वेनेजुएला में विपक्ष मजबूत
२८ सितम्बर २०१०इन चुनावों के बाद विपक्ष ने उम्मीद जताई है कि 2012 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वे शावेज को हरा भी सकते हैं. संयुक्त विपक्षी पार्टी के एक नेता यूलियो बोर्गेस ने कहा, "यह एक स्पष्ट संदेश है. हम सरकार की कट्टरपंथी राह नहीं चाहते हैं. आज शावेज अल्पमत में आ गए हैं."
दूसरी तरफ राष्ट्रपति चावेज ने बताया कि उनकी पार्टी ने 165 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में 98 सीटें जीती हैं, जबकि संयुक्त विपक्षी पार्टी को 65 सीटें मिली हैं. दूसरी पार्टियों को दो सीटों पर कामयाबी मिली. पिछली बार 2005 में विपक्षी पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार किया था, जिसकी वजह से शावेज को पूरा नियंत्रण मिला था.
लेकिन 98 सीटों के साथ भी शावेज की सोशलिस्ट पार्टी बेहद मजबूत है लेकिन प्रमुख मुद्दों पर संसद में अब उसे दूसरी पार्टियों का सहयोग लेना होगा. संविधान बदलने या देश में अहम पदों पर नियुक्ति के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.
शावेज ने कहा, "हमारी पार्टी ने एक अहम चुनाव जीत लिया है." उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया की मदद से विपक्षी पार्टियां चुनाव नतीजों को गलत तरीके से पेश कर रही हैं. शावेज ने कहा, "वे कहते हैं कि वे जीत गए. अगर ऐसा है, तो आप हमेशा जीतें. मेरे लिए यह अच्छा है."
करिश्माई नेता शावेज 12 साल से वेनेजुएला के राष्ट्रपति हैं और अगला राष्ट्रपति चुनाव दो साल बाद 2012 में होना है. पिछले संसदीय चुनाव का बहिष्कार करने वाली विपक्षी पार्टियां इस बार की सफलता से उत्साहित हैं और अब उनका उद्देश्य राष्ट्रपति चुनाव में शावेज को हराना है.
लेकिन इस काम के लिए उन्हें एकजुट होकर काम करना होगा और एक नेता पर सहमति बनानी होगी.
कभी बेसबॉल के दीवाने रहे 56 साल के शावेज एक बेहद गरीब घर से आते हैं. उन्होंने 1992 में पहली बार तख्ता पलटने की कोशिश की, जिसमें नाकाम रहे. इसके बाद 1998 में वह जीत कर राष्ट्रपति बने. इसके बाद से वह सिर्फ एक चुनाव हारे हैं.
तेल कंपनियों के राष्ट्रीयकरण की वजह से शावेज बेहद लोकप्रिय हुए. लातिन अमेरिका में वह ऐसे वक्त आगे बढ़े, जब वहां क्यूबा के नेता फिडेल कास्त्रो का वक्त खत्म हो रहा था. अमेरिका के जबरदस्त विरोधी चावेज बेहद लोकप्रिय नेता हैं.
हाल के दिनों में वित्तीय संकट, बढ़ते अपराध और बिजली की कमी की वजह से उनकी लोकप्रियता घटी है लेकिन अभी भी 40 से 50 फीसदी लोग उन्हें पसंद करते हैं. दुनिया के ज्यादातर मुल्कों के नेता इस बात से उनके डाह करते होंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एन रंजन