर पा रही है. ईरानी एमपी इकबाल मुहम्मदी देश के अधिकारियों को अक्षम मानते हैं. उनके अनुसार कई मामलों में खुद कई अधिकारी रिश्वत ले रहे हैं और तस्करों के लिए रास्ता आसान कर रहे हैं.
अगर काला बाजारी भी काबू में कर ली जाए तो भी जिन कारणों से लोग शराब की लत में डूब रहे हैं उससे मुंह नहीं फेरा जा सकता. अनूश मानते हैं अगर देश से शराब का नामोनिशान मिट जाए तो लोग दूसरे के नशे में पड़ जाएंगे. अनूश, उनके साथी और उनके जैसे युवा सामाजिक स्थिति से हताश और नाउम्मीद हैं. उन्हें भविष्य के बेहतर होने का रास्ता नहीं दिखता.
रिपोर्टः जशर इरफानियन, हुसैन किरमानी/एसएफ
संपादनः ए जमाल