वीडियो गेम बढ़ाएंगे याददाश्त
५ सितम्बर २०१३खास तरह का वीडियो गेम बुजुर्गों की दिमागी क्षमता बढ़ा कर उन्हें इस काबिल बना सकता है कि वो कई काम एक साथ कर सकें. शुरुआती प्रयोगों में 60 से 85 साल की उम्र वाले बुजुर्गों को कई काम एक साथ करने के मामले में इन वीडियो गेमों से फायदा होता दिखा है. इन खास वीडियो गेमों को खेलते वक्त वे बोरियत भरी गतिविधियों पर भी ध्यान लगाए रखते हैं और इनसे जुड़ी जानकारियों को दिमाग में रखते हैं. इस याददाश्त का इस्तेमाल फोन नंबर याद रखने जैसे कामों में हो सकता है. उम्र बढ़ने के साथ दिमाग की ये क्षमताएं घटने लगती हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डॉ एडम गजाली और उनके सहकर्मियों ने वीडियो गेम्स के इस फायदे का पता लगाया है. इस रिसर्च की रिपोर्ट नेचर पत्रिका में छपी है. रिसर्च छोटी ही है. खासतौर से तैयार किए वीडियो गेम को केवल 16 बुजुर्गों पर आजमाया गया. गजाली और दूसरे रिसर्चरों का कहना है कि रोजमर्रा के काम में इन वीडियो गेम्स से फायदा होगा या नहीं, यह तय करने के लिए अभी और बड़े रिसर्च की जरूरत होगी. इस प्रयोग के आधार पर वीडियो गेम तैयार करने का लक्ष्य रखने वाली कंपनी के संस्थापकों में गजाली भी हैं.
रिसर्च के नतीजे इस बात के संकेत देते हैं कि लोग मानसिक गतिविधियों की मदद से अपनी दिमागी क्षमता को बचाए रख सकते हैं. बाजार में "दिमागी अभ्यास" से जुड़ी कुछ किताबें भी मौजूद हैं. गजाली ने वैसे जोर देकर कहा कि उनके रिसर्च का यह मतलब न निकाला जाए कि कोई कमर्शियल वीडियो गेम मानसिक क्षमता को बेहतर कर सकता है.
रिसर्चरों ने प्रयोग के लिए जिस गेम का इस्तेमाल किया उसका नाम न्यूरोरेसर है. इसमें एक साथ दो चीजों का ध्यान रखना होता है. खिलाड़ी जॉयस्टिक के जरिए पहाड़ी, घुमावदार रास्ते पर कार चलाता है. उसके पास कार की स्टियरिंग और गति नियंत्रित करने की सुविधा होती है. इसी दौरान कुछ रंग बिरंगी आकृतियों में संकेत स्क्रीन पर उभरते हैं. खास संकेत के उभरने पर खिलाड़ी को एक बटन दबाना होता है. खिलाड़ियों को नंबर इस बात से मिलते हैं कि उन्होंने कितनी जल्दी और कितना सही इन आकृतियों को पहचान कर बटन दबाया. खेल चुनौतियों से भरा रहे इसके लिए खिलाड़ियों के बेहतर होने पर यह कठिन दौर में आगे बढ़ता है.
20 से 79 साल के लोगों के साथ एक अलग प्रयोग के दौरान रिसर्चरों ने देखा कि प्रतिभागियों को संकेतों पर प्रतिक्रिया देने में कार चलाने से बाधा पड़ रही है. प्रयोग के दौरान यह देखा गया कि इस गेम को महीने में 12 घंटे से ज्यादा खेलने वाले 16 में से 14 लोगों में यह बाधा काफी कम हो गई. वास्तव में तो बुजुर्गों ने इस मामले में 20 साल की उम्र के उन प्रतिभागियों को भी पीछे छोड़ दिया जिन्होंने पहली बार यह गेम खेला. इस दौरान जो उनकी याददाश्त में सुधार हुआ वह ट्रेनिंग खत्म होने के छह महीने बाद भी कायम था.
दिमाग के कुछ दूसरे जानकार जो इस रिसर्च से नहीं जुड़े हैं, उनका कहना है कि पहले हुए कुछ प्रयोगों से यह साबित हो चुका है कि लोग ट्रेनिंग के जरिए अपने दिमाग को एक साथ कई कामों में इस्तेमाल करने लायक बना सकते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया की प्रोफेसर एलिजाबेथ जेलिंस्की का कहना है, "दिक्कत यह थी कि पहले के यह प्रयोग बहुत बोर करने वाले थे."
यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के न्यूरोसाइंटिस्ट आर्ट क्रेमर इस प्रयोग को संभावित उपचार का पहला भरोसेमंद कदम मानते हैं. उनका कहना है कि वैज्ञानिकों को इसे ज्यादा लोगों पर आजमा कर नतीजे दिखाने होंगे.
एनआर/एमजे(एपी)