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कारोबार

शराब की दुकानों पर टूट रही है तालाबंदी

४ मई २०२०

तालाबंदी 3.0 में जगह जगह शराब की दुकानें खुलते ही इतनी भीड़ जमा हो गई कि यह प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन गया. क्या शराब की दुकानें खोलना एक गलत कदम था?

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Alkohol in Indien
तस्वीर: PRAKASH SINGH/AFP/Getty Images

तालाबंदी 3.0 की सभी रियायतों में से अगर कोई छूट गतिविधि का केंद्र बनी हुई है तो वह है शराब की दुकानों को खुलने की अनुमति. सोमवार चार मई को सुबह से ही देश के कई हिस्सों में शराब की दुकानों पर सबसे ज्यादा लोगों की भीड़ जमा हुई. लेकिन दुकानों के बाहर जो कुव्यवस्था देखने को मिली उससे ये स्पष्ट हो गया कि इन्हें खोलने के पहले प्रशाशन इन्हें खोलने के नतीजे का पूरा अनुमान लगाने में असफल रहा.

पूरे देश में शराब की दुकानें करीब छह हफ्तों से बंद हैं और तालाबंदी के बीच ये पहली बार है जब केंद्र सरकार ने इन्हें खोलने की इजाजत दी है. पूरे देश के जिलों को संक्रमण के मामलों की संख्या के हिसाब से लाल, नारंगी और हरे इलाकों में बांटा गया है. हरे इलाकों में सबसे ज्यादा रियायतें हैं और लाल में सब से कम. लेकिन शराब की दुकानें खोलने की अनुमति राज्य सरकारों को हर इलाके के लिए दे दी गई है.

यहां तक कि लाल इलाकों में भी सिर्फ कन्टेनमेंट इलाकों और बाजारों की सीमा के बाहर जहां भी शराब की दुकानें हैं उन्हें खुलने की अनुमति केंद्र सरकार ने दे दी है. अंतिम निर्णय राज्य सरकारों का है, जिनमें से कुछ ने अपने स्तर पर भी अनुमति दे दी है और कुछ ने नहीं दी है. बताया जा रहा है कि पंजाब और हरियाणा ने यह अनुमति नहीं दी है. मध्य प्रदेश में संभव है कि 5 मई से शराब की दुकानें खुलें लेकिन इंदौर, भोपाल, उज्जैन जैसे ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में नहीं खुलेंगी.

दिल्ली में सोमवार की सुबह से ही कई जगह कतार में लगे लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के उल्लंघन की भी खबर आई. कहीं कहीं भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा. पूर्वी दिल्ली में तो पुलिस और प्रशासन ने तंग आ कर खुली हुई दुकानों को भी बंद करवा दिया और घोषणा की कि पूरी रणनीति बना लेने के बाद ही दुकानें दोबारा खोली जाएंगी.

लम्बी कतारें दूसरे शहरों में भी देखी गईं.

शराब और अर्थव्यवस्था

भारत विश्व में शराब के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से है. माना जाता है कि पूरी दुनिया में जितनी शराब बनती है उसके पांचवें हिस्से की भारत में ही खपत हो जाती है. अनुमान है कि 2019 में भारत में 6.23 अरब लीटर शराब की खपत हुई थी और 2022 तक यह आंकड़ा 16 अरब लीटर को भी पार कर लेगा. शराब की बिक्री से सरकारों की खूब कमाई भी होती है. अधिकतर राज्यों के राजस्व में शराब का योगदान दूसरे या तीसरे नंबर पर होता है और यही तालाबंदी के बीच शराब की दुकानें खोलने की वजह है.

तालाबंदी को अब तक जारी रखने में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का बहुत पैसा खर्च हो चुका है और कमाई के किसी विशेष स्त्रोत के अभाव में यह खर्च उठाए रखना मुश्किल पड़ रहा था. लेकिन सोमवार सुबह शराब की दुकानों के बाहर जो नजारा देखने को मिला उसने ये साबित कर दिया कि शराब अर्थव्यवस्था अगर खोलनी ही है तो उसके लिए पूरी तैयारी करनी होगी. सबसे अहम बात तो यही है कि दुकानों के बाहर भीड़ लगने से रोकना होगा.

कई लोगों ने सुझाव दिया है कि हर राज्य में शराब घर तक पहुंचाने की इजाजत दे दी जाए. कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में तालाबंदी के पहले शराब घर पर पहुंचाए जाने की अनुमति थी लेकिन तालाबंदी लागू होने के साथ ही इस पर पाबंदी लगा दी गई. अब इसे फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है.

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