विटामिन डी की कमी वालों के लिए जानलेवा है कोरोना
११ मई २०२०अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ईरान, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के अस्पतालों के आंकड़े लिए गए. शोध टीम के प्रमुख प्रोफेसर वादिम बैकमैन और उनकी टीम को कोरोना वायरस के दौरान दुनिया भर के हेल्थकेयर सिस्टम की तुलना करने वाले शोधों से शिकायत थी. वे इस बात पर भी सहमत नहीं थे कि मौतों को टेस्टों की संख्या और देश की औसत उम्र से जोड़ा जाए.
बैकमैन कहते हैं, "इनमें से कोई भी कारण अहम भूमिका निभाता नहीं दिख रहा है. उत्तरी इटली का हेल्थकेयर सिस्टम दुनिया के सबसे अच्छे सिस्टमों में से एक है. एक ही उम्र के लोगों को भी लीजिए तो भी मृत्यु दर काफी अलग अलग है. हमने समान टेस्ट दर वाले देशों में भी मृत्यु दर की तुलना की." बैकमैन का कहना है, "इससे अलग हमें विटामिन डी की कमी के साथ अहम संबंध साफ दिखाई पड़ा."
रिसर्च में यह पता चला कि इटली, स्पेन और ब्रिटेन में कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले ज्यादातर लोगों में विटामिन डी की कमी थी. कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित कई दूसरे देशों में मृतकों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है. शोध प्रमुख के मुताबिक, "मुझे लगता है कि लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि विटामिन डी की कमी मृत्युदर में एक भूमिका निभा सकती है. लेकिन हम इस पर जोर नहीं देंगे कि हर किसी को विटामिन डी की दवा लेनी चाहिए.”
विटामिन डी के स्तर और बहुत ही ज्यादा साइटोकाइन में सीधा संबंध देखने को मिला. साइटोकाइन सूक्ष्म प्रोटीनों का एक ऐसा बड़ा ग्रुप है, जिसे कोशिकाएं संकेत देने के लिए इस्तेमाल करती हैं. इंसान के इम्यून सिस्टम को नियंत्रित या अनियंत्रित करने में साइटोकाइन सिग्नलों की अहम भूमिका होती है. अगर साइटोकाइन के चलते इम्यून सिस्टम ओवर रिएक्शन करने लगे तो स्थिति जानलेवा हो जाती है. कोरोना वायरस के बहुत सारे मामलों में पीड़ितों की जान इम्यून सिस्टम के ओवर रिएक्शन से ही हुई है. नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक विटामिन डी की कमी से बहुत ज्यादा साइटोकाइन का स्राव देखने को मिला है.
शोध से जुड़े रिसर्चर दानिश खान कहते हैं, "साइटोकाइन का तूफान फेफड़ों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है और यह घातक रेस्पेरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम भड़का सकता है, जिससे मरीज की मौत हो सकती है. कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों की मौत इसी वजह से हुई दिखती है. वायरस ने खुद फेफड़ों को उतना ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया."
बैकमैन कहते हैं कि विटामिन डी सिर्फ इम्यून सिस्टम को दुरुस्त ही नहीं रखता है, बल्कि ये उसे ओवर रिएक्ट करने से भी रोकता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की धूप है. धूप के साथ ही दुग्ध उत्पादों और मछली में भी विटामिन डी की अच्छी खासी मात्रा रहती है. नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि उनकी रिसर्च से विटामिन डी और मृत्युदर के संबंध के बीच दुनिया भर नए शोध होंगे.
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